अयोध्या: 15 अगस्त तक टली सुनवाई, मध्यस्थता कमेटी ने मांगा तीन महीने का समय
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर मध्यस्थता की प्रक्रिया के आदेश के बाद आज (शुक्रवार) को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हमने 7 मई को कोर्ट में मध्यस्थता कमेटी द्वारा सौंपी गई पूरी रिपोर्ट का पढ़ा है। कमेटी ने इम मामले पर विस्तार करने के लिए 15 अगस्त तक का समय मांगा है। इसलिए हम कमेटी की मांग पर उन्हें तीन महीने का समय दे रहे हैं। अब इस मामले की सुनवाई तीन महीने तक टाल दी गई है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हमने मध्यस्थता कमेटी की पूरी रिपोर्ट को पड़ा है। हम मामले में मध्यस्थता कहां तक पहुंची, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। इसको गोपनीय रखा जाएगा। इस दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा, हम कोर्ट के बाहर बातचीत से समस्या के हल निकालने का समर्थन करते हैं। साथ ही मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से अनुवाद पर सवाल उठाते हुए कहा कि अनुवाद में कई गलतियां हैं। पांच वक्त नमाज और जुमा नमाज को लेकर गलतफहमी है। इसके बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार को अपनी आपत्तियों को लिखित में दाखिल करने की इजाजत दे दी।
बता दें कि अयोध्या मामले में अभी 13 हजार 500 पेज का अनुवाद किया जाना बाकी है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की संवैधानिक बेंच कर रही है। अब 15 अगस्त के बाद ही पता चलेगा कि मध्यस्थता प्रक्रिया ने क्या हासिल किया, क्योंकि अदालत ने आदेश दिया था कि प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होनी चाहिए।
बता दें कि 8 मार्च को देश के सबसे बड़े कानूनी विवाद- अयोध्या भूमि पर मालिकाना हक को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की इजाजत दे दी थी। मध्यस्थों की जो कमेटी बनी थी उनमें जस्टिस खलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर शामिल हैं। इस कमेटी के चेयरमैन जस्टिस खलीफुल्ला हैं। कमेटी को 8 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता पर कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं होगी।फैजाबाद में बंद कमरे में मध्यस्थता होगी।
बता दें कि अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद है। इसी परिसर में 0.313 एकड़ का वह हिस्सा है, जिस पर विवादित ढांचा मौजूद था। इस हिस्से को 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। रामलला अभी इसी 0.313 एकड़ जमीन के एक हिस्से में विराजमान हैं। केंद्र ने 2.77 एकड़ के विवादित परिसर समेत कुल 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था।
Created On :   10 May 2019 8:49 AM IST