उत्तराखंड में हिमस्खलन में फंसे 28 युवा पर्वतारोहियों में से दस की मौत, जानिए पहाड़ों पर हो रहे हिमस्खलन में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए कैसे काम कर रहा है वायुसेना का 'चीता'

Avalanche in Uttarakhand, 29 people trapped in snow
उत्तराखंड में हिमस्खलन में फंसे 28 युवा पर्वतारोहियों में से दस की मौत, जानिए पहाड़ों पर हो रहे हिमस्खलन में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए कैसे काम कर रहा है वायुसेना का 'चीता'
हिमस्खलन ने बरपाया कहर उत्तराखंड में हिमस्खलन में फंसे 28 युवा पर्वतारोहियों में से दस की मौत, जानिए पहाड़ों पर हो रहे हिमस्खलन में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए कैसे काम कर रहा है वायुसेना का 'चीता'
हाईलाइट
  • बर्फिलें क्षेत्रों में जब उँचे पर्वतों की चोटियों से अचानक ही बड़ी मात्रा में बर्फ का बहाव होने लगता हैं तो उसे हिमस्खलन कहते हैं।

डिजिटल डेस्क, उत्तराखंड। उत्तराखंड देश का वह राज्य हैं जिसका मौसम कब बदल जाए किसी को पता ही नहीं चलता है। एक बार फिर उत्तराखंड के मौसम ने अचानक ही करवट बदली ली और बर्फबारी शुरु हो गई है। द्रोपदी का डांडा में अचानक ही हिमस्खलन होने से उत्तरकाशी में स्थित नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (निम) के 33 प्रशिक्षणार्थी और सात प्रशिक्षकों सहित कुल 40 प्रवतारोहियों का दल बर्फ में फंस गया था।
इस अचानक आई आपदा में फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए भारतीय वायु सेना दो चीता हेलिकॉप्टर की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरु कर चुकी हैं । साथ ही कुछ चीता हेलिकाप्टरों को तैयार रखा गया हैं।

अब तक हुए इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 7 प्रशिक्षको और 3 प्रशिक्षुओं सहित कुल 10 पर्वतारोहियों को रेस्क्यू किया जा चुका है। जबकि 33 पशिक्षुओं में से 10 प्रशिक्षुओं का शव मिला हैं। 

इससे पहले हिमस्खलन में फंसे लोगों को बचाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सेना की सहायता मांगी है। जिसके बाद सेना ने बर्फ में फंसे पर्वतारोहियों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरु कर दिया गया था। 

लेकिन इस हादसे में कुछ पर्वतारोहियों की मौत की खबरें भी आ रही हैं। जिस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि, "उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा किए गए पर्वतारोहण अभियान में भूस्खलन के कारण जानमाल के नुकसान से गहरा दुख हुआ। अपने प्रियजनों को खोने वाले शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं।"

उन्होंने अपने अगले ट्वीट में कहा,  "उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मैंने बात की और हालात के बारे में जाना, फंसे हुए पर्वतारोहियों की मदद के लिए बचाव कार्य जारी है। मैंने  वायुसेना को बचाव और राहत अभियान चलाने का निर्देश दिया है। सभी की सुरक्षा और सलामती के लिए प्रार्थना है।" 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस अचानक आए आपदें पर ट्वीट कर कहा कि, "द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हिमस्खलन में फंसे प्रशिक्षार्थियों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के लिए NIM की टीम के साथ जिला प्रशासन, NDRF, SDRF, सेना और ITBP के जवानों द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है।"

क्यों खास हैं वायु सेना का चीता हेलिकॉप्टर? 

इस आपदा में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही भारतीय वायु सेना चीता हेलिकॉप्टर का उपयोग कर रही है। यह चीता हेलिकॉप्टर बेहद खास होता है और इसके नाम सबसे ऊंची उड़ान का विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज है। इसमें पांच सीटें होती हैं और यह निगरानी, अधिक ऊंचाईयों वाले मिशनों और बचाव अभियान में उपयोग किया जाता है। 

क्या होता है हिमस्खलन?

गौरतलब है कि बर्फीले क्षेत्रों में जब ऊंचे पर्वतों की चोटियों से अचानक ही बड़ी मात्रा में बर्फ का बहाव होने लगता है तो उसे हिमस्खलन कहते हैं। इस घटना में पर्वतों की चोटियों से बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े पहाड़ियों से नीचे आने लगते हैं। 

यह घटना किसी भी मौसम में होती हैं लेकिन सर्दियों के मौसम में अगर हिमस्खलन होता है तो इससे आसपास के क्षेत्रों में जानमाल की बहुत अधिक हानि होती है, क्योंकि इस समय बहुत अधिक मात्रा में बर्फ जमी होती है। जिस वजह से बर्फ के बड़े-बड़े भाग टूटकर नीचे आते हैं।

      

Created On :   4 Oct 2022 3:20 PM IST

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