अटल जी और राजकुमारी : वो रिश्ता जिसका कोई नाम न था

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अटल जी और राजकुमारी : वो रिश्ता जिसका कोई नाम न था
अटल जी और राजकुमारी : वो रिश्ता जिसका कोई नाम न था
हाईलाइट
  • कॉलेज के समय से राजकुमारी कौल उनकी मित्र रहीं
  • पत्रकार कुलदीप नैयर ने अटल जी और राजकुमारी की प्रेम कहानी को एक महान प्रेम कहानी बताया था।
  • राजकुमारी की शादी के बाद भी वे अटल जी के साथ ही रहीं

डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। फिल्म खामोशी के लिए मशहूर गीतकार गुलजार ने एक गीत लिखा था। उसके बोल थे, "हमनें देखी है इन आंखों की महकती खुशबू.... सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो....।" ये गीत अटल बिहारी वाजपेयी की निजी जिंदगी पर फिट बैठता है। कर्म से नेता और दिल से कवि अटलजी देश के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिनका नाम पूरे देश में विरोधी भी सम्मान के साथ लेते हैं। उनका सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब की तरह है। अपना जीवन देश और विचारधारा के लिए समर्पित करने वाले अटलजी को वो हर मुकाम देरी से मिला जिसके वे हकदार थे। चाहे वो प्यार हो य देश का सर्वोच्च पद।

कॉलेज की मित्र राजकुमारी कौल से उनका विवाह न हो सका, लेकिन राजकुमारी की शादी के बाद भी दोनों साथ रहे और उनके रिश्ते को दोनों ने कोई नाम नहीं दिया। अटलजी का कद राजनीति में इतना बढ़ा था कि विरोधी दल और मीडिया कभी उनकी निजी में जिंदगी में तांकझांक नहीं कर सके।

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ऐसा लगता है खामोशी फिल्म के इस गीत की लाइनें उनके रिश्ते पर ही लिखी गईं हैं। अटजली की तरह ही अविवाहित रहीं लता मंगेशकर ने इस गीत को सुरो में सजाया था। अटलजी के प्रधानमंत्री रहते जब लताजी उनसे मिलीं तो अटलजी ने कहा थ हमारे जीवन में कुछ समानता है। दोनों अविवाहित हैं। साथ ही इंग्लिश में दोनों के नाम की स्पेलिंग यदि पलट दी जाए तो एक समान ही अक्षर आते हैं। अटल ATAL = LATA लता।

जाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर ने लिखा था कि ये देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे महान प्रेम कहानी थी। उन्होंने बताया कि वाजपेयी जी की जिंदगी में वो लम्हा आकर गुजर तो गया, लेकिन अटल जी को उदास छोड़ गया। उन्हें लगा कि सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन बाद में यही लम्हा उनकी जिंदगी की खूबसूरत प्रेम कहानी बन गया। अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल के रिश्ते की शुरुआत 40 के दशक से हुई थी। ये दोनों कॉलेज में अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला।

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कॉलेज में एक ऐसा दौर भी था, जब इन दोनों के बीच केवल आंखों ही आंखों में बातें हुआ करती थीं। ज्यादा बात करने के अवसर नहीं थे। फिर अटल जी ने इस कठिन राह पर कदम बढ़ाने की हिम्मत की। हिम्मत कुछ यूं हुई कि अटल जी ने प्रेमवश एक लवलेटर लिखा। जब इसका जवाब नहीं आया तो उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्हें क्या मालूम था कि ये लवलेटर करीब एक-डेढ़ दशक बाद उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। इस प्रेम कहानी को दोनों ने अपनी जिंदगी में कभी भी कोई नाम नहीं दिया और ना ही किसी को इस बारे में कोई सफाई दी।

अटलजी पर लिखी गई किताब "अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस" में वाजपेयी जी की जिंदगी के बारे में कई खुलासे हुए हैं। किताब के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा कि अटल जी और राजकुमारी के बीच प्यार तो था, लेकिन वह अनकहा ही रह गया। इसी दौरान राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने उनकी शादी एक युवा कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। किताब के अनुसार राजकुमारी कौल अटल जी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। हालांकि अटल ब्राह्मण थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे।

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राजकुमारी कौल को दिल्ली के राजनीतिक हलकों में लोग मिसेज कौल के नाम से जानते थे। हर किसी को मालूम था कि वो अटलजी के लिए सबसे प्रिय हैं। ये अटल जी का कद ही था कि इन दोनों के रिश्ते पर कभी भी मीडिया ने कोई कवरेज नहीं किया। मगर मई 2014 में जब मिसेज कौल का निधन हुआ तो अखबारों में पहली बार उनके बारे में खबरें छपीं। इसे थोड़ा विस्तार से पहले पेज पर इंडियन एक्सप्रेस ने छापा। जिसे पढ़कर पाठकों ने जाना कि वह अटल जी की जीवन की डोर थीं, उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ भी।

फिर मिले अटल और राजकुमारी
राजकुमारी कौल ने तो शादी करने के बाद अपना घर बसा लिया, लेकिन अटल जी ने कभी शादी नहीं की। उन्होंने सियासी दुनिया में कदम रखा और आगे बढ़ते चले गए। करीब डेढ़ दशक बाद अटल और राजकुमारी दोबारा मिले, जब अटल सांसद हो गए और राजकुमारी दिल्ली आ गईं। उनके पति दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे। बाद में वह इसी कॉलेज के हास्टल के वार्डन बन गए। बाद में अटल उनके साथ रहने आ गए थे।

वाजपेयी जी और मैं दोस्त हैं
अटल जी के साथी रहे दक्षिण भारत के पत्रकार गिरीश निकम ने एक इंटरव्यू में अपने अनुभव साझा किए थे। उनका कहना था कि वह जब अटलजी के निवास पर फोन करते थे तब फोन मिसेज कौल उठाया करती थीं। एक बार जब उनकी उनसे बात हुई तो उन्होंने परिचय कुछ यूं दिया, "मैं मिसेज कौल, राजकुमारी कौल हूं। वाजपेयीजी और मैं लंबे समय से दोस्त रहे हैं। 40 से अधिक सालों से।" उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह सालों से वाजपेयी जी उनके और उनके पति प्रोफेसर कौल के साथ रहते आए हैं।

मई 2014 में हुआ मिसेज कौल का निधन
राजकुमारी कौल को दिल्ली के राजनीतिक हलकों में लोग मिसेज कौल के नाम से जानते थे। हर किसी को मालूम था कि वो अटलजी के लिए सबसे प्रिय हैं। ये अटल जी का कद ही था कि इन दोनों के रिश्ते पर कभी भी मीडिया ने कोई कवरेज नहीं किया। मगर मई 2014 में जब मिसेज कौल का निधन हुआ तो अखबारों में पहली बार उनके बारे में खबरें छपीं। इसे थोड़ा विस्तार से पहले पेज पर इंडियन एक्सप्रेस ने छापा। जिसे पढ़कर पाठकों ने जाना कि वह अटल जी की जीवन की डोर थीं, उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ भी।

Created On :   24 Dec 2017 5:14 PM IST

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