सेना के डेजर्ट कोर ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर किया वेबिनार
- कश्मीर में बदलती गतिशीलता और सुरक्षा स्थिति
डिजिटल डेस्क, जयपुर। जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए पुणे स्थित दक्षिणी कमान के तत्वावधान में भारतीय सेना के डेजर्ट कोर ने एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार की अध्यक्षता दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस. नैन ने किया। इसमें दक्षिणी कमान के तहत आने वाले 32 विभिन्न स्टेशनों के लगभग 1,100 अधिकारियों ने भाग लिया।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद दक्षिणी कमान ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूपरेखा विकसित करने और वैश्विक व राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य में परिणामी बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। वेबिनार के बाद भविष्य के रोडमैप पर एक संवाद सत्र का आयोजन किया गया।
पैनलिस्टों में चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी.पी. पांडे, चिनार कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ढिल्लों (सेवानिवृत्त), जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार और पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त टी.सी.ए. राघवन शामिल थे। पत्रकार आदित्य राज कौल, लेखक और कार्यकर्ता बशीर असद, अयाज वानी, राजा मुनीब और आईडीएसए के डॉ. अशोक बेहुरिया जैसे विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए और आगे का रास्ता बताया।
कश्मीर में बदलती गतिशीलता और सुरक्षा स्थिति पर इसके प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति पर संभावित प्रभावों के साथ वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में खतरे के आकलन पर भी विचार-विमर्श किया। इसके अलावा, विरोधियों के छिपे हुए एजेंडे से दर्शकों को अवगत कराने के लिए एक सत्र में आंदोलन की गतिशीलता और सफेदपोश आतंकवाद का गहन मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल नैन ने अपनी समापन टिप्पणी में वेबिनार में हुईं प्रमुख बातों को दोहराया और युवा अधिकारियों को देश में मौजूदा स्थिति से अवगत रहने और भू-रणनीतिक मोर्चे पर कश्मीर की उभरती गतिशीलता को समझने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत पर जोर दिया कि युवा मुख्यधारा से जुड़े रहें और प्रमुख संस्थानों में नार्को-आतंकवाद को रोकने और घुसपैठ के खिलाफ सुरक्षा की जरूरत पर जोर दें। उन्होंने कहा कि बेहतर नीति निर्धारण निर्णय लेने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के ऑडिट पर विचार किया जा सकता है।
सेना कमांडर ने सभी हितधारकों को पाकिस्तान के रणनीतिक मंसूबों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत शांति और मुद्दों के समाधान के लिए कूटनीति और बातचीत के माध्यम से खड़ा है, हालांकि स्थितियां सही होनी चाहिए और पाकिस्तान द्वारा छद्मयुद्ध की समाप्ति उसी की आकांक्षा के अनुरूप है।
(आईएएनएस)
Created On :   7 April 2022 12:00 AM IST