अग्निवीरों को उनकी प्रतिभा के अनुसार कौशल प्रदान करेगी सेना
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- 10वीं पास वालों को 12वीं पास करने की अनुमति दी जाएगी
डिजिटल डेस्क, जयपुर। दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह भिंडर ने नव घोषित अग्निपथ योजना को युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर बताते हुए बुधवार को कहा कि सेना उम्मीदवारों को उनकी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर कौशल प्रदान करेगी।
लेफ्टिनेंट जनरल भिंडर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, साथ ही, चार साल बाद जहां 25 फीसदी उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर सेना में शामिल किया जाएगा, वहीं शेष 75 फीसदी जो समाज में वापस जाएंगे, उन्हें कौशल प्रमाण पत्र दिया जाएगा, ताकि उन्हें अपने कौशल के आधार पर सरकारी या निजी नौकरी मिल सके।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारतीय युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा देने के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को मंजूरी दी थी। योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिकों को सशस्त्र बलों में अग्निवीर के रूप में शामिल किया जाएगा। अग्निपथ मॉडल के तहत छह महीने के प्रशिक्षण सहित चार साल के लिए सेना, वायु सेना और नौसेना में अधिकारी रैंक (पीबीओआर) से नीचे के कर्मियों की भर्ती की जाएगी। आईएएनएस के एक सवाल का जवाब देते हुए कि ये युवा चार साल सेना में अग्निवीर के रूप में सेवा देने के बाद नौकरी की तलाश कहां कर सकते हैं, उन्होंने कहा, हम उम्मीदवारों के चार साल की सेवा को ही नहीं बल्कि उनके शेष जीवन को भी देख रहे हैं।
आगे विस्तार से बताते हुए, भिंडर ने कहा, 10वीं पास वालों को 12वीं पास करने की अनुमति दी जाएगी और 12वीं पास करने वालों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर डिप्लोमा या डिग्री प्रदान की जाएगी। उन्होंने आगे कहा, हम विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के साथ चर्चा के एक उन्नत चरण में हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन अग्निवीरों को उच्च डिग्री व डिप्लोमा का लाभ भी मिल सके।
दूसरी बात यह है कि हम स्किल मैपिंग को देख रहे हैं। भारतीय सेना में एक विविध प्रणाली है, जहां कई तरह के कौशल की आवश्यकता है। लेफ्टिनेंट जनरल भिंडर ने कहा, अकाउंटिंग, स्टोरकीपिंग, उपकरण रखरखाव को सेना की प्रणाली में दोहराया जाता है। इसलिए विचार कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए राष्ट्रीय कौशल और योग्यता ढांचे के भीतर इन कौशलों को मैप करना है।
भिंडर ने कहा कि सुरक्षा बल यह सुनिश्चित करेगा कि उद्योग को उचित शारीरिक फिटनेस और अनुशासन के साथ तैयार, प्रशिक्षित और प्रमाणित व्यक्ति मिले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह ऐसा व्यक्तित्व हो जो राष्ट्रीय हित में काम करे। उन्होंने कहा कि यह दोनों ओर से ही एक फायदे की स्थिति होगी। इस योजना के बारे में बोलते हुए, भिंडर ने कहा, सेना अपने प्रोफाइल में युवाओं को जोड़ने पर विचार कर रही है। भारतीय सेना की औसत आयु अभी 32-36 है और हम इसे 26 तक लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक प्रमुख देगा। यह भारतीय सेना की युवावस्था को एक बड़ा बढ़ावा देगा।
शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा, बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं, जो आईटीआई जैसे तकनीकी संस्थानों से आते हैं और 15-17 साल या उससे अधिक के लिए सेवाओं में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन चार साल के लिए शामिल होने के इच्छुक होते हैं। यह हमें एक बेहतर तकनीकी सीमा प्रदान करता है, जिसे हम सेना के लिए विकसित कर सकते हैं।
इसलिए हमारा मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के संपर्क में है, ताकि यह देखा जा सके कि भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आईटीआई में पाठ्यक्रमों को कैसे समायोजित किया जा सकता है। फिर से यह कहना होगा कि यह दोनों पक्षों के लिए एक जीत की तरह है। अधिकारी ने कहा कि युवाओं के लिए देश की सेवा करने और फिर बेहतर अनुभव वाले व्यक्ति के रूप में वापस जाने के लिए सेना में शामिल होने का यह एक शानदार अवसर है।
सोर्स- आईएएनएस
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Created On :   15 Jun 2022 10:30 PM IST