इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ चलेगा 'महाभियोग', CJI ने की सिफारिश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस श्रीनारायण शुक्ला के खिलाफ "महाभियोग" चलाने की सिफारिश की है। दरअसल, मेडिकल एडमिशन स्कैम नाम सामने आने के बाद जस्टिस एसएन शुक्ला को पद से हटाने की प्रोसेस शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि CJI दीपक मिश्रा ने इस संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी लेटर लिखा है और ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही महाभियोग लाकर जस्टिस शुक्ला को पद से हटाया जा सकता है।
लंबी छुट्टी पर गए जस्टिस शुक्ला !
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CJI ने जैसे ही जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की सिफारिश की, वैसे ही जस्टिस शुक्ला लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। बताया जा रहा है कि जस्टिस शुक्ला ने 90 दिनों की छुट्टी के लिए पिछले हफ्ते यूपी के गवर्नर राम नाईक को एप्लीकेशन दी है। इस मामले में CJI दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला को इस्तीफा देने या इच्छा से रिटायरमेंट लेने की बात भी कही थी, लेकिन जस्टिस शुक्ला ने इससे इनकार कर दिया था और अब वो छुट्टी पर चले गए हैं।
जस्टिस शुक्ला पर क्या हैं आरोप?
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने एकेडमिक ईयर 2017-18 में मेडिकल स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए प्राइवेट कॉलेजों को परमिशन दे दी थी। जस्टिस शुक्ला का ये फैसला चीफ जस्टिस के फैसले के खिलाफ था। इस पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ पिछले साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं।
3 जजों के पैनल ने की थी जांच
इस मामले की शिकायत के बाद जांच के लिए 3 जजों की एक इन-हाउस पैनल बनाई गई थी। इस पैनल में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्कीम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीके जायसवाल थे। इस पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा था कि "जस्टिस शुक्ला ने ज्यूडिशियल वैल्यूज को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने एक जज का रोल ठीक से नहीं निभाया और अपने ऑफिस की गरिमा और विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने वाला काम किया है।"
क्या है मेडिकल एडमिशन घोटाला?
दरअसल, देशभर के 46 मेडिकल कॉलेजों में नए एडमिशन को लेकर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। CBI के मुताबिक, पूर्व जजों ने अपने कॉन्टेक्ट्स के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में केस को रफा-दफा करने को कहा और इसके एवज में पैसों की डिमांड भी की गई थी। CBI जांच में ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज इशरत मसरूर कुद्दुदसी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो मौजूदा जजों का नाम सामने आया। इस मामले में पूर्व जज आईएम कुद्दुदसी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और फिलहाल ये सभी जेल में बंद हैं। अब अगर CJI दीपक मिश्रा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शुक्ला को पद से हटा देते हैं, तो CBI जस्टिस शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज कर सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।
क्या होता है महाभियोग ?
भारत के संविधान के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के जज को सिर्फ "महाभियोग" के जरिए ही हटाया जा सकता है। महाभियोग को "इंपीचमेंट" कहा जाता है, जिसका लैटिन भाषा में मतलब होता है "पकड़े जाना"। भारतीय संविधान में महाभियोग का उल्लेख आर्टिकल 124(4) में मिलता है। इसके तहत अगर किसी भी कोर्ट के जज पर कोई आरोप लगता है, तो उसे महाभियोग लाकर पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग के जरिए किसी जज को पद से हटाने के लिए लोकसभा के 100 सांसद और राज्यसभा के 50 सांसदों की सहमति जरूरी होती है। इसके साथ ही महाभियोग के जरिए किसी जज को तभी पद से हटाया जा सकता है, जब ये प्रस्ताव संसद को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास होता है।
Created On :   31 Jan 2018 12:08 PM IST