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धान फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप नियंत्रण के लिए कृषि विभाग की किसानों को सलाह
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। इस वर्ष समय से पूर्व बारिश होने के कारण जिन खेतों में रबी-ग्रीष्म कालीन धान लगा था खेत पूर्णत: सूख नहीं पाये थे, किसान धान की सडी ढूंढ को अच्छे से नष्ट नहीं कर पाये जिस कारण सडी में व बाद में खार में ही तना छेदक कीट का असर दिखाई देने लगा था। जिन कृषकों द्वारा सिंचाई के साधन उपलब्ध होने पर 20 जून से 05 जुलाई के बीच परहा लगा लिया गया उन किसानों के खेतों में तना छेदक कीट का प्रकोप ज्यादा दिख रहा है। जिला स्तरीय डायगेनोस्टिक टीम द्वारा उप संचालक कृषि सी.आर. गौर, कृषि वैज्ञानिक डॉ. उत्तम बिसेन, डॉ. आर. एल. राउत, डॉ. एस. आर. धुवारे एवं डॉ. दिनेश पंचेश्वर की टीम द्वारा ग्राम चिखला, सालेटेका, पिपरझरी, चिचगांव एवं बम्हनी के किसानों के खेतों में जाकर निरीक्षण किया जिसमें पाया गया कि तना छेदक कीट का असर बहुत पहले से है और पत्तियों के गलन भी प्रारम्भ हो गया है। ग्राम चिखला के कृषक दुलीचंद लिल्हारे, कोमल नगपुरे सरपंच देवेन्द्र मोहारे व अन्य ने कहा कि प्रारम्भ में दवा भी डाली गई परन्तु पानी न गिरने व तेज धूप के कारण दवा का प्रभाव जल्द समाप्त हो गया। ग्राम सालेटेका के कृषक ताराचन्द बिसेन तना छेदक के लगातार दवा डालकर अपनी फसल को बचा रहे है उसी प्रकार ग्राम बम्हनी के कृषक लक्ष्मीचंद पारधी व पूर्व सरपंच बिसेन की फसल भी तना छेदक कीट से प्रभावित हो गई जहां पर उनके द्वारा कहीं-कहीं पर दोबारा परहा लगाये है। कृषकों को सलाह दी गई कि धूप तेज होने के कारण उमस ज्यादा होने के कारण तना छेदक कीट के बढने के लिए अनुकूल वातावरण हो रहा है किसान भाई खेतों का लगातार भ्रमण करे जहां पर तना छेदक कीट का अभी प्रकोप नहीं है वे कृषक देशी काढा जिसमें गौमूत्र में नीम, जंगली तुलसी, गराडी इत्यादि निर्मित दवा का छिडकाव करें, जैविक में नीम का तेल बिवेरिया बैसियाना 400 मिली प्रति एकड की दर से छिडकाव करें। परन्तु जहां पर तना छेदक कीट आ गया वे कृषक रासायनिक दवा जैसे क्लोरोपायसीफास 20 % एक लीटर प्रति एकड या क्लोरोएन्ट्रागिलीप्रोल 0.31 या क्लोरोपायरीफास 10% वाला दानेदार 4 किलो प्रति एकड या थायोमेथाक्जाम 0.1 % के साथ क्लोरोएन्ट्रागिलीप्रोल 0.5 % बनी दवा का 2.5 किलो खेत में 5 से.मी. पानी भरकर 20 किलो रेत में मिलाकर खेत में डाले व उस पानी को 4-5 दिन तक रोककर रखे। जहां पानी नहीं है वहां कृषक को पम्प से स्प्रे करना पडेगा उसके लिए क्लोरो 50% दवा का 300 मिली या क्लोरो 20% दवा 500 मिली या लेम्डा सायलोप्रिन 4.9% वाला 250 मिली या क्लोरोएन्ट्रागिलीप्रोल 40 से 50 ml प्रति एकड की दर से छिडकाव करे। जहां पत्तियों में गलन प्रारम्भ हो गई है साथ में हेक्साकोलोजाल या अन्य फफूंदीनाशक भी डाल सकते है।
Created On :   21 July 2020 1:40 PM IST