गरीबी के कारण बेबस मां ने अंतिम संस्कार की बजाय बेटे का शव किया दान
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डिजिटल डेस्क,जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जो गरीबों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं की असलियत और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही बताने के लिए काफी है। जगदलपुर में एक बेबस मां को अपनी गरीबी के कारण अपने 21 साल के बेटे के शव का अंतिम संस्कार करने की बजाय दान देना पड़ा।
दरअसल जगदलपुर के आरापुर का रहने वाला 21 साल का बामन एक निजी ट्रैवल कंपनी में कंडक्टर था। बीते सोमवार एक सड़क हादसे के बाद उसने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इसके बाद अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई। परिजन आपस में इस समस्या से बाहर निकलने के लिए रास्ता खोजने लगे।
अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे
परिजनों के सामने शव को घर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। गरीबी इतनी की अगर शव को घर ले जाते तो अंतिम संस्कार के लिए पैसे की परेशानी खड़ी हो जाती। इसी बीच पीएम के लिए आए हॉर्टीकल्चर कॉलेज के डॉ. पीके तिवारी ने परिजनों को शव को मेडिकल कॉलेज को दान देने की सलाह दी। एक मां ने अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने कलेजे के टुकड़े को दान देने के लिए हामी भर दी।
मेडिकल कॉलेज ने किया धन्यवाद
वहीं मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. मोहम्मद अशरफ इसके लिए परिवार की तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने मृतक के परिजनों को सम्मानित करने की बात भी कही है। बता दें कि बस्तर में पहली बार मेडिकल कॉलेज को कोई शव दान में मिला है। बस्तर के आदिवासी समाज से पहली बार कोई देहदान किया गया है।
अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दी योजनाओं की जानकारी
वहीं इस पूरे मामले ने गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की पोल खोल कर रख दी। बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को शव को मुफ्त में घर तक पहुंचाने और अंतिम संस्कार के लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता के बारे में कुछ नहीं बताया। जब अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि युवक की मौत महारानी अस्पताल में हुई थी। अस्पताल में परिजनों को योजनाओं के बारे में बताया गया कि नहीं इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं।
Created On :   17 Feb 2018 8:59 AM IST