2G ने UPA को दी भारी बदनामी, जानें कौन-कौन थे इसमें शामिल

2G ने UPA को दी भारी बदनामी, जानें कौन-कौन थे इसमें शामिल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सबसे चर्चित घोटालों में से एक माने जाने वाले 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में गुरुवार को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 2G घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा 3 टेलीकॉम कंपनियों का नाम भी इस घोटाले में शामिल थे। कोर्ट ने इन सभी लोगों और कंपनियों पर लगे आरोपों को हटा दिया है और बरी कर दिया है। बता दें कि 2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ था।


क्या है 2G स्पेक्ट्रम घोटाला? 

देश के सबसे चर्चित घोटालों में 2G घोटाला भी एक है। इस घोटाले का खुलासा 2010 में आई CAG की रिपोर्ट में किया गया था। उस वक्त विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय "पहले आओ, पहले पाओ" की पॉलिसी पर लाइसेंस दिए गए, जिससे सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि अगर ये लाइसेंस नीलामी के आधार पर बांटे जाते, तो ये रकम सरकारी खजाने में जाती। इसके बाद 2011 में पहली बार इस घोटाले में कोर्ट ने 17 आरोपियों को दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई गई थी।

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हिल गई थी पूरी मनमोहन सरकार

2010 में इस घोटाले ने पूरी मनमोहन सरकार को हिलाकर रख दिया था। इस घोटाले में CAG ने सीधे-सीधे सरकार पर आरोप लगाया था कि इस घोटाले की वजह से सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। हालांकि, CAG की इस रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाए गए थे, लेकिन ये उस वक्त का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था और सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर पिटीशन फाइल की गई थी। भारत में हुए अब तक के घोटालों में 2G स्पेक्ट्रम घोटाले को सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और फाइनेंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम पर भी सवाल खड़े कर दिए थे। CAG ने अपनी रिपोर्ट में ए. राजा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिए, जिसमें उनकी पसंदीदा कंपनियों को तरजीह दी गई। इसके अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को भी जेल जाना पड़ा था। हालांकि बाद में इन दोनों को ही जमानत दे दी गई थी। इस घोटाले में कई बड़े नेताओं और बड़ी कंपनियों का नाम सामने आया था, जिससे भारत की इमेज को भी नुकसान पहुंचा था।

इन तीन मामलों पर हुई थी सुनवाई

1. सीबीआई ने इस घोटाले में पहला केस ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के प्राइवेट सेक्रेटरी आरके चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर्स शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के गौतम दोषी, सुरेंद्र पीपरा और हरि नायर पर दायर किया था। सीबीआई ने कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रा. लि. के डायरेक्टर्स आसिफ बलवा-राजीव अग्रवाल, कलाइगनार टीवी के डायरेक्टर शरद कुमार और करीम मोरानी को भी आरोपी बनाया था। इसमें सीबीआई ने 3 कंपनियां स्वान टेलीकॉम प्रा. लि., रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिकॉम वायरलेस (तमिलनाडु) लि. को भी केस में आरोपी बनाया।

2. दूसरे मामले में सीबीआई ने एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के डायरेक्टर विकास श्राफ को भी शामिल किया। चार्जशीट में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया था।

3. तीसरे मामले में एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने अप्रैल 2014 में ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, विनोद गोयनका, करीम मोरानी और शरद कुमार समेत 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ED ने डीएमके प्रमुख करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी शामिल किया था। आरोप था कि स्वान टेलीकॉम से 200 करोड़ डीएमक के कलाइगनार टीवी को दिए गए। ED ने इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था।

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किन-किन पर था आरोप? 

1. ए. राजा : इस घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा को आरोपी बनाया गया था। उन पर आरोप लगा था कि इन्होंने नियमों को नजरअंदाज कर 2G स्पेक्ट्रम की नीलामी कर दी। सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ए. राजा ने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम के लाइसेंस बेच दिए और अपनी पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया। 

2. कनिमोझी : तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोझी पर ए. राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा था। कनिमोझी पर आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपए की रकम डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से ली थी और बदले में ए. राजा ने बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिए। 

3. सिद्धार्थ बेहुरा : घोटाले के वक्त ए. राजा टेलीकॉम मिनिस्टर थे और सिद्धार्थ बेहुरा टेलीकॉम सेक्रेटरी थे। सीबीआई ने सिद्धार्थ पर आरोप लगाया था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में उनकी मदद की। बेहुरा को भी ए. राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 में गिरफ्तार किया गया था। 

4. आरके चंदोलिया : टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा के पूर्व निजी सचिन आरके चंदोलिया को भी इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था। चंदोलिया पर आरोप लगा कि इन्होंने ए. राजा के साथ मिलकर उन कंपनियों को भी फायदा पहुंचाया, जो इस लायक नहीं थी। चंदोलिया भी ए. राजा और बेहुरा के साथ गिरफ्तार हुए थे। 

5. शाहिद बलवा : स्वॉन टेलीकॉम कंपनी के जनरल मैनेजर शाहिद बलवा को भी सीबीआई ने इस मामले में आरोपी बनाया था। सीबीआई का आरोप था कि बलवा की कंपनियों को बेहद कम दामों में स्पेक्ट्रम के लाइसेंस दिए गए। बलवा को 8 फरवरी 2011 में गिरफ्तार किया गया था। 

6. संजय चंद्रा : यूनिटेक कंपनी के पूर्व जनरल मैनेजर संजय चंद्रा को भी इस घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि यूनिटेक कंपनी ने पहले तो कम दामों में स्पेक्ट्रम लिए और बाद में इन्हें विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाया। संजय चंद्रा को 20 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार किया गया था।

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7. विनोद गोयनका : स्वॉन टेलीकॉम के डायरेक्टर विनोद गोयनका को भी इस घोटाले में आरोपी बनाया गया। सीबीआई ने गोयनका पर आरोप लगाया कि इन्होंने शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र में हिस्सा लिया था। 

8. गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरी नायर : अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के ये तीनों टॉप एक्जीक्यूटीव्स थे। इन तीनों पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा। इन तीनों को भी 20 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार किया गया था। 

9. राजीव अग्रवाल : ये कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर थे। राजीव पर आरोप था इनकी कंपनी से पहले 200 करोड़ रुपए की रिश्वत करीम मोरानी की कंपनी को दी गई, जो आखिरकार करुणानिधि की बेटी कनिमोझी के पास पहुंचे। राजीव को 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था। 

10. करीम मोरानी : सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कंपनी के डायरेक्टर करीम मोरानी पर आरोप था कि इन्होंने पहले कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रा.लि. से 212 करोड़ रुपए की रिश्वत ली और बाद में कनिमोझी को 214 करोड़ रुपए दिए। ताकि शाहिद बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिए जाए। 

11. आसिफ बलवा : स्वॉन टेलीकॉम कंपनी के जनरल मैनेजर शाहिद बलवा के भाई आसिफ बलवा की राजीव अग्रवाल की कंपनी में 50% की पार्टनरशिप थी। आसिफ को भी इस घोटाले में आरोपी बनाया गया और इसे राजीव के साथ ही 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था। 

Created On :   21 Dec 2017 12:16 PM IST

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