क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक ? इन 10 बिंदुओं में जानें
डिजिटल डेस्क। लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पास हो गया हैं। अब इसे राज्यसभा में लाया जाएगा। इस विधेयक के तहत देश में आए शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियम पूरी तरह से बदले जाएंगे। केंद्र सरकार के इस कानून को विपक्षी पार्टियां भारत के मूल नियमों के खिलाफ बता रही हैं। इस विधेयक में क्या विवादित है, पहले क्या था और अब क्या होने जा रहा है। जानें विधेयक से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें...
1. केंद्र की मोदी सरकार जो नया विधेयक लोकसभा में पारित कराया उसे सिटिजन अमेंडमेंट बिल 2019 नाम दिया गया है। इस बिल के आने से साठ साल पुराने सिटिजन एक्ट, 1955 में बदलाव होगा।
2. मोदी सरकार के बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है।
3. इसके साथ ही इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक के रूप में नहीं माना जाएगा। अभी के कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से आए लोगों को उनके देश वापस भेजने या फिर हिरासत में लेने की बात है।
4. इन सभी शरणार्थियों को भारत में अब नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल का वक्त बिताना होगा। पहले नागरिकता पाने के लिए समयसीमा 11 साल की थी।
5. अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के इनर लाइन परमिट एरिया को इस बिल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ये बिल नॉर्थ ईस्ट के छठे शेड्यूल का भी बचाव करता है।
6. नए कानून के मुताबिक, अफगानिस्तान-बांग्लादेश-पाकिस्तान से आया हुआ कोई भी हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई नागरिक जो कि 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आया हो उसे अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा।
7. इनमें से जो भी नागरिक OCI होल्डर है, अगर उसने किसी कानून का उल्लंघन किया है। तो उसको एक बार उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा।
8. इस बिल का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और भारत के संविधान का उल्लंघन बता रही हैं। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार जो बिल ला रही है, वह देश में धर्म के आधार पर बंटवारा करेगा जो समानता के अधिकार के खिलाफ है।
9. पूर्वोत्तर में इस बिल का सबसे अधिक विरोध हो रहा है। वहां के लोगों का मानना है कि बांग्लादेश से अधिकतर हिंदू आकर असम, अरुणाचल, मणिपुर जैसे राज्यों में बसते हैं, ऐसे में ये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ठीक नहीं रहेगा। पूर्वोत्तर में कई छात्र संगठन, राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं।
10. NDA में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने भी इस बिल का विरोध किया है। बिल के लोकसभा में आने पर वह गठबंधन से अलग हो गई थी। हालांकि, कार्यकाल खत्म होने पर जब बिल खत्म हुआ तो वह वापस भी आई।
Created On :   9 Dec 2019 11:55 AM IST