Maha Kumbh 2025: महाकुंभ भगदड़ को लेकर गरमाई सियासत, विपक्ष ने सरकार पर लगाया मृतकों के आंकड़े छिपाने का आरोप, जानें कौन करता है शवों की गिनती

महाकुंभ भगदड़ को लेकर गरमाई सियासत, विपक्ष ने सरकार पर लगाया मृतकों के आंकड़े छिपाने का आरोप, जानें कौन करता है शवों की गिनती
  • मौनी अमवस्या से पहले महाकुंभ में मची थी भगदड़
  • मृतकों और घायलों के सरकारी आंकड़ों पर विपक्ष ने उठाए सवाल
  • जिलाधिकारी देता है अंतिम आंकड़े

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रयागराज महाकुंभ में रोज करोड़ों श्रद्धालु अस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। मौनी अमावस्या के मौके पर दूसरे अमृत स्नान से कुछ समय पहले मची भगदड़ को लेकर संसद में घमासान मचा हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस घटना में 30 लोग मारे गए थे जबकि 60 घायल हो गए थे। वहीं विपक्ष ने इस संख्या को गलत बताते हुए कहा कि सरकार पर सही आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया था।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लेकर सदन में कहा कि महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो और सच्चाई छिपाने वालों को सजा मिले। अगर कोई दोषी नहीं था तो आंकड़े क्यों दबाए गए, छिपाए गए और मिटाए गए?

उनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि महाकुंभ में मची भगदड़ में 30 नहीं बल्कि हजारों लोगों की मौत हुई है। विपक्षी नेताओं के अलावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये दावा किया गया था कि मरने वालों का आंकड़ा सरकारी आंकड़ा से ज्यादा है। इन रिपोर्ट्स में ये कहा गया था कि महाकुंभ में संगम नोज के अलावा दूसरी जगह भी भगदड़ मची थी, लेकिन उसे छिपाया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार ऐसी घटनाओं में मरने वालों की गिनती कैसे करती है? इस बारे में कौन के आंकड़े को सबसे सही माना जाए?

क्यों उठ रहे सवाल?

संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमवस्या से पहले रात करीब 2 से 3 बजे की बीच भगदड़ मची थी। इस घटना में कई लोग घायल हुए, वहीं कई की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस दुखद घटना के करीब 17 घंटे बाद यूपी सरकार की ओर से मृतकों और घायलों के आंकड़े जारी किए गए। इनमें बताया गया कि भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 घायल हो गए। हालांकि इन आंकड़ों के सामने आने के बाद जब पुलिस ने करीब 24 लावारिस शवों की शिनाख्त के लिए तस्वीरें जारी की तो सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े होने लगे।

ऐसे होती है गिनती

भगदड़ जैसी घटना में अधिकारियों का ध्यान सबसे पहले घायलों को बचाना होता है, ताकि उनकी जान बचाई जाए और संभावित मौतों को कम किया जा सके। जिला प्रशासन के अधिकारी सबसे पहले एंबुलेंस के जरिए घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजते हैं। घायलों को एडमिट करवाने के बाद मृतकों के शवों को मार्च्युरी भेजा जाता है। इसके बाद वहां रखे शवों और अस्पताल में भर्ती लोगों की गिनती की जाती है और आंकड़े जिलाधिकारी को सौंपे जाते हैं।

जिलाधिकारी देता है अंतिम आंकड़े

जिले का सबसे बड़ा अधिकारी डीएम वहां की प्राशसनिक व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार होता है। किसी भी बड़ी घटना में आखिरी आंकड़े डीएम ऑफिस द्वारा ही जारी किए जाते हैं। हालांकि सार्वजनिक होने से पहले ये आंकड़े सरकार के पास जाते हैं।

Created On :   4 Feb 2025 6:21 PM IST

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