महाकुंभ 2025: कभी कमाते थे लाखों रुपये महीना... 400 लोगों को बांटते थे सैलरी, आईआईटी बाबा के बाद चर्चा में एमटेक बाबा

कभी कमाते थे लाखों रुपये महीना... 400 लोगों को बांटते थे सैलरी, आईआईटी बाबा के बाद चर्चा में एमटेक बाबा
  • प्रयागराज महाकुंभ में जुटे हजारों साधु-संत
  • अपने पुराने जीवन और रुप रंग को लेकर कई बाबा चर्चा में
  • आईआईटी के बाद एमटेक बाबा हो रहे वायरल

डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में आस्था की डूबकी लगाने के लिए देशभर से हजारों साधु संत जुटे हैं। इनमें से कुछ अपने जीवन की अनोखी कहानियों और रुप रंग को लेकर सभी को ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इनमें कुछ साधु-संत ऐसे भी हैं जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हैं। हाल ही में आईआईटी बाबा ने जमकर सुर्खियां बंटोरी थीं। अब इस क्रम में एक और बाबा का नाम जुड़ गया है और वो हैं एमटेक बाबा।

हर महीने मिलती थी लाखों रुपये की सैलरी

एमटेक बाबा ने अपनी एशो आराम की जिंदगी छोड़ आध्यात्मिक जीवन का रास्ता चुना है। एमटेक बाबा का नाम कृष्ण गिरी है। उन्होंने 2010 में संन्यास लिया और 2019 में नागा बने। इस दौरान उन्होंने हरिद्वार में 10 दिन तक भीख मांगी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी लाखों रुपये महीना भी कमाते थे। 400 लोगों को सैलरी बांटते थे।

कर्नाटक यूनिवर्सिटी से किया एमटेक

एमटेक बाबा का जन्म दक्षिण भारत में तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की। इसके बाद देश की कई नामी कंपनियों में काम किया। आखिरी नौकरी उन्होंने दिल्ली में की थी जहां वह एक निजी कंपनी में जीएम के पद पर थे। उनके अंदर करीब 400 से अधिक लोग काम करते थे।

दस दिन मांगी भीख

बाबा के मुताबिक सभी अखाड़ों को मेल करके मैंने उनसे जुड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन किसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। हरिद्वार गया तो वहां पर मेरा पास जो कुछ भी था उसे हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर दिया। साधु का वेश धारण कर दस दिनों तक भीख मांगी। मेरा मानना था कि ज्यादा पैसा होने से आदतें खराब हो जाती हैं और दिमाग को शांति नहीं मिल पाती।

उन्होंने आगे बताया कि इसके मैंने निरंजन अखाड़ा को लेकर गूगल किया था। निरंजन अखाड़ा जाकर मैंने महंत राम रतन गिरी महाराज से दीक्षा दी। साल 2019 में आग लगने के कारण से 2021 में मैंने अल्मोड़ा छोड़ दिया। अभी उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव में रहता हूं।

Created On :   21 Jan 2025 1:34 AM IST

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