Budget 2025: क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन? कैसे इस नियम से वेतनभोगियों को मिलती है राहत? क्यों 13 सालों बाद सरकार ने 2018 में फिर से किया था लागू? जाने सबकुछ
- वित्त वर्ष 2005 के बजट से हटा दिया गया था ये नियम
- 13 सालों बाद 2018 में दोबारा किया गया लागू
- शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी वित्त वर्ष 2025-26 का बजट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के बजट को पेश करने वाली है। हर बार की तरह इस बार भी सभी देशवासियों को नए बजट से काफी उम्मीदें हैं। रिपोर्ट की माने तो इस बार सरकार की ओर से कई ऐसी घोषणाएं हो सकती हैं जिसका लाभ हर तबके के लोगों को मिलेगा। साथ ही वेतनभोगियों के लिए भी सरकार नए बजट में कई बदलाव कर सकती है। बताया जा रहा है कि वेतनभोगियों को मिलने वाली स्टैंडर्ड डिडक्शन के दरों में भी इजाफा किया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन, क्यों की गई थी इसकी शुरुआत और भारतीय वेतनभोगियों पर क्या असर डालती है ये नियम?
वित्त वर्ष 2005 के बजट से हटा दिया गया था ये नियम
2005 तक सभी वेतनभोगी इस नियम का लाभ उठाते थे। बाद में इसे खत्म कर दिया गया था। लेकिन बढ़ती महंगाई के चलते साल 2018 में सरकार ने इसे दोबारा लागू करने का फैसला किया। पहले तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत वेतनभोगियों को 40000 रुपयों का लाभ मिलता था लेकिन बाद में इसके दरों को बढ़ा कर 50000 रुपये कर दिया गया।
13 सालों बाद क्यों किया गया लागू?
स्टैंडर्ड डिडक्शन को समझने से पहले जानते हैं आखिर क्यों इस नियम को 13 सालों बाद वापस लागू किया गया। ऐसा माना जाता है कि भारत में इनकम टैक्स सैलरीड कर्मचारियों के पक्ष में कभी नहीं रही है। बिजनेसमैन और कंसल्टेंट अकसर तरह-तरह के खर्चे दिखाकर टैक्स बचा लिया करते हैं लेकिन टैक्स भरने के बाद वेतनभोगियों के हाथ में कुछ नहीं बचता है।
क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन?
अब जानते हैं कि क्या है ये स्टैंडर्ड डिडक्शन, दरअसल, ये एक ऐसी निर्धारित रकम होती है जो कि सैलरिड इंप्लॉय के सलाना वेतन से सीधे काटकर अलग कर दी जाती है। और बचे हुए रकम पर ही टैक्स के नियम लागू होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी वेतनभोगी की सलाना आय 500000 रुपए हैं तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 50000 रुपए काट कर अलग कर दिए जाएंगे और सिर्फ 450000 रुपयों पर ही टैक्स के नियम लागू होंगे।
इस नियम के जरिये कई वेतनभोगी तो टैक्स पेइंग कैटेगरी से भी बाहर हो जाते हैं। कई बार देखा गया है, जिस किसी का वेतन अगर टैक्स पेइंग कैटेगरी के निर्धारित सीमा के आस-पास होता है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन अमाउंट कटने के बाद वह टैक्स पेइंग कैटेगरी से भी बाहर हो जाते हैं।
Created On :   1 Feb 2025 12:39 AM IST