हाई कोर्ट का फैसला: मां की संरक्षण से नहीं किया जाएगा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को दूर, हाईकोर्ट ने पिता की याचिका को खारिज करते हुए किया बड़ा फैसला

मां की संरक्षण से नहीं किया जाएगा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को दूर, हाईकोर्ट ने पिता की याचिका को खारिज करते हुए  किया बड़ा फैसला
  • कोर्ट की तरफ से लिया गया बड़ा फैसला
  • पिता की याचिका की गई खारिज
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं किया जाएगा मां से दूर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच साल से कम वर्ष के बच्चों की उम्र को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। कोर्ट ने मां को बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक बताया है। कोर्ट का कहना है कि, अगर बच्चा पिता के साथ खुश है तब भी मां से उसकी संरक्षता कोई नहीं छीन सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने पांच साल से कम उम्र की बेटी की कस्टडी के लिए दायर की गई पिता की याचिका को खारिज कर दिया है।

    कहां की है अर्जी?

    ये अर्जी मेरठ के रहने वाले अमित की तरफ से दाखिल की गई है। बता दें, अमित की साल 2010 में शादी हुई थी, जिसके बाद साल 2013 में उनके एक बेटे और साल 2020 में बेटी का जन्म हुआ था। जिसके बाद, दोनों पति-पत्नी में विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद, पति ने कोर्ट में क्लांत की अर्जी दाखिल कर दी थी और पत्नी ने पांच साल की बेटी की कस्टडी के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी थी।

    मां है बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक

    जिसके बाद, फैमिली कोर्ट ने पत्नी की अर्जी स्वीकार करते हुए कस्टडी पत्नी को दे दी है। इस फैसले को चुनौती देते हुए अमित ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिस पर जस्टिस अश्विनी कुमार और जस्टिस डी रमेश की खंडपीठ ने सुनवाई की थी। अमित कुमार ने दलील दी है कि, पिता अपनी बेटी को बहुत प्यार करते हैं। बेटी उनकी लाडली है और वो खुशी-खुशी पिता के साथ रह रही है। ऐसे में अगर बेटी की कस्टडी मां को दी जाती है तो उन्हें सदमा लगेगा।

    पत्नी के वकील ने किया दलील का विरोध

    अमित की इस दलील का पत्नी के वकील ने विरोध करते हुए कहा है कि, कानूनी रूप से मां ही बच्ची की प्राकृतिक रूप से संरक्षक हैं। इसके बाद कोर्ट ने कहा है कि, पति की तरफ से पत्नी पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया है जिससे ये साबित हो कि, बेटी मां के सात रहना उसके हित में ना हो। मां नाबालिग बेटी की प्राकृतिक रूप से संरक्षकर होती है। अलग होने के बाद से बेटी पिता के साथ रह रही है, इस आधार पर उसकी कस्टडी पिता को नहीं दी जा सकती है।

    Created On :   17 Jan 2025 5:06 PM IST

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