सुप्रीम कोर्ट में 'इतिहास': सुप्रीम कोर्ट में मूक-बधिर वकील ने की पैरवी, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने की पहल की तारीफ, इस तरह पेश हुई मिसाल
- सारा सनी ने रचा इतिहास
- सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने वाली पहली मूक-बधिर वकील बनी सारा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में 22 सितबंर 2023 का दिन काफी अहम रहा था। इस दिन चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने एक ऐसे मामले की सुनवाई की, जिसकी पैरवी किसी मूक-बधिर ने सांकेतिक भाषा में की। इस सुनवाई में बधिर वकील की सहायता दुभाषिया सौरव रॉयचौधरी ने की थी। जिसकी अब जमकर तारीफ हो रही है। वर्चुअल कोर्ट में अपने पहले मामले की पैरवी कर रही बधिर वकील का नाम सारा सनी है। सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख कर उन्होंने कामयाबी की एक नई लकीर खींचने का काम किया है। उनके इस काम की चारों तरफ सराहना हो रही है।
जानकारी के मुताबिक, शुरुआत में ऑनलाइन कोर्ट के मॉडरेटर ने दुभाषिए को वीडियो ऑन करने की परमिशन नहीं दी थी। लेकिन बाद में सीजेआई के हस्तक्षेप करने पर इसे वर्चुअल कोर्ट में आने की इजाजत दे दी थी। सारा सनी के लिए ये सारी व्यवस्थाएं एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संचिता ऐन ने की थी। दिव्यांगों को इस तरह मौका देने के लिए चीफ जस्टिस इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की इस पहल को मील का पत्थर माना जा रहा है।
कौन हैं सारा सनी?
सारा एक दिव्यांग हैं, जो बचपन से ही सुन और बोल नहीं सकती हैं। लेकिन माता-पिता के सपोर्ट से आज अच्छी मुकाम पर हैं। सारा बेंगलुरु के सेंट स्टीफन कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री हासिल की हुई हैं और अपने सीनियर संचिता के निगरानी में शीर्ष अदालत में ही प्रैक्टिस कर रही हैं।
बीबीसी के अनुसार, लॉ की डिग्री मिलने के बाद सारा ने कर्नाटक की एक जिला अदालत से अपने करियर की शुरुआत की। लेकिन तब सारा को जजों ने दुभाषिया उपलब्ध कराने नहीं दिया था। जिसके पीछे के कारण दुभाषिय को कानून की ज्यादा समझ नहीं बताई गई थी। लेकिन सनी ने हार नहीं मानी और आज उनका सफर सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है, जो काफी प्रेरणा देने वाली है।
Created On :   2 Oct 2023 7:55 PM IST