किसान आंदोलन: चौथे दिन भी शंभू बॉर्डर पर जारी रही पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़, एएसआई ने गवाई जान, एक किसान की हुई मौत

चौथे दिन भी शंभू बॉर्डर पर जारी रही पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़, एएसआई ने गवाई जान, एक किसान की हुई मौत
  • शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं किसान
  • चौथे दिन भी जारी रही किसानों और पुलिस के बीच तनातनी
  • सब इंस्पेकटर और किसान की हुई मौत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसानों को हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर से खदेड़ने और उन्हें दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी ताकत झौंक रहा है। इसके लिए पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले भी दागे। इस बीच पुलिस और किसानों की मुठभेड़ के चलते शुक्रवार को अंबाला शंभू बॉर्डर पर तैनात जीआरपी के एएसआई की मौत हो गई है। एएसआई की मौत आंसू गैस के गोले से दम घुटने के कारण हुई है। जानकारी के अनुसार, एसआई हीरालाल पानीपत के चुलकाना गांव के रहने वाले थे, जिनकी पोस्टिंग जीआरपी समालखा चौकी में हुई थी। किसान आंदोलन के दौरान हीरालाल की पोस्टिंग अंबाला में कर दी गई थी। यहां पर किसानों को रोकने के लिए दागे गए आंसू गैस के गोलों से एसआई का दम घुट गया और उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद हीरालाल के शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर कार्रवाई में जुट गई है। बता दें, शंभू बॉर्डर पर शुक्रवार को भी तनाव का माहौल बन हुआ था। दिनभर पुलिस और किसान के बीच संघर्ष जारी रहा। किसानों को बॉर्डर पार करने से रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़ गए थे।

एक किसान की भी हुई मौत

उधर, आंदोलन के दौरान गुरदासपुर के किसान को हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। किसान का नाम ज्ञान सिंह बताया गया है। जानकारी के अनुसार, 65 साल के ज्ञान सिंह गुरदासपुर जिले के चाचौकी गांव के निवासी थे। ज्ञान सिंह पर बैंक से 3 लाख रुपये का कर्ज भी चढ़ा हुआ था। कर्ज माफी के चलते उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया था। आंदोलन के दौरान 14 फरवरी की शाम को उन्हें हार्ट अटैक आ गया था। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के दौरान 16 फरवरी को उनकी मौत हो गई। इसके बाद पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल में उनकी शव का पोस्टमार्टम कराया गया था।

किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से रखी मांग

ज्ञान सिंह को लेकर किसान नेता हरविंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने साल 2020 में हुए किसान आंदोलन में शामिल हुए थे। केंद्र सरकार की ओर से मांगे पूरी की जाने पर वह घर चले गए थे। पिछले 22 साल से ज्ञान सिंह किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्य रह चुके थे। शंभू बॉर्डर पहुंचने के लिए ज्ञान सिंह 11 फरवरी को घर से निकले थे। किसान नेता का कहना है कि ज्ञान सिंह और उनका बड़ा भाई बेहद गरीब हैं। उनके परिवार के पास सिर्फ किला जमीन ही हैं। इस जमीन पर वह खेती किसानी करते हैं और बड़ी मुश्किल से रोटी-पानी की व्यवस्था कर पाते हैं। हरविंदर सिहं ने ज्ञान सिंह के परिवार के लिए पंजाब और केंद्र सरकार से उचित मुवाआजा प्रदान करने की मांग रखी है। इसके अलावा किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने भी सरकार से मृतक के परिवार को 20 लाख की आर्थिक मदद की बात कही है। साथ ही, परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाने पर भी जोर दिया है।

Created On :   17 Feb 2024 12:21 AM IST

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