लोकसभा चुनाव 2024: इस दिन होगा चुनाव की तारीख का एलान, जानिए निर्वाचन आयोग कैसे तय करता है चुनाव की तारीख
- इस दिन होगा चुनाव की तारीख का एलान
- जानिए कैसे तय होती है चुनाव की तारीख
- 16 अप्रैल से देश में चुनाव होने संभावना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में निर्वाचन आयोग आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है। क्या 16 अप्रैल से देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं? कुछ दिन से सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग का एक लैटर खूब वायरल हो रहा है। जिसके बाद चुनाव तारीख को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने इस बात को नकारते हुए यह स्पष्ट किया है कि यह जरूरी नहीं कि इसी तारीख से मतदान शुरु हों।
वायरल दावे का सच
सोशल मीडिया में वायरल हो रही चुनावी तारीखों पर चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा चुनाव की संभावित तारीख पर एक सुझाव है। यह तारीख इसलिए दी गई है जिससे अधिकारी जिला स्तर पर चुनाव की योजनाओं को समय रहते पूरा कर सकें और व्यवस्था बना सकें। बहरहाल, चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक तारीखों को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन पिछले चार लोकसभा चुनाव और संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुसार देखें तो हम चुनाव की संभावित तारीखों का अंदाजा लगा सकते हैं।
कैसी तय की जाती है लोकसभा चुनाव की तारीख?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के मुताबिक लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा चुनावों का आयोजन भारत का निर्वाचन आयोग करता है।
निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी होती है कि वह संविधान में दिए निर्धारित समय-सीमा के अंदर चुनाव पूरा कराए। निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव की तारीख तय करने में प्रमुख रूप से काम करता है।
लोकसभा में सभी सदनों का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। और कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही नए चुनाव कराए जाते हैं। निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव की तारीख इस प्रकार निर्धारित करता है जिससे संविधान में दी गई समय-सीमा का उल्लंघन भी न हो।
तारीख चुनते समय किन बातों को ध्यान में रखता है निर्वाचन आयोग?
निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीख तय करते वक्त कुछ विशेष परिस्थियों का भी ध्यान रखता है।
1. चुनाव की तारीख ऐसी होनी चाहिए कि जिस क्षेत्र में मतदान किया जाना है वहां ज्यादा गर्मी या बारिश न हो। ताकि मतदान प्रभावित न हो सके।
2. निष्पक्ष रूप से चुनाव संपन्न हो यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसी तारीख चुनी जाती है जिससे किसी भी राजनीतिक पार्टी को अनुचित लाभ न मिल सके।
3. तारीख चुनते वक्त निर्वाचन आयोग धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय अवकाश, खास परीक्षाओं की तारीख और सुरक्षा बलों की उपलब्धता को भी ध्यान में रखता है।
मतदान से इतने दिन पहले होती है तारीख की घोषणा
लोकसभा के पिछले चार चुनाव 2019, 2014, 2009 और 2004 पर गौर करें, तो निर्वाचन आयोग ने तारीख के ऐलान और मतदान के बीच करीब 40 से 50 दिनों का अंतर रखा है। 2019 का लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में हुए थे, पर निर्वाचन आयोग ने मार्च की शुरूआत में ही चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी थी। 2004 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो चुनाव आयोग ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की तारीख भी मार्च के पहले सप्ताह में घोषित कर दी थी। 2004 में मार्च शुरू होने के कुछ दिन पहले 29 फरवरी को तारीखों का ऐलान कर दिया गया था।
पिछले लोकसभा चुनावों के आधार पर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी मार्च के पहले सप्ताह में तारीख की घोषणा हो सकती है। इस बार का आंकलन है कि 2024 में 18वीं लोकसभा के सदस्य चुनने के लिए अप्रैल से मई के बीच वोटिंग की प्रक्रिया चल सकती है। मार्च से मई के बीच का वक्त मौसम के लिहाज से भी अनुकूल रहता है। चुनाव पांच से सात चरण में हो सकते हैं।
किस राज्य में किस-किस चरणों में हो सकते हैं चुनाव?
जिन राज्यों में लोकसभा सीटें अधिक होती हैं वहां कई चरणों में चुनाव होते हैं। जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल। जबकि कुछ छोटे राज्यों में जहां लोकसभा सीटें बहुत कम हैं वहां चुनाव एक या दो चरणों में खत्म हो जाते हैं। जैसे दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, बिहार, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड।
संभवत: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे चरण और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाकी के चरणों में चुनाव होंगे।
जानिए पिछले लोकसभा चुनाव की रिपोर्ट्स के आधार पर किस चरण में चुनाव हो सकते हैं।
1. पहला चरण – जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, सिक्कम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान, लक्षदीप।
2. दूसरा चरण – आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडाशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी।
3. तीसरा चरण – असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव।
4. चौथा चरण – बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल
5. पांचवा चरण – राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश।
6. छठा चरण – बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली एनसीआर।
7. सातवां चरण – उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश।
चुनाव नतीजे
समान्य तौर पर आखिरी चरण के चुनाव के बाद तीसरे या चौथे दिन चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में 23 मई को नतीजे घोषित कर दिए गए थे। जबकि 2014 और 2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजे 16 मई को आ गए थे। 2004 में 13 मई को रिजल्ट आया था। पिछले चुनावों के डेटा के आधार पर यह माना जा सकता है कि 2024 में भी 13 से 23 मई के बीच इलेक्शन के रिजल्ट आ सकते हैं। मई में वोटों की काउंटिंग के बाद लोकसभा की 543 सीटों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
आचार संहिता
आमतौर पर लोकसभा या विधानसभा की तारीख की घोषणा के साथ ही निर्वाचन आयोग की तरफ से पूरे देश या उस राज्य में आचार संहिता लगा दी जाती है। 1962 के लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने पहली बार आचार संहिता लागू की थी। ऐसा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मार्च के पहले सप्ताह से आचार संहिता लग सकती है।
क्या हैं नियम?
1. आचार संहिता लगने के बाद संसद या विधानसभा सदन में कोई भी नया बिल पेश नहीं किया जा सकता।
2. कोई भी राजनीतिक पार्टी या चुनाव का उम्मीदवार अपने प्रचार प्रसार के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग नहीं कर सकता।
3. राजनीतिक पार्टी वोटर्स के लिए मतदान केंद्र पर आने जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं कर सकते।
4. केंद्र या राज्य सरकार कोई नई योजना का ऐलान नहीं कर सकती।
5. आचार संहिता के तहत कोई भी पार्टी या चुनाव का उम्मीदवार किसी भी ऐसी चीज में शामिल नहीं हो सकता जिससे लोगों के बीच नफरत पनपे या दो जातियों और समुदायों के बीच तनाव पैदा हो।
6. किसी भी तरह के धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता।
7. वोटर्स को रिझाने के लिए उन्हें रिश्वत देना, उन्हें वोट डालने पर मजबूर करना, मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में प्रचार करना चुनाव कानून के मुताबिक अपराध है। अगर कोई भी उम्मीदवार चुनाव के लिए बने नियमों का अनुपालन करता है तो उस प्रत्याशी का नामांकन रद्द किया जा सकता है।
Created On :   27 Jan 2024 7:46 PM IST