चंद्रयान की कामयाबी पर चीन फुलाया मुंह, पाकिस्तान ने की तारीफ, अब समझिए G-20 की बैठक में इस सफलता के बाद कैसे बदलेगी भारत की स्थिति?

चंद्रयान की कामयाबी पर चीन फुलाया मुंह, पाकिस्तान ने की तारीफ, अब समझिए G-20 की बैठक में इस सफलता के बाद कैसे बदलेगी भारत की स्थिति?

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करके अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 ने बुधवार की शाम को अपने निर्धारित समय 6 बजकर 04 मिनट पर सफलतापूर्वक लैंडिग की। इसी के साथ भारत चंद्रयान-3 के जरिए चांद की दक्षिणी ध्रुव की सतह पर कदम रखने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर अमेरिका और रूस ने भी अपने अखबारों में चंद्रयान-3 की सफलता को बताया है। वहीं, भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने भी अपने अखबारों में चंद्रयान-3 की सफलता पर खुशी जाहिर की है। लेकिन इन सभी के बीच चीन भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर चुप्पी साधे रहा। साथ ही, चीनी मीडिया ने भारत की इस उपलब्धि पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।

    चीन का भारत के मून मिशन की सफलता पर किए गए इस रवैये ने जानकारों को भी अचंभे में डाल दिया है। ऐसा नहीं है कि चीनी मीडिया ने इस संदर्भ में पहले कभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न की हो। हाल ही में चीन ने रूस के मून मिशन लूना 25 की नाकामयाबी को लेकर चीनी मीडिया ने इसकी प्रशंसा की थी। चीन ने रूस के मून मिशन से जुड़ी एक खबर अपने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित की थी। जिसमें बताया गया था कि रूस का मून मिशन भले ही नाकाम क्यों न रहा हो, लेकिन रूस को किसी से कम समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

    ऐसे में चीन के अखबार में भारत के चंद्रयान-3 की कामयाबी पर कुछ भी ना कहने से कई सवाल खड़े हो जाते हैं। इससे पहले भी साल 2017 में जब भारत ने पहली ही बार 104 सैटेलाईट्स सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था। तब भी चीन को भारत की यह सफलता हजम नहीं हुई थी। उस वक्त चीन ने यह कहा था कि इस मिशन में भारत भले ही कामयाब हो गया है, लेकिन अंतरिक्ष की दुनिया में वह अमेरिका और चीन से बेहद पीछे है।

    इसके अलावा भारत की इस सफलता पर चीनी अखबार का कहना था कि अंतरिक्ष की दुनिया में कामयाबी को नंबर के हिसाब से नहीं गिना जाता। इस समय स्पेस सेंटर बनाने के लिए भारत के पास ऐसा कोई भी प्लान रेडी नहीं है। यहां तक की अंतरिक्ष में भारत का कोई भी एस्ट्रोनॉट भी मौजूद नहीं है।

    पड़ोसी देश नेपाल की बात करें तो उसने भारत के चंद्रयान 3 मिशन की सफलता को लेकर काफी खुशी जाहिर की है। वहीं, जानकारों का कहना है कि चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत के लिए एशिया और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में वे इसे सकारात्मक अवधारणा के लिहाजे से देख रहे हैं। इसके अलावा ऐसा भी कहा जा रहा है कि चंद्रयान 3 के सफलतापूर्वक लैडिंग के बाद से अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की अलग पहचान निकल कर सामने आई है। रूस, अमेरिका और चीन के अलावा भारत चांद पर लैंडिग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

    1. तकनीक के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा रूस

    दुनिया में चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाला देश रूस वर्तमान समय में तकनीक की दुनिया में पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। बता दें कि तकरीबन डेढ़ सालों से रूस यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी हुई है। इस युद्ध का असर रूस की सेना पर दिखाई दे रहा है। रूस के रक्षा मंत्रायल के अनुसार, डेढ़ साल से जारी इस युद्ध में रूस अपनी सेना के 2 लाख 58 हजार सैनिकों की मौत का खामियाजा भुगत चुका है। इसके अलावा युद्ध में रूस के 315 प्लेन और 316 हेलिकॉप्टर यूक्रेनी सेना द्वारा ध्वस्त किए जा चुके हैं। साथ ही, रूस के 8488 टैंक और 5318 आर्टिलरी सिस्टम इस युद्ध में पूरी तरह से तहस-नहस हो चुके हैं।

    इस युद्ध को जीतने के चक्कर में रूस यूक्रेन का वो हिस्सा भी खो बैठा है, जो उसने युद्ध की शुरूआत में अपने कब्जे में लिया था। इस भयंकर युद्ध में रूस की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से हिल गई है। ऐसी स्थिति में रूस का मून मिशन लूना 25 फेल हो जाना किसी सदमे से कम नहीं है। रूस अपने मून मिशन लूना 25 को चांद पर भेज कर चंद्र ध्रुवीय रेजोलिथ (सतह की सामग्री) की बनावट पर रिसर्च करना चाहता था। साथ ही, रूस चांद की चंद्र ध्रुवीय बाह्यमंडल और चांद की सतह पर मौजूद मिट्टी की स्टडी करने के लिए काफी इच्छुक था। जिस कारण रूस के कई प्रयासों पर पानी फिर जाने से चीन के लिए चिंता का विषय है।

    चीन की बात करें तो वह हमेशा से ही अमेरिका पर रूस के नाम पर धौंस जमाते आया है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर से देखा जाए तो रूस का भारत से काफी अच्छा नाता रहा है। गौरतलब है कि, अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से रूस के साथ चीन और भारत के रिश्तों में काफी अंतर है। जहां चीन रूस से दोस्ती सिर्फ दहश्त फैलाने के लिए ही देखी गई है तो वहीं दुनिया में रूस और भारत की दोस्ती को रचनात्मक तालमेल के नजरिए से देखा जाता है।

    2. अमेरिका के अखबारों में छाया चंद्रयान 3

    भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलता को अमेरिका ने काफी सराहा है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा गया कि रूस के मिशन मून के फेल होने के बाद भारत का मून मिशन चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक चांद पर पहुंच गया है। अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव में पहुंच कर एक रिकॉर्ड कायम किया है। अखबार में आगे बताया गया कि मिशन चंद्रयान 3 के सफल होने के बाद भारत का अब अगला मिशन शुक्र और मंगल ग्रहों से संबधित रहेगा। इतना ही नहीं भारत वैज्ञानिकों के पराक्रमों से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और भी ज्यादा मुखर हो सकता है।

    इसके अलावा वाशिंगटन पोस्ट ने अपने अखबार में भी चंद्रयान 3 को लेकर खबर छापी। जिसमें उन्होंने विश्लेषकों का जिक्र करते हुए कहा कि अंतरिक्ष से जुड़े कार्यक्रमों के लिए भारत अपने देश की अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षेत्रों में मजबूती ला रहा है। ऐसा करके भारत ने चंद्रयान 3 के जरिए चीन से टक्कर लेने का प्रयास किया है।

    वहीं, ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में छपी खबर के मुताबिक, चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग करके भारत ने अंतरिक्ष शक्ति को दर्शाने का प्रयास किया है। ऐसा भारत की सरकार द्वारा इसलिए किया गया है क्योंकि सरकार ने हमेशा निजी अंतरिक्ष प्रक्षेपण और संबंधित उपग्रह-आधारित से जुड़े व्यवसायों में निवेश को बढ़ाना की कोशिश की है।

    3. चंद्रयान 3 से पहले चांद पर इस जगह नहीं की लैंडिंग

    भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन जैसे देश चांद पर पहुंचने का जश्न मना चुके हैं। लेकिन चांद की अदृश्य दक्षिणी ध्रुव में लैंडिंग कर भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचा दिया है। इसरो ने बताया कि आने वाले 14 दिनों तक चंद्रयान चांद पर भ्रमण करेगा। चांद की स्थिति के बारे में जानकारों ने बताया कि दक्षिणी ध्रुव गड्ढों और खाईयों से भरा है। भारत चंद्रयान मिशन से डेटा हासिल करके भूविज्ञान और धरती की बनने से और पानी में बर्फ की मौजूदगी की जांच करेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि सभी चीजें सकरात्मक तरीके से पूरी होती है तो भविष्य के लिए यह स्थल किसी आशा से कम नहीं होगा।

    4. पाकिस्तान और नेपाल में गूंजी चंद्रयान 3 की गूंज

    बता दें, पाकिस्तान और नेपाल की सियासत में चीन काफी समय से असर डाल रहा है। ऐसे में भारत के चंद्रयान 3 की सफलता की गूंज नेपाल और पाकिस्तान में भी सुनाई दे रही हैं। भारत के मून मिशन की कामयाबी के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने ट्विटर के जरिए भारत को बधाई दी है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने इसरो की सफलता को ऐतिहासिक बताया। इस बीच पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने भारत की इस सफलता को लेकर अपनी सरकार की आलोचना की।

    पाकिस्तान के पत्रकार मीर ने लिखा कि भारत चांद पर भी पहुंच गया और पाकिस्तान की सरकार अभी तक यह निश्चित नहीं कर सकीं कि संविधान के अंतर्गत चुनाव 90 दिन में होंगे या फिर 190 दिन में? वहीं, भारत के चंद्रयान मिशन को लेकर पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने पाकिस्तान सरकार से चंद्रयान 3 की चांद पर लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग दिखाने की बात रख दी।

    5. ब्रिक्स में रख गया अंतरिक्ष अन्वेषण संघ बनाने का प्रस्ताव

    जिस क्षण चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके भारत में इतिहास रचने वाला था। तब इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स में सम्मिलित होने के लिए साउथ अफ्रीका में उपस्थित थे। भारत की इस ऐतिहासिक सफलता पर ब्रिक्स मीटिंग में उपस्थित सभी सदस्यों ने भारत की खूब तारीफ की। भारत की इस खास उपलब्धि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स मीटिंग में मौजूद रहे सदस्यों के सामने अंतरिक्ष अन्वेषण संघ बनाने का प्रस्ताव रखा। जिसके लिए मीटिंग में शामिल सभी सदस्यों ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति व्यक्त की।

    जानकारों के अनुसार, ब्रिक्स मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाया गया ये प्रस्ताव यदि स्वीकार होता है तो अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक बड़े पैमाने में उभर कर आ सकता है। क्योंकि, वर्तमान समय में भारत कम खर्चें में अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम कर रहा है। बता दें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन ब्रिक्स में रूस, ब्राजिल, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन जैसे देश शामिल है।

    6. जी20 बैठक से पहले भारत को मिली बड़ी कामयाबी

    इस साल भारत में जी 20 का आयोजन सितंबर महीने में होने वाला है। इस मीटिंग में उपस्थित होने के लिए अमेरिका और रूस जैसे सशक्त देशों के कई नेता मीटिंग में मौजूद होंगे। जिसके लिए भारत पिछले साल से जी 20 की तैयारियों में जुटा हुआ है।

    हाल ही में चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत के हौंसले पहले से कई ज्यादा बुलंद हो गए हैं। सितंबर में होनी वाली जी 20 बैठक में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत अपने आप को बतौर खिलाड़ी के नजरिए से देखेगा। जिसकी बागडोर केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के हाथों में थी।

    Created On :   25 Aug 2023 3:19 PM IST

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