उत्तराखंड: चार धाम यात्रा मार्ग पर 55 पुराने भूस्खलन क्षेत्र की पहचान की
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- आगामी जोखिमों को कम करने में मदद करेगी रिपोर्ट
- उत्तराखंड आपदा प्रबंधन अथॉरिटी ने की पहचान
- रिपोर्ट में ऋषिकेश से चार धाम तीर्थस्थलों तक फैले मार्ग भी शामिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन अथॉरिटी ने चार धाम यात्रा मार्ग पर 55 पुराने भूस्खलन क्षेत्र की पहचान की है। अथॉरिटी के भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र ने इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। जिसका वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण किया जा रहा है। रिपोर्ट में ऋषिकेश से चार धाम तीर्थस्थलों तक फैले मार्ग भी शामिल है। ।
आपको बता दें अक्टूबर महीने में शुरू की गई जांच का मकसद चार धाम यात्रा मार्ग पर लैंडस्लाइड को कवर करते हुए एक डिटेल रिपोर्ट तैयार करना है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट से आगामी भविष्य में सामने आने वाली संभावित खतरों से बचा जा सकेगा,साथ ही तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए समय पर बचाव कार्य करने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें चार धाम यात्रा पर लैंडस्लाइड के लिए जिन्हें संवेदनशील जोन माना गया है, उनमें पौड़ी जिले के पागलनाला, लामबगड़, पीपलकोटी, पातालगंगा, बिराही, जोशीमठ क्षेत्र, देवप्रयाग, कौड़ियाला, तोता घाटी शामिल हैं
उत्तराखंड स्टेट आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के सचिव विनोद कुमार सुमन ने इंडिया टुडे को जानकारी देते हुए बताया कि चार धाम यात्रा मार्ग पर हॉटस्पॉट की पहचान की जा रही है। इस दौरान सभी क्षेत्रों की स्टडी की जा रही है, भूस्खलन की प्रकृति जानने के लिए सभी जोन के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
हाई-रिस्क भूस्खलन जोन्स की निगरानी के लिए, प्राधिकरण नभनेत्र का यूज कर रही है। जो भूस्खलन पर रियल टाइम जानकारी इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक स्पेशल ड्रोन है। इस पहल का उद्देश्य मॉनसून के मौसम के दौरान यातायात जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना है।
Created On :   22 Dec 2024 10:55 AM IST