राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव: सभापति धनखड़ हैं अपनी कुर्सी पर सेफ, तब भी क्यों विपक्ष की तरफ से लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव? समझिए पूरी वजह
- नहीं जाएगी जगदीप धनखड़ की कुर्सी
- विपक्ष की तरफ से लाया जा रहा है अविश्वास प्रस्ताव
- राजनीतिक इतिहास में पहली बार राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की राज्यसभा के सभापति के लिए विपक्षी दल की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी जोरों पर है। हालांकि, इस अविश्वास प्रस्ताव लाने से हो सकता है कोई फायदा ना मिले। लेकिन फिर भी इंडिया गठबंधन की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। ये विपक्ष दल के नेताओं को भी मालूम है की धनखड़ को हटाना एक बड़ा टास्क हो सकता है। क्योंकि विपक्ष का संख्याबल इस प्रक्रिया के लिहाज से सदन में कम है। फिर भी क्यों विपक्ष दलों की तरफ से ये अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। जानें इसके पूरे प्रोसेस के बारे में विस्तार से।
सभापति को हटाने का प्रोसेस
राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एक प्रोसेस होता है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 67-A के तहत लाया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सासंदों की सहमति के साथ उनके हस्ताक्षर लगते हैं। सबसे पहले राज्यसभा में ये प्रस्ताव पेश किया जाता है। जिसके पास होने के बाद ही ये लोकसभा में जाता है। लोकसभा में पारित होने के बाद ही सभापति अपनी कुर्सी से हटते हैं।
क्यों है विपक्ष धनखड़ को हटाने में असफल?
राज्यसभा के सभापति के खिलाफ आए हुए अविश्वास प्रस्ताव को सदन से पारित कराने के लिए एक साधारण बहुमत की जरूरत होती है। बता दें, राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं, लेकिन अभी 231 सदस्य ही हैं। इसलिए 14 सीटें खाली पड़ी हैं, जिन पर आने वाले समय में जल्दी ही चुनाव होंगे। अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए इंडिया गठबंधन को राज्यसभा में करीब 116 सांसदों की जरूरत होगी। हालांकि, उनके पास केवल 86 सांसद हैं। एनडीए के पास 113 सीटें हैं। जिससे ये पता चलता है कि, अविश्वास प्रस्ताव राज्यसभा में ही गिर जाएगा और लोकसभा तक भी नहीं पहुंच पाएगा।
क्यों लाया गया ये प्रस्ताव?
विपक्षी नेता बहुत अच्छे से जानते हैं कि, अविश्वास प्रस्ताव से सभापति जगदीप धनखड़ की कुर्सी कहीं नहीं जाने वाली है। इंडिया गठबंधन के नेता इस पत्र को सांकेतिक मान रहे हैं। इंडिया के नेताओं का आरोप है कि सभापति जगदीप धनखड़ बहुत ही ज्यादा पक्षपातपूर्ण से संसद चलाते हैं।
क्या विपक्ष को बिखरने का डर?
ऐसा भी माना जा रहा है कि इस अविश्वास प्रस्ताव के सहारे विपक्ष खुद ये देखना चाहता है कि वो कितना एकजुट है। अडानी के मुद्दे पर टीएमसी की ममता बनर्जी ने अलग सुर अलापना शुरू कर दिए हैं। उनकी पार्टी से ये आवाज भी उठने लगी है कि इंडिया गठबंधन का नेता ममता बनर्जी को ही बनाया जाना चाहिए। लगातार मिल रहे इस फूट के संकेत के बाद विपक्ष को खुद अपनी ताकत को जांचना जरूरी हो गया है। इसलिए ये अविश्वास प्रस्ताव एक तरह से इंडिया गठबंधन की एकजुटता का ही लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है।
Created On :   11 Dec 2024 5:29 PM IST