बिहार में जातिगत सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार, कहा - जनगणना नहीं करवा सकती राज्य सरकार, यह हमारा अधिकार
- बिहार जातिगत सर्वे को लेकर केंद्र का बड़ा बयान
- कहा - जनगणना केवल केंद्र का अधिकार
- संविधान का दिया हवाला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में जातिगत सर्वे को लेकर केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया। अपने जवाब में केंद्र ने कहा, संविधान के तहत जनगणना केंद्रीय सूची का विषय है। केंद्र सरकार ने कहा कि सेंसस एक्ट, 1948 भी यह कहता है कि देश या राज्य में जनगणना करवाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है राज्य सरकार को नहीं।
केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के विचार के लिए संवैधानिक और कानूनी स्थिति रखते हुए बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया। जिसमें कहा गया है कि जनगणना का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रविष्टि 69 के तहत संघ सूची में शामिल है और जनगणना अधिनियम, 1948 केवल केंद्र सरकार को जनगणना करने का अधिकार देता है।"
हलफनामे में आगे कहा गया, "यह प्रस्तुत किया गया है कि संविधान के तहत केंद्र को छोड़कर कोई भी अन्य निकाय जनगणना या ऐसी कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है।" इस हलफनामे में यह भी साफ किया गया कि केंद्र सरकार भारत के संविधान और अन्य लागू कानूनों के प्रावधानों के अनुसार एससी/एसटी/एसईबीसी और ओबीसी के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बता दें कि 21 अगस्त को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा केंद्र का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की थी।
याचिकार्ताओं ने की मांग
पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने मामले की पिछली सुनवाई में कहा था सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका लंबित होने तक सर्वे की पूरी जानकारी प्रकाशित नहीं करने का राज्य सरकार को निर्देश जारी हो सकता है। नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की तरफ से दायर एक अन्य याचिका में दलील दी गई है कि संविधान के मुताबिक सिर्फ केंद्र सरकार ही देश के किसी भी हिस्से में जनगणना करा सकती है।
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातिगणना के मामले को लेकर सुनाए अपने फैसले में कहा था कि, "हम राज्य की कार्रवाई को पूरी तरह से वैध पाते हैं, जो न्यायपरक विकास प्रदान करने के वैध उद्देश्य के साथ उचित क्षमता से शुरू की गई है।"
Created On :   28 Aug 2023 6:11 PM GMT