FCRA लाइसेंस हुआ जारी: बांके बिहारी मंदिर में विदेशी भक्त भी दे पाएंगे दान, मंदिर को मिला FCRA लाइसेंस
- केंद्र सरकार ने लिया बांके बिहारी मंदिर को लेकर फैसला
- FCRA लाइसेंस किया जारी
- बांके बिहारी मंदिर में कर पाएंगे विदेशी भक्त दान
मंदिर का प्रबंधन हो रहा है कोर्ट की तरफ से
मिली जानकारी के मुताबिक, बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन वर्तमान में कोर्ट की तरफ से ही हो रहा है। मंदिर के प्रबंधन के लिए कोर्ट ने एक समिति बनाई थी जो कि इसके सारे कामकाज संभालती है। मंदिर पहले निजी प्रबंधन टिका था। पुजारियों के परिवार की तरफ से ही इसका प्रबंधन होता था।
कब हुआ था बांके बिहारी मंदिर का निर्माण?
बांके बिहार मंदिर का निर्माण 550 साल पहले हुआ था। तब से लेकर अब तक पीढ़ी तर पीढ़ी यहां की पूजा अर्चना का काम और प्रबंधन पुजारियों के परिवारों की तरफ से ही देखा जाता था। सेवायत गोस्वामी, सारस्वत ब्राह्मण और स्वामी हरिदास के वंशज इस मंदिर को चला रहे हैं। राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद ही इस मंदिर का प्रबंधन कोर्ट की तरफ से गठित समिति ही देख रही है।
FCRA रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी?
राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक, मंदिर के पास वर्तमान में सोने-चांदी और अन्य किमती सामानों के साथ ही 480 करोड़ रुपए का फंड भी है। जिसमें कई विदेशी फंड भी शामिल हैं। इस विदेश दान का उपयोग करने और आगे भी दान प्राप्त करने के लिए विदेशी अंशदान अधिनियम, 2010 के तहत रजिस्ट्रेशन की जरूरत है। क्योंकि FCRA, 2010 के तहत गैर सरकारी संगठन और समूहों को विदेश से किसी भी तरह का दान और फंड ले लेना अनिवार्य नहीं है। इसलिए ही विदेशी दान और फंड पाते रहने के लिए ही FCRA लाइसेंस बहुत ही जरूरी है।
Created On :   25 Jan 2025 4:15 PM IST