बांग्लादेश हिंसा का असर: हिंदुओं पर हमलों को देखते हुए असम के होटलों और रेस्तरां का बड़ा फैसला, बांग्लादेशी लोगों पर लगाई रोक
- बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा जारी
- हिंसा को देखते हुए असम में बड़ा फैसला
- होटलों और रेस्तरां में बांग्लादेशियों पर लगी रोक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोगों और मंदिरों में हिंसक हमलों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इसे लेकर भारत के कई राज्यों में हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच असम से बड़ी खबर सामने आई है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए बराक घटी के होटलों ने बांग्लादेशी नागिरकों के रोकने और अन्य सेवा देने पर बैन लगाना का फैसला लिया है। बांग्लदेश में हिंदुओं पर हमले और अत्याचर खत्म होने तक किसी भी बांग्लादेशी नागरिकों को सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे।
असम के होटलों में बांग्लादेशि्यों पर बैन
असम के बराक घाटी के अंतर्गत कछार, श्रीभूमि (पहले करीमंगज) और हैलाकांडी के तीन जिले आते हैं। यह घाटी बांग्लादेश के सिलहट इलाके के साथ 129 किलोमीटर लंबी बॉर्डर में आती है। इस संबंध में बराक घाटी होटल और रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबुल राय ने मीडिया से बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, "बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है। हम इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं कर सकते इसलिए हमने फैसला किया है कि जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता और हिंदुओं पर अत्याचार बंद नहीं हो जाते तब तक हम बराक घाटी के तीनों जिलों में पड़ोसी मुल्क के किसी भी नागरिक को अपने यहां नहीं रखेंगे। यह विरोध जताने का हमारा तरीका है।"
इसके बाद उन्होंने कहा, "बांग्लादेश के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में स्थिरता लौट आए। अगर स्थिति में सुधार होता है तभी हम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं।" इससे पहले सिलचल में एक वैश्विक प्रदर्शनी आयोजित हुई। इस दौरान बजरंग दल ने आयोजकों से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हिंसक हमलों के खिलाफ बांग्लादेशी उत्पाद बेचने वाले दो स्टॉल बंद करने का मांग रखी थी। बाद में उनकी मांग को स्वीकार कर लिया गया था।
10 दिसंबर को आरएसएस की मार्च
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार को देखते हुए 10 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को सिविल सोसाइटी ऑफ दिल्ली के बैनर तले बांग्लादेश दूतावास तक मार्च निकाला जाएगा। आरएएस के एक अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली में 200 से ज्यादा सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि विरोध मार्च में हिस्सा लेंगे।
Created On :   7 Dec 2024 3:00 PM IST