मुश्किल में महुआ: क्या फिर से महुआ मोइत्रा को गंवानी पड़ेगी संसद की सदस्यता, नए मामले में केस दर्ज होने के बाद क्या मिल सकती है सजा?
- महुआ मोइत्रा पर केस दर्ज
- क्या फिर से सदस्यता पर है खतरा?
- क्या है सजा की समय सीमा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा फिर से खतरे में फंसती नजर आ रही हैं। उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने न्याय संहिता के तहत केस दर्ज कर लिया है। बता दें कि ये केस महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा पर असभ्य टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है। साथ ही न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारतीय न्याय संहिता के तहत दिल्ली पुलिस की ये पहली स्पेशल सेल की एफआईआर है।
मामले की जानकारी
बीते कुछ दिनों पहले यूपी के हाथरस में बड़ा हादसा सामने आया था। जिसमें भगदड़ मचने से 121 से ज्यादा मौतें हो गई थीं। जानकारी के अनुसार पता चला है कि मरने वालों में से सबसे ज्यादा महिलाएं थीं। वहीं, 4 जुलाई को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा हाथरस पहुंची थीं। इस दौरान एक व्यक्ति पीछे छाता लेकर चल रहा था। इसका वीडियो सामने आने पर टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस पर अभद्र टिप्पणी की थी। हालांकि, कुछ समय बाद महुआ मोइत्रा ने पोस्ट डिलीट कर दिया था। लेकिन महिला आयोग ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मांग की है। इसके साथ ही तीन दिन के भीतर एक्शन रिपोर्ट भी मांगी है।
न्याय संहिता के तहत दर्ज एफआईआर
महिला आयोग ने महुआ मोइत्रा पर आयोग लगाते हुए कहा है कि उनकी टिप्पणी ना केवल अपमानजनक थी बल्कि महिलाओं के सम्मान के अधिकार का भी उल्लंघन था। महिला आयोग ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नियमों को तोड़ने का भी आरोप लगाया है। महिला आयोग ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 के तहत केस दर्ज करने की मांग की है। जिसपे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने केस दर्ज कर लिया है।
सजा का समय भी जानें
भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 कहती है कि जो कोई भी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से कुछ बोलता है, आवाज निकालता है, इशारे करता है या फिर कुछ भी ऐसा करता है जिससे महिला के सम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचती है। ऐसे में दोषी पाए जाने वाले को जेल की सजा होगी। जिसमें जेल की सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं ऐसे मामले पर दोषी पाए जाने पर जुर्माने की सजा का भी प्रावधान है।
क्या सदस्यता पर है खतरा?
अगर किसी सांसद या विधायक को कानूनन किसी अपराधिक मामले में दो या दो से अधिक साल की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाती है। 1951 में आए जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाएगी। इसके अलावा सजा पूरी होने के बाद अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकता है। ऐसे में अगर महुआ मोइत्रा को इस मामले में दो या दो से अधिक साल की सजा हो जाती है तो उनकी लोकसभा की सदस्यता जाने का खतरा है।
Created On :   8 July 2024 3:25 PM IST