Wardha News: वर्धा निर्वाचन क्षेत्र में 13 चुनाव में महज 2 महिलाएं बनीं विधायक

वर्धा निर्वाचन क्षेत्र में 13 चुनाव में महज 2 महिलाएं बनीं विधायक
  • देवली के मतदाताओं ने प्रभाराव व सरोज काशीकर को दिया अवसर
  • प्रभाराव ने बखूबी निभाई सभी जिम्मेदारी
  • बागडोर संभालने को तैयार नारीशक्ति

Wardha News संजयकुमार ओझा . वर्धा जिले में चार विधानसभा क्षेत्र है। जिले का दुर्भाग्य हैं कि, 1962 से लेकर 2019 तक 13 बार हुए विधानसभा चुनाव में महज दो महिलाएं विधायक बनी हैं। जिसमें कांग्रेस की प्रभाराव व किसान संगठन की सरोज काशीकर का समावेश है। यह दोनों महिलाएं देवली निर्वाचन क्षेत्र से ही विधायक बनी है। वर्धा, हिंगणघाट व आर्वी इन तीन विधानसभा क्षेत्र से महिला नेतृत्व को आगे नहीं आने दिया है।

प्रभाराव कांग्रेस की वरिष्ठ नेता के रूप से ख्यातिप्राप्त थी। स्थानीय राजनीति से राष्ट्रीय स्तर तक उन्होने अपनी छाप छोडी थी। देवली विधानसभा से वे छह बार चुनाव लड़ी थी। उन्हें चार बार जीत मिली थी। वही दो बार पराजय का सामना करना पडा था। स्व. प्रभाराव 1972 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी थी। उस समय उन्हे जीत हासिल हुई थी। उसके बाद 1977 के चुनाव में भी उन्हे जीत हासिल हुई थी। 1980 में हुए चुनाव के में उन्हे माणिकराव सबाणे ने पराजीत किया था। 1985 में हुए चुनाव में प्रभाराव पुन विजयी हुई थी। 1990 में हुए चुनाव में किसान संगठन की सरोजताई काशीकर ने उन्हे पराजीत किया था। सरोज काशीकर जिले से विधायक बननेवाली दूसरी महिला बनी थी। 1995 में हुए चुनाव में स्व. प्रभाराव ने सरोज काशीकर को पराजित कर चौथी बार देवली विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया।

1999 में टोकस ने ठुकराया अवसर: प्रभाराव 1999 में सांसद बनने के बाद देवली विधानसभा से किसे टिकट दिया जाए। यह सवाल उठा था। उस समय प्रभाराव की पुत्री चारूलता टोकस को टिकट दिया जानेवाला था। लेकिन उन्होने स्वयं ही यह ऑफर ठुकराया था। उस समय कांग्रेस की ओर से रणजीत कांबले को टिकट दिया गया था। उसी वर्ष से रणजीत कांबले लगातार पांचवी बार विधायक बने है।

प्रभाराव का राजनीति में रहा वर्चस्व : प्रभाराव 1980 के चुनाव में पराजित होने के बाद उन्हे विधान परिषद पर लिया गया। उन्हे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया। राष्ट्रीय राजनीति में भी उन्होने महत्व की भूमिका निभायी। 2000 से 2002 तक वह भारतीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव रही। उस समय उनकी ओर सात राज्यों की जिम्मेदारी थी। वह तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सदस्य रही। साथ ही हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की राज्यपाल की जिम्मेदारी उन्होनें बखूबी निभायी।

Created On :   19 Oct 2024 3:17 PM GMT

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