शिक्षक दिवस के मौके पर व्हाट्सअप स्टेटस में लगाएं गुरु की महिमा का बखान करने वाले कबीर के ये प्रसिद्ध दोहे
- हर साल 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है
- शिक्षक हमे बेहतर इंसान बनाते हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिक्षा हमारे जीवन को न सिर्फ उद्देश्य देती है बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए हमें तैयार भी करती है। शिक्षा को हमारे जीवन में लाने का काम शिक्षक करते हैं। शिक्षक हमे बेहतर इंसान बनाते हैं और साथ ही नई ऊंचाइयों को छूने का हौसला देते हैं। जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं तो हर मोड़ पर हमारा मार्गदर्शन भी करते हैं। हर साल 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। हमें इस दिन, हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्व को स्वीकार करने और उनके प्रति अपने स्नेह और सम्मान को प्रकट करने का मौका मिलता है। गुरू के महत्व को कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ बयान किया जा सकता है। संत कबीर दास ने गुरू की महिमा को दोहों के जरिए व्यक्त किया है। आप इन दोहों को अपने व्हाट्सअप स्टेटस के माध्यम से शेयर कर सकते हैं। इन दोहों के साथ हैप्पी टीचर्स डे लिखकर आप अपने फेवरेट टीचर को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं भी दे सकते हैं।
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।।
अर्थ – संत कबीर दास ने इस दोहे में गुरु की महिमा का वर्णन किया है। वे बताते हैं कि जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े मिलें तब पहले किन्हें प्रणाम करना चाहिए। दोहे में वो कहते हैं कि, गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द से भी ऊंचा है।
सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब बनराय।
सात समुंदर की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय।।
अर्थ – कबीर कहते हैं कि अगर सारी धरती को कागज बना लिया जाये, पूरे जंगल की लकड़ियों को कलम और सातों समुद्र के जल को स्याही बना लिया जाये तो भी गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है।
तीरथ गए ते एक फल, संत मिले फल चार।
सद्गुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।
अर्थ – इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि तीर्थ में जाने से एक फल मिलता है। किसी संत से मिलने पर चार प्रकार के फल मिलते हैं। पर जीवन में अगर सच्चा गुरु मिल जाये तो समस्त प्रकार के फल मिल जाते हैं।
गुरु को सिर राखिये, चलिये आज्ञा माहिं।
कहैं कबीर ता दास को, तीन लोकों भय नाहिं।।
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु की आज्ञा को सर आँखों पर रख कर पालन करना चाहिए। ऐसे शिष्य को तीनों लोक में कहीं भी कोई भय नहीं है।
कुमति कीच चेला भरा, गुरु ज्ञान जल होय।
जनम – जनम का मोरचा, पल में डारे धोय।।
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि शिष्य की कुमति रुपी कीचड़ को धोने के लिए गुरु ज्ञान रुपी जल के समान हैं। वे शिष्य के जन्मों जन्मों की बुराइयों को पल में दूर कर देते हैं।
Created On :   5 Sept 2023 10:03 AM IST