इस टीचर्स डे पर अपने स्कूल या फिर कॉलेज फ्रैंड्स के साथ प्लान करें मूवी नाईट, साथ बैठकर देखें ये फिल्में, पुरानी यादें हो जाएंगी ताजा

इस टीचर्स डे पर अपने स्कूल या फिर कॉलेज फ्रैंड्स के साथ प्लान करें मूवी नाईट, साथ बैठकर देखें ये फिल्में, पुरानी यादें हो जाएंगी ताजा
  • इस शिक्षक दिवस पर याद करें पुराने दिन
  • अपने दोस्तों के साथ इन फिल्मों को करें एंजॉय

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शिक्षा हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीवन में उद्देश्य प्रदान करते हुए यह न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। यह जीवन में नए लक्ष्यों को निर्धारित करने और उसे प्राप्त करने में भी मदद करती है। शिक्षा हमारे जीवन में ज्ञान का ऐसा दीप जलाती है जिससे संपूर्ण व्यक्तित्व जगमगा उठता है।

शिक्षा को हमारे जीवन में शामिल करने का पूरा श्रेय शिक्षकों को जाता है। हमारे जीवन में शिक्षकों का योगदान अमूल्य होता है। संत कबीर दास का एक बहुत फेमस दोहा है-

"गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।"

इसमें कबीर दास ने गुरु को गोविंद यानी भगवान से भी उपर बताया है। क्योंकि गुरु ही हैं जो हमारा परिचय भगवान से कराते हैं। इसीलिए अगर गुरु और गोविंद साथ में खड़े हो तो सबसे पहले हमें गुरु को प्रणाम करना चाहिए।

हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करने और उनकी तरफ अपनी कृतज्ञता दर्शाने के लिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस को सारे देश में सेलिब्रेट किया जाता है।

स्कूल और कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स तो इसे शिक्षकों और दोस्तों के साथ सामूहिक रुप से अकेडमिक प्लेस पर मनाते हैं। लेकिन, औपचारिक पढ़ाई पूरी कर चुके लोग इसे मनाने के लिए अपने व्यस्त जीवन से समय नहीं निकाल पाते या समय के साथ इस तरह का सेलिब्रेशन किसी कारण के चलते उनकी लाइफ से गायब हो जाता है। आप चाहें तो आज भी इस दिन को अच्छी तरह से सेलिब्रेट कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने स्कूल और कॉलेज के सभी दोस्तों के साथ आप एक मूवी नाइट प्लान कर सकते हैं। इस खास दिन आप स्कूल, कॉलेज या शिक्षा से संबंधित फिल्में देखकर अपनी पुरानी यादें ताजा कर सकते हैं। हमारे पास आपके लिए कुछ फिल्मों की लिस्ट है, जिन्हें देखकर आप इस दिन को यादगार बना सकते हैं।

तारें जमीन पर (2007)


आमिर खान और दर्शील सफारी की यह फिल्म एक टीचर और स्टूडेंट के बीच के खूबसूरत रिश्ते की कहानी बयां करती है। दर्शील फिल्म में डिस्लेक्सिया से पीड़ित इशान नाम के एक बच्चे के किरदार में नजर आते हैं। बीमारी के कारण इसान को क्लास में बेसिक चीजें भी समझ नहीं आती है। खराब परफॉरमेंस के कारण जहां दूसरे टीचर्स और बच्चे उसे फिसड्डी समझते हैं वहीं एक टीचर निकुंभ (आमिर खान) उसके बीमारी को समझते हुए आगे बढ़ने में मदद करता है। एक तरफ जहां इशान के माता-पिता उसकी समस्या नहीं समझ पाते वहीं यह शिक्षक उसकी समस्या भी समझते हैं और उसके स्पेशल टैलेंट को भी दुनिया के सामने लेकर आते हैं। पूरे स्कूल के पेंटिंग कॉम्पीटीशन में इशान अव्वल आता है। शिक्षक के रुप में निकुंभ अपने स्टूडेंट इशान को एक नई दिशा देते हैं। फिल्म की कहानी आपका दिल जीत लेगी।

हिचकी (2018)


रानी मुखर्जी स्टारर यह फिल्म एक ऐसी टीचर की कहानी है जिसे टूरेट सिंड्रोम है। नैना माथुर नाम की महिला, जो कि फिल्म का मुख्य किरदार है उसे इस बीमारी के चलते लगातार हिचकी आती रहती हैं। इसके कारण नैना को टीचर बनने की कोशिश में 18 बार निराशा हाथ लगती है। 19वीं बार टीचर के तौर पर सेलेक्ट किया जाता है। टीचर के तौर पर नैना के संघर्षों और सफलताओं से यह फिल्म आपको रुबरु कराएगी।

पाठशाला (2010)


शाहिद कपूर और आएशा टाकिया की यह फिल्म स्कूल परिसर में बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था की कमियों को फिल्म के कथानक का मुख्य बिन्दु बनाया गया है। फिल्म में शाहिद राहुल नाम के शिक्षक की भूमिका में है जो सरस्वती विद्या मंदिर में इंगलिश और म्यूजिक की क्लास लेते हैं।

निल बटे सन्नाटा (2015)


स्वरा भास्कर अभिनीत यह फिल्म एक मां और बेटी की कहानी है। स्वरा फिल्म में काम करने वाली बाई के किरदार में है जो अपनी बेटी को शिक्षा देने के लिए भड़सक प्रयास करती है। उनकी बेटी का पढ़ाई में मन नहीं लगता है क्योंकि उसे लगता है कि इसका कोई फायदा नहीं है। बेटी को लगता है कि बड़े होकर उसे भी मां की तरह बाई का ही काम करना होगा, ऐसे में शिक्षा अर्थहीन है। यह जानने के बाद बच्ची की मां शिक्षा और सपनों के प्रति उसकी उदासीनता हटाने के लिए हर संभव प्रयास करती है।

इंग्लिश-विंग्लिश (2012)


इस फिल्म में श्री देवी एक हाउस वाइफ के रोल में नजर आती हैं। शशि नाम की इस महिला को इंग्लिश नहीं आने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद वह इंग्लिश सीखने का फैसला करती है और सीख भी जाती है। यह फिल्म यही संदेश देती है अगर हम चाहें तो किसी भी उम्र में कुछ भी सीख सकते हैं।

आई एम कलाम (2010)


राजस्थान की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में ढ़ाबा में काम करने वाले एक गरीब छोटे बच्चे की कहानी दिखाई गई है। इस बच्चे में शिक्षा को लेकर एक खास जुनून रहता है। अब्दुल कलाम से प्रभावित यह बच्चा अपना नाम भी कलाम रख लेता है और वह अपने प्रेरणास्त्रोत डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से मिलने और धन्यवाद देने अकेले दिल्ली निकल जाता है। यह फिल्म आपको बेहद प्रेरित करेगी।

Created On :   2 Sept 2023 3:28 PM GMT

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