मित्रता की अमिट छाप : युगों से चली आ रही मित्रता की ये कहानियां किसी मिसाल से कम नहीं

Indelible impression of friendship: Tales of friendship that has been going on for ages
मित्रता की अमिट छाप : युगों से चली आ रही मित्रता की ये कहानियां किसी मिसाल से कम नहीं
मित्रता की अमिट छाप : युगों से चली आ रही मित्रता की ये कहानियां किसी मिसाल से कम नहीं

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। मित्रता एक ऐसा संबंध है जिसे निभाने या जताने के लिए कोई दिन, तिथि की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि अगर कोई मित्र अपने मित्र के बुरे वक्त में साथ खड़ा हो जाए वो वक्त उस मित्र के लिए बहुत खास वक्त बन जाता है। जीवन के अन्य संबंधों की तरह मित्रता का संबंध भी बहुत खास है। जीवन में जब सभी सगे संबंधी साथ छोड़ देते हैं तब मित्र ही उस बुरे वक्त में साथ खड़े होते हैं। ऐसे ही मित्रता के संबंध की कहानियांं हम युगों से सुनते आ रहे हैं।

राम और सुग्रीव की मित्रता – राम और सुग्रीव की मित्रता, जिसमें श्री राम ने सुग्रीव को न्याय दिलाने के लिए बाली से युद्ध किया। और सुग्रीव को न्याय दिलवाया फिर सुग्रीव ने सीता जी की खोज और रावण से युद्ध के लिए अपने वानर सेना के साथ मिलकर राम जी की सहायता की थी ।

राम और सुग्रीव सार NCERT Class 6th Hindi

सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता – सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता गुरूकुल में हुयी थी जहां सुदामा ने एक बार कृष्ण के भाग का चना खा लिया था। जिसके कारण सुदामा को दरिद्रता का श्राप मिला था । जिसके परिणाम स्वरूप सुदामा का परिवार दाने – दाने के लिए तरसने लगा था. तब सुदामा की पत्नी सुशीला ने सुदामा को भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए आग्रह किया। जब सुदामा श्री कृष्ण से मिले तब भगवान ने सुदामा के सभी दुःख – दरिद्र हर लिए। तब सुदामा और उसके परिवार ने बाकी का जीवन भगवान का नमन भजन करते हुए सुख से बिताया।

Sudhama and Krishna - The Value of Friendship - 8 metals

 

अर्जुन और श्री कृष्ण की मित्रता – अर्जुन और श्री कृष्ण की मित्रता की मिसालें तो युगों से चलती आ रही हैं। जितने इनके पारिवारिक संबंध गहरे थे उनसे कई ज्यादा गहरी इनकी मित्रता थी। श्री कृष्ण ने अर्जुन और पांडवों को न्याय दिलवाने और धर्म की रक्षा के लिए महाभारत युद्ध में अर्जुन का सारथी बन अर्जुन की ओर से धर्म युद्ध किया। साथ ही महाभारत युद्ध के प्रथम दिवस में गीता का ज्ञान दिया था। जिसे पा कर अर्जुन अपने ही सगे संबंधियों से युद्ध में विजय हासिल कर सके।

भगवान कृष्ण क्यों बने थे अर्जुन के सारथी जानिए, महाभारत के बाद की बात -  lord krishna

दुर्योधन और कर्ण की मित्रता -जब दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश के राजा बनया था उसके बाद दोनों की मित्रता शुरू हुई। कर्ण ने सदैव अपनी मित्रता निभाई, और महाभारत युद्ध में यह जानते हुए कि पांडव कर्ण के भाई हैं, कर्ण ने अपने आखिरी सांस तक दुर्योधन का साथ दिया था ।

Photo gallery astrology things to learn from mahabharata 2525 महाभारत के इन  पत्रों से मिलती है ये सीख - lifeberrys.com हिंदी

 

Created On :   31 July 2021 1:31 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story