हेल्थ टिप्स: आप भी सेव नमकीन खाने के शौकीन हैं तो, हो जाएं सावधान! WHO भी दे चुका है वॉर्निंग
- आप भी हैं सयो नमकीन खाने के शौकिन हो जाएं सावधान!
- इस तरह से शरी को पहुंचा रहे नुकसान
- WHO भी दे चुका है वॉर्निंग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अक्सर हमारे घर में कोई फंक्शन हो, पार्टी हो, या कोई त्यौहार हो हम मार्केट से सेव नमकीन खरीद का ले आते हैं। घर पर आए महमानों को भी चाय के साथ नमकीन परोसने का जैसे ट्रेंड सा हो गया है। वहीं कुछ लोगों को तो नमकीन इतना पसंद होता है की वे हर रोज सेव नमकीन खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जायका बढ़ाने वाली ये चीजें आपकी हेल्थ के लिए कितनी नुकसानदायक है। बाजार में मिलने वाले इन जैसे कई खाने के सामानों में एक चीज इतनी खतरनाक है, जो कि आपकी जिंदगी के कई साल कम कर सकती है जिसका नाम है- ट्रांस फैट।
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क्या होता है ट्रांस फैट
आपको बता दें कि किसी भी तेल को जब हाइड्रेजिनेशन की प्रक्रिया के जरिए जमाया जाता है और उसे जमे हुए फैट में बदला जाता है तो वो ट्रांस फैट या ट्रांस फैटी एसिड्स बन जाता है। आपको बता दें कि बिस्किट हो या नमकीन इनमें ट्रांस फैट का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि लंबे समय तक ये खराब ना हों और मजे से खाया जा सके। पैकेट बंद समान जैसे नमकीन, बिस्किट में मौजूद ट्रांसफैट की मात्रा सेहत के लिए हानिकारक होती है। यह ट्रांसफैट हाइड्रोजन गैस और तेल के मिश्रण से तैयार होता है। हालांकि प्राकृतिक रूप से यह ट्रांसफैट मांसाहार और दुग्ध उत्पाद में पाया जाता है।
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ट्रांस फैट क्यों है खतरनाक?
जान लें कि, देसी घी और मक्खन ट्रांस फैट नहीं है लेकिन तीन बार से ज्यादा तला जा चुका रिफाइंड आयल ट्रांस फैट बन जाता है। और मार्केट में मिल रहे नमकीन को ना जाने कितने बार एक ही तेल घी में बार बार तला जाता है। ट्रांस फैट शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। इससे भी खराब बात ये है कि ज्यादा मात्रा में ट्रांस फैट्स लेने से शरीर में मौजूद गुड कोलेस्ट्रोल यानी जरूरी फैट भी बैड कोलेस्ट्रोल में बदलने लगता है। भारतीयों को दिल की बीमारी देने में ट्रांस फैट्स का बड़ा रोल है। ये केवल आर्टरी में जमा होकर दिल को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे, लिवर और ब्रेन पर भी बुरा असर डाल रहे हैं।
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WHO भी दे चुका है वॉर्निंग
WHO की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 5 अरब लोगों का जीवन ट्रांस फैट्स ने घटा दिया है और वो दिल की बीमारी के खतरे के साथ जी रहे हैं। 2018 में खाने में से ट्रांस फैट्स को घटाने और 2023 तक ट्रांस फैट्स खाद्य पदार्थों से पूरी तरह खत्म किए जाने की कोशिश शुरू हुई थी। हालांकि अब 43 देश इस मामले में आगे बढ़ गए हैं। 2022 में भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। WHO के मानको के हिसाब से ट्रांस फैट्स की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 2 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। WHO का ये भी कहना है कि डिब्बा बंद रिफाइंड तेल जिसमें हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा हो उसे बैन किया जाए। भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथारिटी ने जनवरी 2022 में ये नियम लागू कर दिए हैं, लेकिन बाजार में बिक रहे कितने प्रोडक्ट इन मानकों का पालन करते हैं ये कहा नहीं जा सकता।
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Created On :   24 July 2024 6:05 PM IST