ईरान बनाम पाकिस्तान: ईरान-पाकिस्तान विवाद में शिया और सुन्नी की लड़ाई का खतरा गहराया, जानिए युद्ध की स्थिति में कौन पड़ेगा किस पर भारी?

ईरान-पाकिस्तान विवाद में शिया और सुन्नी की लड़ाई का खतरा गहराया, जानिए युद्ध की स्थिति में कौन पड़ेगा किस पर भारी?
  • ईरान और पाकिस्तान के बीच तनातनी
  • ईरान के सुरक्षाबलों पर हमला
  • आतंकी संगठन के ठिकानों पर हमला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी की वजह से शिया-सुन्नी की लड़ाई का खतरा बढ़ता जा रहा है। ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के जिस जैश अल-अदल नाम के आतंकी संगठन के ठिकाने पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया है, वह पाकिस्तान के सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र में आता है। ईरान यह दावा करता है कि पाकिस्तान से सटी उसकी सीमा के पास सुन्नी चरमपंथी आतंकवादी संगठन जैश अल-अदल को इजराइल और अमेरिका जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है। पहले भी इस संगठन ने ईरान के सुरक्षाबलों पर बहुत बार हमला किया है और इसकी जिम्मेदारी भी ली है।

गौरतलब है कि सिस्तान शिया बहुल ईरान का सीमावर्ती क्षेत्र है, जबकि बलूचिस्तान सुन्नी बहुल पाकिस्तान का सीमावर्ती क्षेत्र है। जैश-अल अदल में शामिल लोग बलूचिस्तान के क्षेत्र से आते हैं जो कि सुन्नी बाहुल इलाका है। जैश-अदल ईरान पर हमले करता रहा है क्योंकि उसके अनुसार ईरान सरकार सुन्नी बलूचों को अधिकार नहीं देती है।

शिया-सुन्नी विवाद की पूरी कहानी

इस्लाम के दो प्रमुख समुदाय, शिया और सुन्नी के विवाद की कहानी 14वीं शताब्दी से चली आ रही है। दोनों समुदायों के विभाजन का कारण पैगंबर मुहम्मद का असल उत्तराधिकारी कौन है? उससे जुड़ा है। शिया-सुन्नी विवाद की शुरूआत 632 ई. में पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद हुई। मुहम्मद साहब के जाने के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन बने इस पर बहस शुरू होने लगी। मुहम्मद साहब के दामाद हजरत अली को उनका उत्तराधिकारी मानने वाले लोग शिया के नाम से पहचाने जाने लगे, जबकि अबू बकर को पैगंबर साहब का उत्तराधिकारी मानने वाले लोगों की पहचान सुन्नी के रूप में होने लगी। दोनों समुदाय के बीच का विवाद यहीं से शुरू होता है कि मुहम्मद साहब का असली उत्तराधिकारी कौन है? एक तरफ जहां शिया मुस्लिम यह दावा करते हैं कि मुहम्मद साहब ने अपनी मृत्यु से पूर्व हजरत अली को अपना उत्तराधिकारी लिखित रूप में घोषित किया था। तो दूसरी ओर सुन्नी समुदाय का मानना है कि मुहम्मद साहब ने अपना असली उत्तराधिकारी अबु बकर को बनाया है। इसी आधार पर शिया हजरत अली को और सुन्नी पैगंबर साहब को अपना खलीफा मानते हैं।

ईराक और सीरिया पर भी बोला हमला

ईरान ने न केवल पाकिस्तान पर हमला बोला है बल्कि ईराक और सीरिया पर भी हमला किया है। सीरिया पर हमला करने को उसके सुन्नी बहुल इस्लामिक देश होने से जोड़कर देखा जा सकता है। तो वहीं ईराक से तो उसका काफी पहले से मनमुटाव चल रहा है।

ईरान के पाकिस्तानी आतंकी सगंठन जैश अल-अदल पर हमला करने के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला कि यह संगठन सुन्नी बहुल है और ईरान पर पहले भी हमला करता रहा है। दूसरा कारण यह हो सकता है कि जैश अल-अदल को इजराइल की जासूसी एजेंसी मोसाद से समर्थन प्राप्त है और दोनों के बीच काफी गहरे संबध हैं। ईरान ने मोसाद के ठिकानों को निशाना बनाकर वहां भी कुर्दिस्तान में मिसाइलें दागी हैं। ईराक में आम तौर पर शिया-सुन्नी लगभग एक बराबर ही रहते हैं। लेकिन जनसंख्या के मामले सुन्नी समुदाय शिया पर भारी पड़ते हैं।

इन देशों में क्या है शिया और सुन्नी की संख्या?

वाशिंगटन की थिंक टैंक प्यू रीसर्च रिपोर्ट के अनुसार पांच इस्लामिक देशों में संख्याबल में शियाओं की संख्या सुन्नी से ज्यादा है।

शिया

रिपोर्ट में ईरान सबसे ऊपर है, यहां 90-95% शिया समुदाय के लोग रहते हैं। अजरबैजान और बेहरीन में 65-95% और इराक और लेबनान में 45-55% आबादी शियाओं की है।

सुन्नी

पाकिस्तान में 90-95% से अधिक आबादी सुन्नी मुस्लिमों की है। सीरिया, अफगानिस्तान, तुर्की और साउदी अरब में भी सुन्नी मुसलमानों की संख्या 90% से अधिक है। इनके अलावा मिस्त्र दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां सुन्नी समुदाय के मुसलमानों की आबादी 99% के साथ सबसे अधिक है।

Created On :   18 Jan 2024 6:19 PM IST

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