रूस-यूक्रेन युद्ध: रूस ने यूक्रेन पर गिराया 'फॉस्फोरस बम', प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में यह बम किया गया था इस्तेमाल, लोगों को हो रही सांस लेने में दिक्कत

रूस ने यूक्रेन पर गिराया फॉस्फोरस बम, प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में यह बम किया गया था इस्तेमाल, लोगों को हो रही सांस लेने में दिक्कत
  • रूस ने यूक्रेन पर गिराया 'फॉस्फोरस बम'
  • प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में यह बम किया गया था इस्तेमाल
  • लोगों को हो रही सांस लेने में दिक्कत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग जारी है। दोनों देशों की ओर से ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे हैं। साथ ही, जारी है एयरस्ट्राइक से विस्फोट होती ऊंची इमारतें। इस बीच यूक्रेन ने बड़ा दावा किया कि उसने क्रीमिया के काला सागर में तैनात रूसी नेवी बेड़े के टॉप कमांडर सहित नौसेना के 34 अफसरों को मार गिराया है। हालांकि, अभी तक इस बारे में मॉस्को की ओर से कोई जवाब समाने नहीं आया है। लेकिन, यूक्रेन के दावों के बाद पुतिन के सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई तेज कर दी है। हाल ही पुतिन के सैनिकों ने जेपोरिजिया शहर पर कई फॉस्फोरस बम गिराए हैं।

फॉस्फोरस को क्यों माना जाता है खतरनाक?

दरअसल, फॉस्फोरस मोम की तरह नॉन मेटल पदार्थ होता है। जो रंगहीन होता है। लेकिन कई बार यह हल्का पीला रंग का भी दिखाई देता है। साथ ही, इससे लहसून जैसी गंध भी आती है। प्रतिक्रियाशील होने के कारण यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही जलने लगता है। ऐसे में जब यह हवा के संपर्क में आते ही यह अपने चारों ओर आग लगा देता है। इसके पीछे का बड़ा कारण हवा में ऑक्सीजन की मौजूदगी का होना है। इसके अलावा फॉस्फोरस 30 डिग्री सेल्सियस के संपर्क में आते ही जलने लगता है, इसलिए इसे पानी रखा जाता है।

'फॉस्फोरस बम' फॉस्फोरस से बना होता है, जैसा कि नाम से भी पता लग रहा है। इस बम को बेहद खतरनाक माना जाता है। जिस जगह पर भी यह बम विस्फोट होता है, उस जगह के आसपास यह ऑक्सीजन को सोख लेता है। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और कई मर्तबा लोगों की मौत भी हो जाती है।

Created On :   26 Sept 2023 9:59 PM IST

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