फिर शर्मिंदा: पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोह में कोई भी भारतीय अधिकारी शामिल नहीं हुआ

पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोह में कोई भी भारतीय अधिकारी शामिल नहीं हुआ
  • पाकिस्तान के इतिहास में 23 मार्च का दिन अहम
  • प्रस्ताव में केवल मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए स्वायत्तता की मांग की
  • 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान का संविधान भी लागू हुआ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम का आयोजन बीते दिन गुरुवार को दिल्ली में हुआ था। खबरों के मुताबिक पाकिस्तान के इस कार्यक्रम में भारत सरकार ने अपना कोई आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं भेजा। आपको बतो दें दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच रिश्तों में खटास है।पुलवामा हमले के बाद ये रिश्ते और बदत्तर हो गए हैं।

पाकिस्तान ने भले ही अपना राष्ट्रीय दिवस दिल्ली में बनाने का फैसला लिया हो, लेकिन भारत सरकार को कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हुआ। कार्यक्रम के दौरान जब दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए गए तो पाकिस्तान के प्रभारी साद अहमद वाराइच अकेले खड़े थे।अब एक बार फिर पड़ोसी मुल्क को शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ रहा है।हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है, जिसमें पाकिस्तान के कार्यक्रम में भारत का कोई आधिकारी मौजूद नहीं रहा । इससे पहले भी 2019 में भारतीय अधिकारी समारोह में शामिल नहीं हुए। उस साल पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, पुलवामा का बदला लेने के लिए भारत ने बालाकोट में जवाबी हमला किया था।

23 मार्च

23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग ने मुस्लिमों के लिए अलग मुल्क की मांग करते हुए एक प्रस्ताव रखा था। 22 से 24 मार्च 1940 में लाहौर में मुस्लिम लीग का सेशन हुआ था, जिसमें पूरी तरह स्वायत्त और संप्रभु की मांग की गई। इस प्रस्ताव में पाकिस्तान का जिक्र नहीं था, लेकिन बाद में जब पाकिस्तान बन गया तो इसे 'पाकिस्तान प्रस्ताव' भी कहा जाने लगा। हालांकि आपको बता दें इस प्रस्ताव में कहीं भी अलग मुल्क या पाकिस्तान का जिक्र नहीं है। इसमें केवल मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए स्वायत्तता की मांग की गई थी। 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान का संविधान भी लागू हुआ था। इसी दिन पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक मुल्क घोषित किया था।

राष्ट्रीय दिवस समारोह के मौके पर पाकिस्तान के प्रभारी साद अहमद वाराइच ने अपने संबोधन में कहा भारत में पाकिस्तान के संस्थापकों ने दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध की कल्पना की थी। दुर्भाग्य से, हमारे द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास अधिकांश समय चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। वाराइच ने आगे कहा शांति और स्थिरता का लक्ष्य आपसी समझ को बढ़ाने, साझा चिंताओं पर बात करने और जम्मू- कश्मीर मुद्दे सहित लंबे समय से चले आ रहे विवादों के समाधान करने पर निर्भर करता है। वाराइच ने आगे कहा कि पाकिस्तान ने बहुलवाद, लोकतंत्र को मजबूत करने, स्वतंत्र मीडिया को बढ़ावा देने और एक जीवंत नागरिक समाज का पोषण करने में अहम प्रोग्रेस की है।

Created On :   29 March 2024 10:13 AM IST

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