रोंगटे खड़े कर देंगे इनके कारनामे, किसके हाथ में जाएगी तालिबानी सत्ता की चाबी?

Who will handle the power of Taliban?
रोंगटे खड़े कर देंगे इनके कारनामे, किसके हाथ में जाएगी तालिबानी सत्ता की चाबी?
तालिबान के चार स्तंभ रोंगटे खड़े कर देंगे इनके कारनामे, किसके हाथ में जाएगी तालिबानी सत्ता की चाबी?
हाईलाइट
  • किसके हाथ में होगी तालिबान की सत्ता?

डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा होने के बाद तालिबान की सत्ता का नेतृत्व कौन करेगा? जिन नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। उनमें तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर, सिराजुद्दीन हक्कानी, हिबतुल्लाह अखुंदजादा और मुल्ला याकूब हैं। तालिबान के ये ऐसे नेता हैं  जिनका अतीत जानकर रोंगटे खड़े हो जायेंगे।
खबरें आ रही हैं कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। 
तो चलिए जानते हैं इन नामों के बारे में जिनके हाथो में अफगानिस्तान की कमान होगी।

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर 

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मुल्ला अब्दुल्ल गनी बरादर तालिबान के पूर्व कमांडर मुल्ला उमर के वारिस भी माने गए। मुल्ला बरादर तालिबान के संस्थापकों में से एक हैं। जब अफगानिस्तान 1990 की दशक में गृह युद्ध की लपटों में झुलस रहा था। तब आतंकी मुल्ला उमर और अन्य साथियों के साथ मिलकर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान की नींव रखी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2001 में जब 9/11 के बाद अमेरिका और नाटो की सेनाओं ने अफगानिस्तान में तालिबान का खात्मा कर दिया तो मुल्ला बरादर तालिबानी आतंकियों के छोटे से समूह के साथ तत्कालीन अफगान नेता हामिद करदई के साथ समझौता करना चाहता था। लेकिन बात नहीं बनी। मुल्ला बरादर को 2010 में पाकिस्तान में अरेस्ट कर लिया गया था। पाकिस्तान ने लंबे समय तक जेल में रखा था। अमेरिका के दबाव के चलते आखिरकार पाकिस्तान ने मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया। 

हिबतुल्लाह अखुंदजादा

Hibatullah Akhundzada - Wikipedia

तालिबान की मौजूदा कमांड हिबतुल्लाह अखुंदजादा के पास है। अखुंदजादा तालिबान का प्रमुख नेता है। साल 2016 में जब अमेरिकी ड्रोन हमले में तालिबान का तत्कालीन सरगना मुल्ला अख्तर मारा गया था। उसके बाद से तालिबान की कमान हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने ले लिया। अखुंदजादा एक छोटा सा नेता था। लेकिन तालिबान की कमान संभालने के बाद अच्छा नेतृत्व किया। 
तालिबानी लड़ाकों को एकजुट करने का काम अखुंदजादा ने किया। तालिबानी लड़ाको को प्रोत्साहित करता रहा। जब तालिबानी लड़ाको को ये बात मालूम हुआ कि मुल्ला उमर की मौत को छुपाया गया। तो संगठन में काफी गुटबाजी शुरू हो गई।  जिससे आतंकी संगठन की शक्ति काफी कमजोर हुई। यही चुनौती अखुंदजादा के लिए थी। अखुंदजादा ने संगठन को मजबूत किया और अफगानिस्तान की सेना को समर्पण करने के लिए मजबूर किया। 
 
सिराजुद्दीन हक्कानी

Taliban Say Haqqani Founder Is Dead. His Group Is More Vital Than Ever. -  The New York Times

सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का डिप्टी लीडर है और उसी हक्कानी नेटवर्क का चीफ है। जो पिछले 20 सालों से अमेरिका और नाटो की सेनाओं पर फिदायनी हमले करता रहा है।
माना जाता है कि हक्कानी नेटवर्क अमेरिका से ऑपरेट करता है। इस संगठन ने पिछले बीस सालों में काबुल में कई बड़े हमले किए हैं और अफगानिस्तान की सेना को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया।

मुल्ला याकूब 

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तालिबान पर नजर रख रहे लोग मुल्ला उमर को जरूर जानते होंगे। मुल्ला याकूब इसी मुल्ला उमर का बड़ा बेटा है। पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ा लिखा मुल्ला याकूब। इस समय तालिबान के मिलिट्री कमीशन का सदर है। 
इस कमीशन के तहत कई कमांडर आते हैं। जिनको रणनीतिक हमले के लिए कमांडरों को तैयार करने की जिम्मेदारी होती थी और मिशन को अंजाम तक पहुंचाना  होना था।


 

Created On :   16 Aug 2021 5:52 PM IST

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