रिपुदमन की हत्या के 10 दिन बाद कनाडा में 2 भारतीय मूल के लोगों की गोली मारकर हत्या
डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। कनाडा में भारतीय मूल के दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिपुदमन सिंह मलिक की इसी तरह 10 दिन पहले हत्या कर दी गई थी। उसे एयर इंडिया के एक विमान पर बॉम्बिंग के आरोप से बरी कर दिया गया था।
व्हिस्लर के ब्रिटिश कोलंबिया रिसॉर्ट गांव में रविवार को मेनिंदर धालीवाल और सतिंदर गिल की हत्या कर दी गई। दो नवीनतम पीड़ितों को रिपुदमन मलिक जैसे सार्वजनिक स्थान पर एक कार में बैठे हुए दिन के उजाले में गोली मार दी गई। मीडिया रिपोटरें के अनुसार, एक कार भी पास में जलती हुई पाई गई थी।
हालांकि, दोनों घटनाओं को अधिकारियों ने नहीं जोड़ा है। सीटीवी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि ताजा हत्याओं के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन मलिक की हत्या में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिस प्रमुख एडम पामर ने उनकी तस्वीरें जारी करते हुए चेतावनी दी, हमारी पुलिस खुफिया हमें यह विश्वास दिलाती है कि आज हमने जिन व्यक्तियों की पहचान की है, वे प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों द्वारा लक्षित हो सकते हैं। वैंकूवर सन ने बताया कि धालीवाल ब्रदर्स कीपर (बीके) के नाम से जाने जाने वाले गिरोह का सदस्य थे।
अखबार की वेबसाइट के मुताबिक धालीवाल के भाई की पिछले साल अप्रैल में हत्या कर दी गई थी। सीटीवी ने कहा कि इंटीग्रेटेड होमिसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम (आईएचआईटी) ने पुष्टि की कि धालीवाल और गिल को निशाना बनाया गया और शूटिंग ब्रिटिश कोलंबिया के लोअर मेनलैंड क्षेत्र में चल रहे गिरोह संघर्ष से जुड़ी थी जिसमें वैंकूवर भी शामिल है।
इसमें कहा गया है कि पिछले साल धालीवाल के भाई हर्ब की वैंकूवर रेस्तरां के बाहर हत्या कर दी गई थी, जब वह उनके और बरिंदर के साथ थे। मनिंदर ने बंदूकधारी फ्रेंकोइस गौथियर का पीछा किया और उसकी आंख में छुरा घोंप दिया।
द सन ने बताया कि गौथियर ने पिछले महीने कनाडा की एक अदालत में हत्या को अंजाम देने की बात स्वीकार की थी और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसमें कहा गया है कि मनिंदर और बरिंदर दोनों को पहले भी कई बार गोली मारी जा चुकी है।
रिपुदमन सिंह को एयर इंडिया की कनिष्क की बॉम्बिंग से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया गया था, जिसमें 1985 में कनाडा से भारत की उड़ान में बोइंग 747 में सवार सभी लोग मारे गए थे। कभी सिख अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन के समर्थक, उन्होंने बाद में भारत सरकार के साथ शांति स्थापित की। उन्हें भारत सरकार की ब्लैकलिस्ट से हटा दिया गया और 2019 में भारत आने के लिए वीजा दिया गया।
आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   25 July 2022 10:30 PM IST