वो तीन बड़े शहर, जिन पर कब्जा जमा कर तालीबान ने काबुल को किया कमजोर

Afghanistan Crisis: Those three big cities, by capturing which Taliban weakened Kabul
वो तीन बड़े शहर, जिन पर कब्जा जमा कर तालीबान ने काबुल को किया कमजोर
अफगानिस्तान की बैकबोन वो तीन बड़े शहर, जिन पर कब्जा जमा कर तालीबान ने काबुल को किया कमजोर
हाईलाइट
  • अफगानिस्तान के तीन बड़े शहरों का महत्व

डिजिटल डेस्क, काबुल। काबूल पर आसान जमाए बैठे तालिबान ने अफगानिस्तान के तीन बड़े शहर गजनी, हेरात और कंधार पर भी कब्जा जमा लिया है। अफगानिस्तान को बड़ी राजनीतिक और आर्थिक चोट पहुंचाई है। एक शहर से दूसरे शहर को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों को बंद कर दिया। जिससे अफगानिस्तान के सारे आवागमन बंद हो चुक हैं। हालात कितने बुरे हैं इसका अंदाजा तो तस्वीरों को देखकर लगाया ही जा सकता है। बड़े शहरों पर कब्जा जमा कर तालिबान कितना ताकतवर हुआ ये समझ लेना भी जरूरी है। 

गजनी

Taliban Ne Afghanistan Ke Ghajini Shaher Par Kiya Kabza


गजनी शहर काबुल-कंधार हाईवे पर स्थित है। जो अफगानिस्तान और उसकी राजधानी काबुल को जोड़ने का कार्य करता है। जो कि अफगानिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है। गजनी भौलोगिक और राजनीतिक दोनों रूप से अफगानिस्तान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है। 

हेरात

Afghanistan's Herat under pressure amid ongoing Taliban assault | Taliban  News | Al Jazeera


हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए बड़ी कामयाबी मानी रही है। रेशम मार्ग पर स्थित होने के कारण यह शहर वाणिज्य का केन्द्र रहा है। जहां से भारत और चीन से पश्चिमी देशों का व्यापार होता रहा है। हेरात प्रांत की सरहदें ईरान और तुर्कमेनिस्तान से लगती हैं। हेरात में तालिबान की दहशत के चलते लोगों ने या तो खुद को घरों में बंद कर लिया है या फिर छोड़कर ही निकल रहे हैं। अफगानिस्तान के अन्य प्रांतो की तुलना में यहां सामाजिक छू्ट ज्यादा थी। स्त्रियों को शिक्षा और नौकरियों में बहुत मौके मिलते थे। लेकिन 1995 में जब हेरात पर तालिबान ने कब्जा किया तो उन्होंने यहां अपना कट्टरवादी शासन लागू किया। जिसको लेकर लोगों में बड़ा रोष व्याप्त हुआ। बाद में अफगानिस्तान की सेना ने अमेरिकी सेना की मदद से तालिबान को 2001 में खदेड़ा था। एक बार फिर हेरात तालिबान के कब्जे में है। हेरात राज्य के गवर्नर, पुलिस चीफ, एनडीएस ऑफिस के प्रमुख को तालिबान ने हिरासत में ले लिया हैं। इसके अलावा तालिबान के खिलाफ जंग के प्रतीक रहे मोहम्मद इस्माइल खान को भी तालिबान ने हिरासत में लिया है। मोहम्मगद इस्माइल खान को भारत का अच्छा दोस्त माना जाता है।


कंधार

Afghanistan likened to fall of Saigon as officials confirm Taliban take  Kandahar | Afghanistan | The Guardian


कंधार का अपना सामरिक व राजनीतिक महत्व हैं। कंधार में इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यह अफगानिस्तान का इकोनॉमिक हब भी है। कंधार की सीमा ईरान और पाकिस्तान से लगती है। अफगानिस्तान के अन्य प्रांतों के मुकाबले कंधार में ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं बेहतर हैं। कंधार के पश्तून समुदाय के लोगों का तालिबान में दबदबा है। यहां के दूसरे कबायली समुदाय के लोगों को भी तालिबान में भर्ती किया जाता है। तालिबान की शुरुआत भी यहीं से हुई, फाउंडर मौलाना मुल्ला उमर कंधार का ही था।तालिबान का यह पसंदीदा युद्ध क्षेत्र है। यहां की भौगोलिक स्थिति उसकी रणनीति के अनुकूल है। यहां चट्टानी इलाके, रेगिस्तानी रास्ते और खेत भी हैं। इसको चरमपंथियों की शरणस्थली का गढ़ माना जाता हैं। तालिबानी विद्रोहियों ने अफगानिस्ताान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया हैं। 6 लाख आबादी वाला ये शहर कभी तालिबान का गढ़ माना जाता था। यहाँ के धनी व्यापारी हिंदू हैं। ऐसा माना जाता है कि जिसने कंधार पर नियंत्रण कर लिया, उसने मानो पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया। अब काबुल में तालिबानी हुकूमत के रंग-ढंग देखकर ये कहा जा सकता है कि ये बात बिलकुल सही भी है। 

Created On :   16 Aug 2021 4:21 PM IST

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