श्रीलंका में खाने के पड़े लाले, दाने-दाने को तरस रही जनता, खाद्यान समस्या से निपटने के लिए अपना रही ये तरीके
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में नई सरकार गठन के बाद भी आर्थिक संकट की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। देश मे आर्थिक संकट का आलम अब यह है कि वहां के लोगों को भर पेट भोजन तक नही मिल पा रहा है, सभी देशवासी खाने-पीने की छोटी-मोटी चीजों के लिए तरस गए हैं। देश मे सत्ता परिर्वतन के बाद लोगों ने मान लिया है कि देश की हालात सुधरने में समय लगेगा और लोगों ने संकट से जूझने के लिए अपना-अपना तरीका निकाल लिया है, खाने की समस्या से बचने के लिए लोगों ने खाना कम कर दिया है, कई परिवारों ने तो एक-दो समय के खाना ही बंद कर दिया। वहीं कई परिवारों ने बच्चों और युवाओं के खाने पर अधिक ध्यान देने शुरू कर दिया है।
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के डायरेक्टर अब्दुर रहीम सिद्दीकी के मुताबिक, श्रीलंका इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में आजादी के बाद ऐसा संकट पहली बार आया है। बीते महीनों में खाद्यान्न वस्तुओं की महंगाई 80 प्रतिशत पर थी और आशंका जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में यह और बढ़ेगी। देश की लगभग एक चौथाई जनता खाने की समस्या से जूझने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाती दिख रही है।"
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम करेगी श्रीलंका वासियों की मदद
अब्दुर रहीम सिद्दीकी ने आगे कहा, लोग कम खाना खा रहे हैं, एक-दो बार खाना ही नहीं खा रहे या बच्चों और कम उम्र के लोगों को खाना खिलाने में वरीयता दी जा रही है। हम प्रयास कर रहे हैं कि श्रीलंका के 34 लाख लोगों की मदद की जा सके। इसमें से 14 लाख लोगों बिना किसी शर्त के ही सहायता दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि कई सगठनो की मदद से श्रीलंका को इस संकट से उबारने का कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि श्रीलंका मे नई सरकार गठन के बाद मंत्रिमंडल को सूचित किया गया है कि एक महीने के लिए हमारे पास पर्याप्त ईंधन है और कोटा व्यवस्था से इसका वितरण तेजी से किया जाए।
देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंधे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षाबलों को संविधान बनाए रखने और ऐसा महौल रखा जाने का अधिकार दिया है ताकि लोग बिना डरे रह सकें। उन्होंने मंत्रिमंडल ने वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए की जा रही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बातचीत पर भी चर्चा की। इसी बीच, विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से अनुरोध करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई और देश के मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए 25 जुलाई को संसद सत्र बुलाने का अनुरोध किया है।
जबरन हटाए गए प्रदर्शनकारी
गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए श्रीलंकाई सुरक्षाबलों और पुलिस कर्मियों को असॉल्ट राइफल और लाठी-डंडों का उपयोग करना पड़ा, तब प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास और कार्यालयों से अपना डेरा हटाया। प्रदर्शनकारियों ने 9 जुलाई को इन पर अपना कब्जा जमाया था और रानिल विक्रमसिंधे को नया राष्ट्रपति मानने को भी तैयार नही थे।
उनका कहना था कि जब तक रानिल विक्रमसिंधे राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा नही देते तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। जिसके बाद नई सरकार ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुरक्षाबलों का प्रयोग किया। पिछले सात दशको मे सबसे खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे श्रीलंका के लगभग 2.2 करोड़ जनता को खाने से लेकर दवा, ईंधन तक के लिए भारी मुश्किले हो रही है। वैसे श्रीलंका में खाने-पीने की समस्या से जनता बेहाल है। जनता के सामने बड़ी समस्या है कि इससे कैसे निपटा जाए।
Created On :   23 July 2022 8:48 PM IST