Sri Lanka election: महिंदा राजपक्षे की पार्टी को पूर्ण बहुमत, प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई दी
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे की एक बार फिर वापसी हुई है। उनकी श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) को 225 सीटों में से 145 पर जीत मिली है। सहयोगी दलों के साथ उसने कुल 150 सीटों पर कब्जा किया है। इन नतीजों के बाद अब महिंदा राजपक्षे पीएम बने रहेंगे। एसएलपीपी को शुरुआती बढ़त मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिंदा राजपक्षे को फोन कर जीत की बधाई दी थी। महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट कर पीएम मोदी को जीत की बधाई देने के लिए धन्यवाद किया। इसके बाद पीएम मोदी ने एक बार फिर महिंदा राजपक्षे को ट्वीट कर बधाई दी।
क्या कहा महिंदा राजपक्षे और पीएम मोदी ने?
महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट कर लिखा, "पीएम नरेंद्र मोदी जी आपने बधाई फोन के लिए धन्यवाद। श्रीलंका के लोगों के मजबूत समर्थन के साथ हम दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग को और बढ़ाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। श्रीलंका और भारत संबंधी और मित्र हैं। जिसके बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, "धन्यवाद महिंदा राजपक्षे जी। आपसे बात करके खुशी हुई। एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई। हम द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों को आगे बढ़ाने और अपने विशेष संबंधों को हमेशा नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए मिलकर काम करेंगे।"
Thank you, Prime Minister @PresRajapaksa! It was a pleasure to speak to you. Once again, many congratulations. We will work together to further advance all areas of bilateral cooperation and to take our special ties to ever newer heights. https://t.co/123ahoxlMo
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2020
2019 में राजपक्षे बने थे 23वें प्रधानमंत्री
बता दें कि महिंदा राजपक्षे ने नवंबर 2019 में श्रीलंका के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। महिंदा के भाई और राष्ट्रपति गोतभाया राजपक्षे ने उन्हें प्रधानमंत्री घोषित किया था। 74 वर्षीय नेता को अगस्त 2020 में आम चुनाव तक कार्यवाहक कैबिनेट के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करना था। देश में एक प्रमुख राजनीतिक उथल-पुथल के बीच वह 2018 में भी एक संक्षिप्त अवधि (26 Oct 2018 से 15 Dec 2018) के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इससे पहले वह 6 April 2004 से 19 November 2005 में भी प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
श्रीलंका में मची थी राजनीतिक उथल-पुथल
बता दें कि महिंदा राजपक्षे को पिछले साल 26 अक्टूबर को तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री नियुक्त कर विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था। श्रीलंका की राजनीति में अचानक इस तरह का बदलाव इसलिए आया था क्योंकि सिरिसेना की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम (UPFA) ने रणिल विक्रमेसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के साथ गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद मैत्रिपाला सिरिसेना ने 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया था।
विक्रमसिंघे ने संसद भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद संसद भंग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया था। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में स्पष्ट बहुमत साबित कर दिया था। 225 सदस्यीय संसद में विश्वास प्रस्ताव को पारित करने के पक्ष में रानिल विक्रमसिंघे को 117 वोट मिले थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते 15 दिसंबर 2018 को महिंदा ने इस्तीफा दे दिया था।
Created On :   6 Aug 2020 10:44 PM IST