शक्तिशाली देशों के बीच फंसना नहीं चाहता श्रीलंका

Sri Lanka does not want to be trapped between powerful countries
शक्तिशाली देशों के बीच फंसना नहीं चाहता श्रीलंका
राजपक्षे शक्तिशाली देशों के बीच फंसना नहीं चाहता श्रीलंका
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  • शक्तिशाली देशों के बीच फंसना नहीं चाहता श्रीलंका : राजपक्षे

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को कहा कि उनका देश शक्तिशाली देशों के बीच फंसना नहीं चाहता है और उसकी अपनी संप्रभ्रुता तथा अस्मिता है।

श्री राजपक्षे ने यह टिप्पणी नौवीं संसद के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए की और इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार का नीतिगत बयान भी प्रस्तुत किया। इस दौरान राजदूतों और उच्चायुक्तों सहित बड़ी संख्या में विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

राष्ट्रपति ने कहा, देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता को प्राथमिकता देते हुए हम अंतरराष्ट्रीय परिद्वश्य के मद्देनजर एक सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं। हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र हैं लेकिन हम शक्तिशाली राष्ट्रों के बीच फंसना नहीं चाहते हैं।

उन्होंने कहा हम अपने पड़ोसियों का सम्मान करते हैं, और हमें हर देश के साथ मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति राजपक्षे की टिप्पणी इस संदर्भ में आई है, जब विपक्षी दलों और आलोचकों ने कहा है कि मौजूदा वित्तीय संकट के बीच श्रीलंका सरकार चीन, भारत और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों को अपनी जमीन और संसाधन बेच रही है तथा शक्तिशाली देशों के लिए देश को शिकार का मैदान बना रही है।

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने एक घंटे के भाषण के दौरान, उत्तर और पूर्व के अल्पसंख्यक तमिलों और मुस्लिम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को तीन दशक लंबे गृहयुद्ध से तबाह हुए लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में उनके प्रयासो में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा मैं उत्तर और पूर्व के सभी प्रतिनिधियों से अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को अस्थायी रूप से दरकिनार करने और युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयासों में मदद करने का आग्रह करता हूं।

राजपक्षे ने यह भी आश्वासन दिया कि वह उत्तर और पूर्वी क्षेत्र में सेना द्वारा कब्जे में ली गई नागरिकों की सारी भूमि को उनके मालिकों को लौटा देंगे।

श्री राजपक्षे ने कहा जब मैं रक्षा सचिव था, उस अवधि के दौरान हमने सेना द्वारा कब्जा की गई 90 प्रतिशत नागरिक क्षेत्र की जमीन को मुक्त कर दिया था। लेकिन अब शांति है, इसलिए हम उन क्षेत्रों में सैन्य उद्देश्यों के लिए ली गई बाकी नागरिक भूमि को उनके असली वािरसों को सौंपने में सक्षम होंगे।

श्री राजपक्षे ने सभी युद्ध प्रभावित वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करते हुए यह भी कहा कि युद्ध के दौरान लोगों के लापता होने का मुद्दा एक पार्टी तक सीमित नहीं था। उन्होंने कहा हम नस्लवाद की निंदा करते हैं और सभी दलों के अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करना चाहते हैं। मैं उन सभी राजनेताओं से आग्रह करता हूं जो विभिन्न जातियों और जातीय समूहों के बीच सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काते रहते हैं। हम 1978 में बहुत पहले पेश किए गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम में समय पर बदलाव लाने के लिए तैयार हैं।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उन्होंने लिट्टे के पूर्व सदस्यों के एक समूह को राष्ट्रपति क्षमादान दिया था।

श्री राजपक्षे ने जोर देकर कहा कि युद्ध से प्रभावित उत्तर और पूर्व के लोगों को इस समय सबसे अधिक आर्थिक सुरक्षा की जरूरत है तथा मुख्य रूप से तमिलों की बहुलता वाले क्षेत्रों को विकसित करने के लिए निवेश किया गया है।

 

आईएएनएस

Created On :   18 Jan 2022 9:00 PM IST

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