एससीओ बैठक को लेकर पाकिस्तान सरकार में दो फाड़, बिलावल भुट्टो भारत आने को बेताब, चीन के दखल से दूर होगी पाकिस्तान की मुसीबत!
- एससीओ बैठक के लिए पाक सरकार में दो फाड़
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। इस वर्ष यानी साल 2023 का भारत शंघाई सहयोग संगठन का नेतृत्व करने जा रहा है। लेकिन एक बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या पाकिस्तान इस बैठक में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा। पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो इस मसले पर पाक की सरकार दो फाड़ होते हुए दिखाई दे रही है। भारत में होने वाली एससीओ बैठक को लेकर पाकिस्तान सरकार के नुमाइंदों में दो तरह की राय बनती हुई नजर आ रही है। कुछ का कहना है कि जूनियर लेवल अधिकारियों को भेज कर पाक अपनी मौजूदगी इस बैठक में दर्ज कराए। जबकि कुछ मान रहे हैं कि यह बैठक भारत-पाक के लिहाज से बहुत ही अहम है, इसलिए भारत के दौरे पर जाना चाहिए।
बता दें कि, हाल ही में भारत की ओर से एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को न्योता दिया गया था। तभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वाकई देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए पाक सरकार से कोई आएगा? वहीं अब इस पूरे मामले में चीन की भी एंट्री होती हुई दिखाई दे रही है। कुछ मीडिया खबरों में यह भी बात सामने आ रही है कि अगर चीन कहता है तो पाकिस्तान को भारत में होने जा रहे एससीओ बैठक में भाग लेना पड़ सकता है।
एससीओ बैठक के लिए पाक सरकार में दो फाड़
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस सम्मेलन के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को भारत की ओर से निमंत्रण मिल चुका है। इस मामले पर पाक के विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान भी सामने आया है। जिसमें जोर देकर कहा गया है कि, भारत में होने जा रही अप्रैल और मई में एससीओ की बैठक के लिए अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन हम जल्द ही इस पर अपना निर्णय लेंगे। संभव है कि सरकार अंतिम फैसला बैठक के कुछ दिनों पहले ले सकती है।
हालांकि, इस बैठक को लेकर पाकिस्तान की शहबाज सरकार में एकमत नहीं हो पा रही है। कुछ नेताओं का गुट है जो पाकिस्तान के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को भारत दौरे पर भेजना नहीं चाहते हैं। उनका कहना है दोनों देशों के बीच मौजूदा समय में रिश्ते बेहतर नहीं हैं इसलिए सरकार को अपनी ओर से जूनियर लेवल के अधिकारियों को भारत में हो रही एससीओ की बैठक में भेजना चाहिए। जबकि ठीक इसके उलट कुछ का कहना है कि यह बैठक पाकिस्तान के लिए बेहद ही खास है। अपनी बात को रखने के लिए इसका फायदा मुल्क को उठाना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि विश्व की दो सबसे बड़ी महाशक्तियां रूस और चीन भी इस बैठक में भाग ले रहे हैं, इसलिए इस क्षेत्रीय मंच को छोड़ना नहीं चाहिए।
चीन के दबाव में आएगा पाकिस्तान?
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट ने दावा किया है कि पाकिस्तान की उपस्थिति पर अब चीन फैसला कर सकता है। क्योंकि एससीओ का गठन चीन ने ही किया था और पाकिस्तान को पूर्णकालिक की सदस्यता इसी ने दिलाई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर चीन पाक को कहता है कि वह बैठक में शामिल हो तो पाकिस्तान की शहबाज सरकार को शामिल होना पड़ सकता है। बता दें कि, जब पाकिस्तान एससीओ की सदस्यता ली थी तब कुछ बातों को लेकर सहमति बनी थी। जिसमें कहा गया था कि वो अपने निजी व द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर इस यानी एससीओ पर किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। इसी मामले को ध्यान में रखकर चीन उसे बैठक में शामिल होने को कह सकता है।
शहबाज आएंगे भारत?
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बातें खुलकर हो रही हैं कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आने के ख्वाहिशमंद हैं। यह भी माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री एससीओ के बैठक में भाग लेते हैं तो यह संभव है कि जुलाई महीने में एससीओ के शिखर सम्मेलन में शरीक होने के लिए पाक पीएम शहबाज शरीफ भी भारत के दौरे पर आ सकते हैं।
आपको बता दें कि, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में 370 एवं 35ए को हटाए जाने पर बुरी तरह से भड़का हुआ है। लेकिन भारत भी उसको इस मामले पर कई बार मुंह तोड़ जवाब दे चुका है, देश जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता है लेकिन पाक इसको सिरे से नकरता रहा है। अब देखना होगा कि पाक एससीओ मामले पर क्या स्टैंड लेता है।
Created On :   27 March 2023 10:30 AM GMT