पुलित्जर विजेता भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में हत्या, पहले भी हुआ था जानलेवा हमला
- इससे पहले तीन बार बाल-बाल बचे थे दानिश
- न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट ने भी सराहा
- रोहिंग्या समुदाय की डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए मिले था पुलित्जर पुरस्कार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय फोटो जर्नलिस्ट और पुलित्जर पुरस्कार विजेता दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में हत्या कर दी गई है। भारत में रॉयटर्स के मुख्य फोटोग्राफर सिद्दीकी, अफगानिस्तान में काम पर थे, जब उनकी मृत्यु हो गई। रिपोर्टों के अनुसार, वह अफगान बलों के एक काफिले के साथ जुड़े हुए थे, जिस पर तालिबान आतंकवादियों ने पाकिस्तान के साथ प्रमुख सीमा चौकी के पास घात लगाकर हमला किया था। भारत सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह स्पष्ट नहीं है कि हमले में कितने अन्य मारे गए। भारत के अफ़गानी अम्बैसडर फरीद ममुंडजे ने कहा कि वह "एक दोस्त की हत्या" की खबर से बहुत परेशान हैं। सिद्दीकी कंधार क्षेत्र में दंगो को कवर करने के लिए एक असाइनमेंट पर थे।
कल रात कंधार में एक दोस्त दानिश सिद्दीकी की हत्या की दुखद खबर से गहरा दुख हुआ।
— Farid Mamundzay फरीद मामुन्दजई فرید ماموندزی (@FMamundzay) July 16, 2021
भारतीय पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता अफगान सुरक्षा बलों के साथ थे, जब उन पर आतंकवादियों ने हमला किया था।
मैं उनसे 2 हफ्ते पहले काबुल के लिए रवाना होने से पहले मिला था। उन्होंने फोटो पत्रकारिता pic.twitter.com/iV79PfjO5i
इससे पहले तीन बार बाल-बाल बचे थे दानिश
इससे पहले 13 जुलाई को हुए हवाई हमले में बचने के बाद दानिश ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी और कहा था कि वह भाग्यशाली थे कि बच गए। वे लिखते हैं कि "जिस हम्वी (बख्तरबंद गाड़ी) में मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से कम 3 आरपीजी राउंड और अन्य हथियारों से निशाना बनाया गया था। मैं लकी था कि मैं सुरक्षित रहा और मैंने कवच प्लेट के ऊपर से टकराने वाले रॉकेटों के एक दृश्य को कैप्चर कर लिया।" सिद्दीकी ने हाल ही में एक पुलिसकर्मी को बचाने के लिए अफगान विशेष बलों के मिशन पर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे वह पुलिस जवान और अपने साथियों से अलग हो गए थे। दानिश ने अपनी रिपोर्ट में उन तस्वीरों को भी शामिल किया था, जिसमें अफगान बलों के वाहनों को रॉकेट से निशाना बनाया गया था।
The Humvee in which I was travelling with other special forces was also targeted by at least 3 RPG rounds and other weapons. I was lucky to be safe and capture the visual of one of the rockets hitting the armour plate overhead. pic.twitter.com/wipJmmtupp
— Danish Siddiqui (@dansiddiqui) July 13, 2021
रोहिंग्या समुदाय की डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए मिले था पुलित्जर पुरस्कार
मुंबई के रहने वाले सिद्दीकी ने एक दशक से अधिक समय तक रॉयटर्स के साथ काम किया। 2018 में, उन्होंने फीचर फोटोग्राफी में पुलित्जर पुरस्कार जीता। यह प्राईज़ उन्होंने अपने सहयोगी अदनान आबिदी और पांच अन्य लोगों के साथ म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना की गई हिंसा का डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए जीता था। हाल ही में, भारत में कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर आयोजित मास फ्यूनरल की उनकी तस्वीरें वायरल हुईं और उन्हें वैश्विक प्रशंसा और मान्यता भी मिली। सिद्दीकी ने रॉयटर्स से बात करते वक्त कहा था, कि उन्हें समाचारों को कवर करने में मजा आता है। व्यवसाय से लेकर राजनीति और खेल तक, उन्हें ज्यादा पसंद था एक ब्रेकिंग स्टोरी के मानवीय चेहरे से देखना।
न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट ने भी सराहा
उन्होंने पहले अफगानिस्तान और इराक में युद्ध और हांगकांग में विरोध प्रदर्शन को कवर किया था। दानिश सिद्दीकी का काम न्यूयॉर्क टाइम्स, नेशनल ज्योग्राफिक मैगज़ीन, गार्जियन, वाशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जर्नल, सीएनएन, फोर्ब्स, बीबीसी और अल जज़ीरा जैसे प्रमुख समाचार आउटलेट्स में भी छपा है। फोटोजर्नलिज्म में आने से पहले, दानिश ने एक भारतीय टीवी समाचार चैनल के लिए एक रिपोर्टर के रूप में काम किया था।
Created On :   16 July 2021 3:08 PM IST