तालिबान के जैसे ही सूडान में सैन्य बल ने किया कब्जा, प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों को किया गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूडान में सैन्य बल ने देश के प्रधानमंत्री और अंतरिम सरकार के कई मंत्रियों समेत कई सदस्यों को सोमवार तड़के गिरफ़्तार कर लिया है। और उनके घर की घेराबंदी करने के बाद नजरबंद कर दिया गया। सूडान के सूचना मंत्रालय ने गिरफ़्तार किए गए लोगों को रिहा करने और सरकार का तख़्ता पलटने की कोशिशों को रोकने की अपील की है।
बीबीसी की खबर के मुताबिक अब ख़बरें आ रही हैं कि सेना ने देश के सरकारी टीवी और रेडियो के मुख्यालय को भी अपने कब्ज़े में ले लिया है। सूडान के सूचना मंत्रालय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर ये जानकारी देते हुए कहा है कि सेना ने एक कर्मचारी को गिरफ़्तार भी किया है।
अफगानिस्तान में जिस तरह तालिबान ने हथियारों के दम पर कब्जा किया ठीक उसी प्रकार सूडान में सैन्य बलों ने सूडान की राजधानी को अपने हाथों में ले लिया है।
सूडान की राजधानी खार्तूम में इंटरनेट सेवाएं बंद
इससे पहले सेना समर्थक प्रदर्शनकारियों ने रविवार को सूडान की राजधानी में प्रमुख सड़कों और पुलों को रोक दिया था। जिसके बाद सूडान के सुरक्षा बलों ने सेना समर्थक प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सूडान की राजधानी खार्तूम में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। उधर सूडान के प्रधानमंत्री के एक सलाहकार ने अल-अरबिया चैनल को बताया है कि अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि की मौजूदगी में सत्तारूढ़ परिषद के साथ समझौते के बाद भी तख़्तापलट हो गया है।
अमेरिका ने व्यक्त की निराशा
सूचना मंत्रालय ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि देश एक पूर्ण सैन्य तख़्तापलट का सामना कर रहा है। हम लोगों से सेना के हस्तक्षेप को रोकने की अपील करते हैं। अमेरिका ने सूडान में तख़्तापलट की ख़बरों को बेहद चिंतित बताते हुए निराशा वयक्त की है।
अल-बशीर के वफादारों को जिम्मेदार ठहराया
पिछले दिनों सूडान की राजधानी में हजारों की संख्या में पुरुषों और महिलाओं ने सूडानी झंडा लहराते हुए नारे लगाए और मार्च किया। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे कि हम स्वतंत्र हैं, हम क्रांतिकारी हैं, हम अपनी यात्रा जारी रखेंगे। पिछले महीने सेना के भीतर तख्तापलट के प्रयास को कमजोर करने के बाद से नागरिकों और जनरलों के बीच तनाव बढ़ गया है। अधिकारियों ने इसके लिए अल-बशीर के वफादारों को जिम्मेदार ठहराया।
सड़कों पुलों को रोका
प्रदर्शनकारियों ने रविवार को खार्तूम में प्रमुख सड़कों और पुलों को कुछ समय के लिए रोक दिया था। जिससे मध्य क्षेत्र उत्तरी हिस्से से कट गया था। जनरलों और लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के बीच बढ़ते तनाव के चलते घटनाक्रम हॉर्न ऑफ अफ्रीका के लिए अमेरिका के विशेष दूत जेफरी फेल्टमैन के खार्तूम में सैन्य और नागरिक नेताओं के साथ मुलाकात के एक दिन बाद हुआ। जेफरी फेल्टमैन दोनों पक्षों के बीच समझौते के लिए खार्तूम पहुंचे थे।
करीब 30 साल के अधिक समय के निरंकुश शासन के बाद अप्रैल 2019 में सेना द्वारा अल-बशीर और उनकी इस्लामी सरकार को सत्ता से हटाने के बाद से सत्ताधारी सरकार में सेना और नागरिकों के बीच खटास से सूडान में स्थिति नाजुक है।
पूर्ण नागरिक सरकार की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे
सूडान की राजधानी खार्तूम में पूर्ण नागरिक सरकार की मांग को लेकर हजारों लोग पिछले दिनों एक-साथ सड़कों पर उतर गए थे। देश के भविष्य को लेकर वहां सैन्य जनरलों और सूडान के लोकतंत्र समर्थक समूहों के संबंध काफी खराब हो गये हैं। सूडान पर साल 2019 से एक अंतरिम नागरिक-सैन्य सरकार का शासन है। इस सेना ने लंबे समय से कायम निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को बड़े जन-विरोध के बाद अप्रैल, 2019 में हटा दिया था। अल-बशीर के तख्तापलट के साथ, सत्तारूढ़ जनरलों ने विरोध आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिकों के साथ सत्ता साझा करने पर सहमति जताई थी। उसके बाद से सूडान में सब कुछ अस्थिर रहा है। कुछ दिन पहले, एक विरोधी समूह ने सैन्य नेताओं के समर्थन में रैली की थी। गुरुवार को इसी रैली के जवाब में रैलियां आयोजित की गई थीं।
दो साल पहले लंबे वक़्त से सूडान पर राज कर रहे उमर अल-बशीर के सत्ता से हटाए जाने के बाद एक अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई थी। तभी से सेना और नागरिक सरकार में तकरार की स्थिति बनी हुई है। ये अभी भी साफ़ नहीं है कि असल में ये गिरफ़्तारियां किसने करवाई हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि राजधानी ख़ार्तूम में इंटरनेट बंद है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे संदेशों में गुस्साई भीड़ सड़कों पर टायर जलाती दिख रही है।
कई बार तख़्तापलट की कोशिशें
लोकतंत्र समर्थक समूहों का कहना है कि सेना ने सुनोयिजत तरीके से इस तख़्तापलट को अंजाम दिया ताकि वो फिर से सत्ता में आ सके। इस महीने अतंरिम सरकार के विरोधियों ने राजधानी ख़ार्तूम की सड़कों पर प्रदर्शन किया था और सेना के सत्ता अपने हाथों में लेने का समर्थन किया था। फिर इसी गुरुवार को ही राजधानी ख़ार्तूम में हज़ारों लोगों ने अंतरिम सरकार के साथ एकजुटता दिखाते हुए भी मार्च किया था।
हाल ही के महीनों में अंतरिक सरकार को मिलने वाले समर्थन में कमी आई है क्योंकि सूडान की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुज़र रही है। आज़ादी के बाद यानी साल 1956 से ही सूडान में राजनीतिक स्थिरता नहीं हासिल की जा सकी है और यहाँ तख़्तापलट की लगातार कई कोशिशें हुई।
Created On :   25 Oct 2021 5:04 PM IST