पाकिस्तानी सेना कर रही तालिबान की मदद, लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों में आतंकियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

Pak Army used militants trained by LeT to aid Taliban
पाकिस्तानी सेना कर रही तालिबान की मदद, लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों में आतंकियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
अफगानिस्तान पाकिस्तानी सेना कर रही तालिबान की मदद, लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों में आतंकियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
हाईलाइट
  • पाक सेना ने तालिबान की सहायता के लिए लश्कर से प्रशिक्षित आतंकियों का किया इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के लिए तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की नापाक भूमिका पाकिस्तान सेना द्वारा प्रशिक्षित और भेजे गए आतंकवादियों की पहचान उजागर होने से स्पष्ट होती जा रही है। उनमें से बड़ी संख्या में पंजाब (पाकिस्तान) से हैं, जिन्हें तालिबान के रैंकों को मजबूत करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा द्वारा चलाए जा रहे शिविरों में थोड़े समय के प्रशिक्षण के बाद सेना द्वारा भेजा गया था।

पाकिस्तान का पंजाब प्रांत दो सबसे कुख्यात पाकिस्तानी सेना समर्थित आतंकवादी समूहों - लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का घर है। हालांकि पंजाबी आतंकियों की सही संख्या, जो कि ज्यादातर लश्कर-ए-तैयबा से हैं, ज्ञात नहीं है, मगर विभिन्न अनुमानों को देखें तो 10,000 से अधिक के आंकड़े की उम्मीद जताई जा रही है।

कंधार में लश्कर के कैडरों को तालिबान के साथ मिलकर लड़ते देखा गया। लड़ाई के दौरान लश्कर के काफी कार्यकर्ता या आतंकी मारे भी गए हैं। लश्कर की टीम का नेतृत्व सैफुल्ला खालिद कर रहा था, जो कंधार के नवाही जिले में अपने 11 साथियों के साथ लड़ाई में मारा गया।

खालिद की जगह पंजाब के एक अन्य लश्कर कमांडर इमरान ने ले ली। उसने पहले कश्मीर में ऑपरेशन किया था, जहां वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। यह भी ज्ञात है कि पाकिस्तान ने मारे गए आतंकवादियों के शवों को उनके मूल स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की थी।

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में लड़ रहे घायल लश्कर-ए-तैयबा और अन्य पाकिस्तानी कैडरों के लिए अस्थायी अस्पताल भी स्थापित किए। पाकिस्तान के अलग-अलग जिलों से सेना द्वारा युवकों को तालिबान की युद्ध मशीन में शामिल होने के लिए मजबूर करने की खबरें भी आती रही हैं। क्वेटा, डेरा इस्माइल खान, कराक, हंगू, कोहाट, पेशावर, मर्दन और नौशेरा में जिन स्थानों पर सबसे अधिक भर्ती हुई है, उनमें से कई मामलों में जबरदस्ती हुई है।

इन रिपोर्टरों की पुष्टि अफगानिस्तान में लड़ाई के लिए जबरन भर्ती से बचने के लिए बड़ी संख्या में युवकों के इन शहरों से कराची भाग जाने की घटनाओं से होती है। वास्तव में, अफगानिस्तान में पाक स्थित आतंकवादी समूहों की सक्रिय भूमिका विभिन्न रिपोर्ट्स में समय-समय पर पिछले काफी समय से बताई जाती रही है। 90 के दशक से अफगानिस्तान के भीतर लश्कर का गढ़ रहा है और समूह ने 2001 के बाद भी तालिबान के साथ प्रशिक्षण और लड़ाई जारी रखी है।

पाकिस्तानी सेना के सक्रिय समर्थन के साथ, समूह ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अफगानिस्तान में कम से कम आठ जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करना शुरू कर दिया था। इसी तरह, जैश-ए-मोहम्मद को भी नंगरहार प्रांत में कुछ ठिकाने मिले थे, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना कश्मीर के लिए कैडरों को प्रशिक्षित करने के लिए कर रही थी।

जेईएम नेता मसूद अजहर का तालिबान नेतृत्व के साथ घनिष्ठ संबंध है और उसने तालिबान लड़ाकों का समर्थन करने के लिए अपने पंजाब स्थित संगठन से कैडरों को भेजा है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा अल कायदा द्वारा छोड़े गए प्रशिक्षण स्थलों का इस्तेमाल पाकिस्तान से नए कैडर की भर्ती और प्रशिक्षण के लिए कर रहे हैं। नए भर्ती होने वाले युवाओं में ज्यादातर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा से हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   20 Aug 2021 7:30 PM IST

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