2021 में सशस्त्र संघर्ष में गंभीर उल्लंघन के शिकार हुए 19 हजार से अधिक बच्चे
डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने 2021 में हुए सशस्त्र संघर्ष में बच्चों के खिलाफ 23,982 गंभीर उल्लंघनों की पुष्टि की है, जिससे 21 देशों में 19,165 बच्चे प्रभावित हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है।
23,982 गंभीर उल्लंघनों में से, 22,645 2021 में किए गए थे और 1,337 पहले किए गए थे, लेकिन 2021 में ये सत्यापित किए गए थे। प्रभावित बच्चों में से, 13,633 लड़के जबकि 5,242 लड़कियां थीं। इसके अलावा 290 बच्चों के बारे में अधिक जानकारी स्पष्ट नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्लंघन की सबसे अधिक संख्या 8,070 बच्चों की हत्या और अपंगता है। बच्चों की हत्या किया जाना और उन्हें अपंग बनाया जाना, सबसे भीषण अधिकार उल्लंघन है, उसके बाद बच्चों की भर्ती और उनका युद्धक गतिविधियों में प्रयोग किये जाने का नंबर है, जिनकी संख्या 6,310 है। साथ ही मानवीय सहायता तक पहुंच से वंचित करने के मामले भी दर्ज किये गए हैं, जिनकी संख्या 3,945 है।
रिपोर्ट में वर्णित खतरों में संघर्ष भड़काव से लेकर, सैनिक विद्रोह, और सत्ता पर नियंत्रण, लंबी अवधि के संघर्ष और नए संघर्षों तक का जिक्र शामिल है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी रिपोर्ट में दिया गया है।
सीमापार संघर्ष और अंतर-सामुदायिक हिंसा ने भी बच्चों की सुरक्षा को प्रभावित किया है, विशेष रूप में लेक चाड बेसिन और मध्य साहेल क्षेत्रों में ऐसा देखने को मिला है।
वर्ष 2021 के दौरान जिन स्थानों पर सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए, उनमें अफगानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्र के साथ ही सोमालिया, सीरिया और यमन प्रमुख थे।
बच्चे व सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा का कहना है, ऐसा कोई भी शब्द मौजूद नहीं है जिसके जरिये, उन भयावह परिस्थितियों व कष्टों को बयान किया जा सके, जो सशस्त्र संघर्ष में बच्चों को भुगतने पड़े हैं।
उन्होंने कहा, जो बच्चे जीवित बच गए हैं वो जीवन गहरे शारीरिक व भावनात्मक जख्मों के साथ जीवन जिएंगे। मगर इस संख्या से हमारे प्रयास हतोत्साहित नहीं होने चाहिए।
बच्चों के विरुद्ध दो तरह के अधिकार हनन में, वर्ष 2021 में बहुत ज्यादा वृद्धि देखी गई: अपहरण, और दुष्कर्म सहित यौन हिंसा, जिनमें 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
स्कूलों व अस्पतालों पर हमलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है, जो महामारी के कारण और ज्यादा जटिल हुई।
2800 से ज्यादा बच्चों को, संघर्ष से संबंधित पक्षों के साथ वास्तविक संबंध होने या संबंध होने के आरोपों के कारण बंदी बनाया गया, जिसके कारण वो बच्चे प्रताड़ना, यौन हिंसा, और अन्य तरह के दुर्व्यवहार के चंगुल में फंस गए।
यूएन महासचिव की रिपोर्ट में चिंताजनक परिस्थितियों के कारण इथियोपिया, मोजाम्बीक और यूक्रेन को भी शामिल किया गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में बच्चों पर संघर्षों के त्वरित प्रभाव पड़े हैं।
इसके अतिरिक्त, महासचिव ने मध्य साहेल क्षेत्र में भी बाल अधिकारों के उल्लंघन की निगरानी बढ़ाने का अनुरोध किया है।
बच्चों के अधिकार उल्लंघन के इन मामलों के बीच, कुछ क्षेत्रों में इन चुनौतियों का सामना करने में कुछ प्रगति भी दर्ज की गई। कुल मिलाकर, 12,214 बच्चे, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोलंबिया, डीआरसी, म्यांमार और सीरिया में सशस्त्र बलों और समूहों से रिहा कराए गए।
विशेष प्रतिनिधि ने सशस्त्र बलों और समूहों से रिहा कराए गए बच्चों को उनके समुदायों का फिर से हिस्सा बनने के लिये, उपयुक्त समर्थन व सहायता मुहैया कराए जाने की महत्ता को भी रेखांकित किया।
वर्जीनिया गांबा ने कहा की शांति प्रक्रियाओं और बातचीत में शामिल पक्षों को, बच्चों के अधिकार व जरूरतों को, शांति वार्ताओं और उनके अंतिम समझौतों का हिस्सा बनाने पर विचार करना चाहिये, क्योंकि एक टिकाऊ शांति हासिल करने के लिये यही एक मात्र रास्ता है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर, यमन में हुए युद्ध विराम समझौते की सराहना की।
वर्जीनिया गांबा ने कहा, जब लोग लापता होते हैं तो सबसे पहले बच्चों को ही, इस त्रासदीपूर्ण नुकसान का सबसे ज्यादा खमियाजा उठाना पड़ता है।
उन्होंने शांति की अपील करते हुए कहा, सभी भागीदारों के काम और प्रयासों से परे, बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघनों को समाप्त करने और रोकने की कुंजी निस्संदेह शांति है। संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान, सामान्य आधार और संवाद की तलाश, बच्चों के खिलाफ सभी गंभीर उल्लंघनों को कम करने और अंतत: समाप्त करने का सबसे तेज और सर्वोत्तम तरीका है।
आईएएनएस
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Created On :   12 July 2022 9:00 PM IST