इजराइल में नई सरकार के लिए रविवार को संसद में मतदान, नेतन्याहू की 12 सालों की सत्ता होगी खत्म!
- इज़राइल में नई सरकार के लिए रविवार को मतदान होगा
- नेतन्याहू का इजराइल के इतिहास में सबसे लंबे शासन का रिकॉर्ड
- प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का 12 साल का शासन खत्म होगा
डिजिटल डेस्क, यरुशलम। इज़राइल में नई सरकार के लिए रविवार को मतदान होगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का 12 साल का शासन खत्म होगा। नेतन्याहू का इजराइल के इतिहास में सबसे लंबे शासन का रिकॉर्ड है। पार्लियामेंट स्पीकर यारिव लेविन ने गठबंधन की घोषणा के एक दिन बाद मंगलवार को मतदान के समय की घोषणा की है। नए गठबंधन ने इजराइल का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। इजराइल के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक अरब पार्टी सत्ता का हिस्सा बनने जा रही है।
नई सरकार बनाने के लिए आठ राजनीतिक दलों ने गठबंधन किया है। 120 सदस्यीय पार्लियामेंट नीसेट में इस गठबंधन के पास बहुमत से कुछ ही अधिक सदस्यों का समर्थन है। नेतन्याहू के समर्थकों ने गठबंधन को तोड़ने का दबाव बनाने के लिए संसद सदस्यों के घरों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी, लेकिन इसके बावजूद ये गठबंधन सरकार बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है। गठबंधन के नेताओं के बीच हुए समझौते के मुताबिक नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी एवं अतिराष्ट्रवादी नेता नाफतली बेनेट शुरुआती दो वर्ष के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे। इसके बाद याइर लेपिड प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालेंगे। याइर लेपिड को इस गठबंधन का प्रमुख रणनीतिकार माना जा रहा है।
बता दें कि इजरायल में पिछले दो सालों में चार चुनाव हो चुके हैं। नेतन्याहू हर बार किसी न किसी तरह प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे। पिछले 12 सालों में कभी ऐसा मौका नहीं आया जब नेतन्याहू की सत्ता इतनी कमजोर दिखी हो, जितनी वो आज है। नेतन्याहू पूरा जोर लगा रहे हैं कि बेनेट-लपीद गठबंधन की सरकार न बन पाए। ऐसा करने के पीछे राजनीति के साथ-साथ सजा का डर है। क्योंकि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के मुकदमे चल रहे हैं। इजराइल में सत्ता परिवर्तन ऐसे समय में हो रहा है जब हाल में हमास के साथ उसकी जंग हुई थी।
बेंजामिन नेतन्याहू का पूरा चुनावी कैंपेन वैक्सीनेशन पर आधारित था। मार्च में इजरायल की कुल आबादी के करीब 50 फीसदी हिस्से को वैक्सीन की दोनों डोज मिल चुकी थीं। नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें तो जीती लेकिन सरकार नहीं बना पाई। अब नफ्ताली बेनेट और यैर लपीद गठबंधन बना चुके हैं। जानकारों का कहना है कि नेतन्याहू की कट्टर-रूढ़िवादी पार्टियों के साथ डील की चर्चा ने शायद उन्हें नुकसान पहुंचाया है।
Created On :   8 Jun 2021 7:01 PM IST