प्रोपेगेंडा, एजेंडा, साजिश या प्रगति?

Is Womans March Propaganda, agenda, conspiracy or progress?
प्रोपेगेंडा, एजेंडा, साजिश या प्रगति?
औरत मार्च प्रोपेगेंडा, एजेंडा, साजिश या प्रगति?
हाईलाइट
  • पाकिस्तानी महिलाओं ने लगातार पांचवें वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर औरत मार्च निकाला

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तानी महिलाओं ने लगातार पांचवें वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पुरुष समाज के वर्चस्व वाले देश में उत्पीड़न, बुनियादी अधिकारों से वंचित, यौन हिंसा और समान अवसरों की कमी के रूप में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर रैलियों, प्रदर्शनों, कार्यक्रमों और बहस के साथ चिह्न्ति किया।

पाकिस्तान में जहां महिलाओं से जुड़े मुद्दे बद से बदतर होते जा रहे हैं, वहीं संबंधित आवाजों का भी समग्र जागरूकता पर असर पड़ा है और उनके अधिकारों की मांग भी बढ़ी है।

कई लोगों का मानना है कि महिलाओं के अधिकारों से संबंधित मुद्दों के निपटारे और उन पर बहस शुरू करने से कई उत्पीड़ित महिलाओं को मदद मिली है, जिन्होंने सम्मान और अधिकारों की मांग को उठाना शुरू कर दिया है। लेकिन यह महिलाओं के खिलाफ पुरुषों द्वारा बढ़ती हिंसा का एक कारण भी बन गया है।

इसका एक प्रमुख कारण यह है कि पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि वे श्रेष्ठ हैं और अपनी बहनों और माताओं के उद्धारकर्ता हैं और यही विचार उनके बड़े होने तक और परिपक्व हो जाते हैं। यह वर्तमान समाज में परिलक्षित भी होता है। पाकिस्तान में महिलाओं के मूल अधिकारों के दमन की घटनाएं आम हैं।

ऐसा समाज महिलाओं को, स्वतंत्रता की ओर खुद को सशक्त बनाने और इस्लाम द्वारा बेटे, भाइयों, पति और पिता के रूप में सौंपे गए कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए मुखर होने के लिए तैयार नहीं लगता है।

इसे मुख्य कारणों में से एक पर रखा जा सकता है, क्योंकि कई पुरुष, जो पुरुष प्रधान सामंती परिवार के पालन-पोषण का एक उत्पाद हैं, सशक्त महिलाओं द्वारा खतरा महसूस करते हैं और उनके अधिकारों को दबाने के लिए शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक शोषण के चरम कदम उठाने का विकल्प चुनते हैं।

औरत मार्च ने निश्चित रूप से महिलाओं के अनसुलझे मुद्दों को एक खुली बहस में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने उत्पीड़ित महिलाओं को यह अहसास कराया है कि वे इस तरह के उत्पीड़न एवं गालियों का सामना करने वाली अकेली नहीं हैं, बल्कि उन्हें इस बात से भी अवगत कराया है कि उनके अपने अधिकार हैं और वे भी अपनी इच्छा से जिंदगी जी सकती हैं।

औरत मार्च में महिलाओं को मजबूत बनने के लिए प्रेरित किया जाता है और उन्हें उनके अधिकारों का एहसास कराया जाता है, ताकि वे अपने भविष्य की भलाई का फैसला करने के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें।

लेकिन दूसरी तरफ औरत मार्च पहले से ही कई आरोपों से घिर चुका है। इस पर देश में गर्भपात को वैध बनाने और एलजीबीटी अधिकारों को बढ़ावा देने के विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया है।

उन पर जानबूझकर आपत्तिजनक बैनर ले जाने और राज्य संस्थानों की आलोचना करने वाले नारे लगाने का भी आरोप लगाया गया है।

औरत मार्च को कुलीनों का एक अश्लील जमावड़ा भी कहा गया है, जिसका न तो कोई प्रभाव पड़ा है और न ही ग्रामीण क्षेत्रों में इसे जमीनी स्तर पर कामयाब बताया गया है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जमीनी स्तर पर वंचित महिलाओं को बुनियादी अधिकार और कानूनी मदद के प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए कुछ खास नहीं किया गया है।

धार्मिक संगठन औरत मार्च के आयोजकों और प्रतिभागियों को इस्लाम के दुश्मन के रूप में देखते हैं और इस पहल का कड़ा विरोध करते हैं।

उनका कहना है कि इस तरह के मार्च केवल महिलाओं को पुरुषों के खिलाफ खड़े होने और उन्हें अपने दुश्मन के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। वे कहते हैं कि धर्म और एक परिवार के मूल सिद्धांत को चोट पहुंचाई जा रही है, जिसके लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को समृद्ध होना जरूरी है।

(आईएएनएस)

Created On :   8 March 2022 9:30 PM IST

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