यूक्रेन से नागरिकों को सुरक्षित निकालने में सबसे आगे है हमारा देश, इन देशों का क्या है हाल खुद ही जान लीजिए
- भारत यूक्रेन से नागरिकों को निकालने के मामले में दुनियाभर के देशों में सबसे आगे
डिजिटल डेस्क, कीव। यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बाद दुनियाभर के सभी देश अपने नागरिकों को वहां से निकालने में जुटे हैं। भारत अभी तक यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के मामले में दुनियाभर के देशों में सबसे आगे है। गौरतलब है कि भारत ने मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए छात्रों को सकुशल वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा अभियान चलाया है।
यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वहां 80 हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा भारत के छात्र हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत के करीब 18 हजार छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद मोरक्को, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और नाइजीरिया का नंबर आता है। जो यूक्रेन में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
भारत का ऑपरेशन गंगा अभियान
भारत सरकार ने यूक्रेन में फंसे नागरिकों निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा अभियान शुरू किया है। जिसके तहत पांच फ्लाइट यूक्रेन से भारतीयों को लेकर आ चुकी हैं। इनमें से करीब 1100 से अधिक छात्रों को वापस लाया जा चुका है। कई अन्य छात्र यूक्रेन के पड़ोसी देशों के बॉर्डर पर मौजूद हैं, भारत सरकार इनके खाने-पीने से लेकर अन्य चीजों में मदद कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र परिषद में भारत के बयान के अनुसार, यूक्रेन में भारतीय छात्रों व अन्य नागरिकों को मिलाकर करीब 20 हजार लोग रहते हैं। भारत ने कहा था कि सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकासी के लिए हमारा प्रयास है।
यूक्रेन ने किया चीनी नागरिकों पर हमला
यूक्रेन में चीन के करीब 6 हजार नागरिक फंसे हुए हैं। बीते 26 फरवरी को चीन ने यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों के लिए चार्टर्ड उड़ानों घोषणा की थी और कीव छोड़ने वाले अपने नागरिकों से चीनी ध्वज न प्रदर्शित करने का भी अनुरोध किया था। यूक्रेन में चीनी नागरिकों पर हमले की खबरें आ रही हैं जबकि भारतीय ध्वज वाली बसों को सुरक्षित रास्ता दिया जा रहा है।
अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवायजरी
यूक्रेन में अमेरिका के 900 से ज्यादा नागरिक फंसे हुए है। बीते 22 फरवरी को अमेरिका ने यूक्रेन में फंसे नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी की थी। यूक्रेन में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के संपर्क लिए फोन नंबर जारी की थी। अमेरिका की तरफ से जारी एडवायजरी में लोगों से कहा गया कि वह खुद निजी वाहनों से निकलने का प्रयास करें।
यूनाइटेड किंगडम
यूक्रेन विवाद के कारण यूके की तरफ से अपने नागरिकों के लिए सबसे पहले बीते 17 फरवरी को एक एडवाइजरी जारी की गई थी। इसमें साफ कहा गया था कि दूतावास के कर्मचारी ल्वीव में ब्रिटिश दूतावास कार्यालय से काम कर रहे हैं। ल्वीव में ब्रिटिश दूतावास कार्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली व्यक्तिगत कांसुलर सेवाएं अत्यंत सीमित हैं और रूसी सैन्य कार्रवाई से और अधिक प्रभावित हो सकती हैं। एडवायजरी में साफ कहा गया कि ब्रिटिश नागरिकों को इन परिस्थितियों में निकासी के लिए बढ़े हुए कांसुलर समर्थन या मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
जर्मनी
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में जर्मनी की सरकार ने एडवायजरी जारी कर नागरिकों से तत्काल यूक्रेन छोड़ने का आग्रह किया है। जर्मनी सरकार की तरफ अपने नागरिकों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए थे। गौरतलब है कि जैसी एडवायजरी अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए जारी किया था वैसे ही एडवायजरी जर्मनी ने भी यूक्रेन छोड़ने के लिए अपने नागरिकों को जारी की थी।
मिस्र
यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच मिस्र के छात्र फंसे हुए हैं। यूक्रेन में फंसे मिस्र के छात्र दूतावास से लगातार मदद की गुहार कर रहे हैं। कुछ छात्रों ने तो मामले को अपने हाथों में ले लिया है और पोलैंड में सीमा पार कर गए हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द अपने घर वापस पहुंच जाएंगे। हालांकि बॉर्डर पर इन छात्रों से कड़ी पूछताछ की जा रही है।
मोरक्को
मोरक्को दूतावास अपने नागरिकों को निकालने के लिए प्रयासरत है। दूतावास ने यूक्रेन में मोरक्को के लोगों को यूक्रेन और पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया या हंगरी में शामिल होने वाले नजदीकी क्रॉसिंग-प्वाइंट के लिए जाने का निर्देश दिया है। नागरिकों की सहायता के लिए मोरक्को के लोगों को हेल्प लाइन नंबर प्रदान किए हैं। मोरक्को के कई नागरिक वर्तमान में यूक्रेन, पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी के बीच क्रॉसिंग प्वाइंट की ओर बढ़ रहे हैं।
नाइजीरिया
नाइजीरिया की सरकार की ओर से छात्रों को एडवायजरी की गई थी कि उन्हें रूस के यूक्रेन पर हमले की जानकारी मिली है। हवाईअड्डे खुलने के बाद सरकार छात्रों की मदद करेगी। नाइजीरिया के छात्रों ने महसूस किया कि उन्हें सरकार से बड़े पैमाने पर जो संदेश मिल रहा था, उससे ऐसी प्रतीत हुआ कि छात्र अपने दम पर यूक्रेन से वापस आने के लिए प्रयास करें।
Created On :   28 Feb 2022 4:38 PM IST