India-Taiwan Relations: ट्रेड वार्ता पर औपचारिक बात कर सकते हैं भारत और ताइवान, घबराए चीन ने दी गीदड़ भभकी

India-Taiwan Relations: India and Taiwan can hold formal talks on trade talks
India-Taiwan Relations: ट्रेड वार्ता पर औपचारिक बात कर सकते हैं भारत और ताइवान, घबराए चीन ने दी गीदड़ भभकी
India-Taiwan Relations: ट्रेड वार्ता पर औपचारिक बात कर सकते हैं भारत और ताइवान, घबराए चीन ने दी गीदड़ भभकी
हाईलाइट
  • क्वाड देश चीन के उत्पादों पर निर्भरता खत्म करने को लेकर कर रहे चर्चा
  • ताइवानी कंपनियों ने भारत और ताइवान के बीच बातचीत के लिए प्रेरित किया
  • भारत में स्मार्टफोन उत्पादन को बढ़ाने के लिए 16 कंपनियों के प्रोत्साहन को मंजूरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/ताइपे। ताइवान की कंपनियों के लिए प्रोत्साहन (इंसेंटिव) को मंजूरी देने के बाद सरकार को अब त्सई इंग-वेन प्रशासन के साथ एक व्यापारिक समझौते पर औपचारिक बातचीत होने की उम्मीद है। यह कदम भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अधिकांश देश औपचारिक रूप से ताइवान को मान्यता नहीं देते हैं। इसका कारण बीजिंग का एक चीन सिद्धांत (वन चाइना प्रिंसिपल) है, क्योंकि वह ताइवान को अपना एक अभिन्न मानता है। ऐसे में चीन ने ताइवान को लेकर भारत को गीदड़ भभकी दी है। चीन ने भारत में चल रहीं उन मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई है, जिनमें कहा गया था कि भारत-ताइवान के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत की शुरुआत हो सकती है। बीजिंग ने कहा है कि भारत को वन-चाइना पॉलिसी के साथ प्रतिबद्ध रहना चाहिए और विवेकपूर्ण तरीके के साथ ताइवान को डील करना चाहिए।

पिछले छह महीनों के दौरान लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता ने इस क्षेत्र में अपनी विदेश नीति और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन के प्रति दृष्टिकोण की समीक्षा के लिए नई दिल्ली को एक प्रकार से मजबूर किया है। सीसीपी ताइवान पर आक्रमण करने की धमकी देती रही है, लेकिन राष्ट्रपति त्सई इंग-वेन ने हाल ही में इस तरह के किसी भी कदम के खिलाफ चेतावनी दी है। संयोग से इस महीने की शुरुआत में ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह पर त्सई ने घोषणा की थी कि ताइपे लोकतंत्र के खिलाफ चीनी आक्रामकता के सामने एक नया क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आदेश स्थापित करने में सक्रिय भूमिका निभाएगा।

चीन ने जताई नाराजगी
इसके अलावा, चीनी विदेश मंत्रालय ने हाल ही में तिब्बत मामलों के लिए नियुक्त किए गए अमेरिकी अधिकारी की तिब्बत सरकार के साथ बैठक को भी आड़े हाथों लिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि दुनिया में वन-चाइना पॉलिसी है और ताइवान चीन का नायाब हिस्सा है। भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में वन-चाइना पॉलिसी को लेकर सर्व-सहमति है। झाओ ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट पर जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि भारत आने वाले समय में ताइवान के साथ ट्रेड पर बातचीत शुरू कर सकता है। झाओ ने कहा कि यह (वन-चाइना पॉलिसी) चीन का अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए, हम चीन और ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच किसी भी आधिकारिक आदान-प्रदान या किसी भी आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का पूरी दृढ़ता से विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष को वन-चाइना प्रिंसिपल के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और ताइवान से संबंधित मुद्दों पर विवेकपूर्ण और ठीक से विचार करना चाहिए।

क्वाड देश चीन के उत्पादों पर निर्भरता खत्म करने को लेकर कर रहे चर्चा
त्सई का यह बयान टोक्यो में जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रालय के स्तर की बैठक के कुछ दिनों बाद आया, जहां अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य कदमों को खारिज कर दिया था। क्वाड (चार देशों का समूह) चीन की आपूर्ति श्रृंखला को कमजोर करने और उत्पादों पर निर्भरता पर खत्म करने के लिए वैश्विक चर्चा कर रहा है।

भारत में स्मार्टफोन उत्पादन को बढ़ाने के लिए 16 कंपनियों के प्रोत्साहन को मंजूरी 
इस महीने की शुरुआत में मोदी सरकार ने अगले पांच वर्षों में घरेलू स्मार्टफोन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ताइवान के तीन प्रमुख भागीदारों- फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन कॉर्प और पेगाट्रॉन कॉर्प सहित 16 कंपनियों के लिए 6.65 अरब डॉलर के प्रोत्साहन को मंजूरी दी। संयोग से एप्पल ने पिछले महीने भारत में अपना ऑनलाइन स्टोर लॉन्च किया। हालांकि पिछले तीन वर्षों में, विस्ट्रॉन और फॉक्सकॉन ने भारत में कुछ आईफोन मॉडल को असेंबल करना शुरू किया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि अब उन्हें दिया जाने वाला प्रोत्साहन पूरी गतिशीलता को बदल देगा। कुल मिलाकर 16 कंपनियां भारतीयों के लिए 200,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेंगी। भारत में निर्मित लगभग 60 प्रतिशत उत्पादों का निर्यात किया जाएगा। 

ताइवानी कंपनियों ने भारत और ताइवान के बीच बातचीत के लिए प्रेरित किया
सूत्रों ने कहा कि तीनों ताइवानी कंपनियों को प्रोत्साहन ने सरकार को ताइवान की सरकार के साथ एक व्यापार समझौते के बारे में औपचारिक बातचीत करने पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। भारत और ताइवान के सूत्रों ने कहा कि दोनों देश प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अपने व्यापार को मजबूत करने के इच्छुक हैं।

ताइवानी कंपनियों ने भारत और ताइवान के बीच बातचीत के लिए प्रेरित किया
भारत और ताइवान ने पहले ही 2018 में एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। लेकिन चीन के साथ तनाव के बीच एक औपचारिक व्यापार समझौते से नई दिल्ली-बीजिंग संबंध टूट सकता है और विश्व व्यापार संगठन में भी जटिलताएं हो सकती हैं। हालांकि सूत्रों ने कहा कि ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका का समर्थन काफी कुछ निर्भर करेगा।

Created On :   21 Oct 2020 1:28 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story