संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार पर प्रस्ताव से रूस व चीन के साथ भारत भी रहा अलग

India along with Russia and China stayed away from the resolution on Myanmar in the United Nations
संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार पर प्रस्ताव से रूस व चीन के साथ भारत भी रहा अलग
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार पर प्रस्ताव से रूस व चीन के साथ भारत भी रहा अलग
हाईलाइट
  • निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के 22 महीने बाद आया

डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव से चीन और रूस के साथ भारत भी अलग रहा, जिसमें वहां लोकतंत्र की बहाली और आंग सान सू की समेत राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की गई थी। लंबे समय से प्रतीक्षित प्रस्ताव के पक्ष में 12 देशों ने वोट किया। यह प्रस्ताव म्यांमार में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के 22 महीने बाद आया।यह ब्रिटेन द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने राजनीतिक कैदियों की रिहाई और लोकतंत्र की बहाली की अपील की। प्रस्ताव पर भारत की अनुपस्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव संबंधित पक्षों को एक समावेशी वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय उनको उलझा सकता है। उन्होंने कहा कि म्यांमार की जटिलपूर्ण स्थिति के समाधान के लिए शांत और धैर्यपूर्ण कूटनीति की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि म्यांमार की स्थिति सीधे तौर पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करती है, जो इसके साथ 1,700 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। कंबोज ने कहा कि म्यांमार के लोगों का कल्याण हमारी प्राथमिकता है। परिषद ने अब तक म्यांमार के सैन्य शासन के लंबे कार्यकाल पर कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है, जिसकी शुरुआत 1962 में पहले तख्तापलट से हुई थी। तत्मादाव के नाम से जानी जाने वाली म्यामार की सैन्य सरकार का संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व नहीं है, क्योंकि महासभा ने आंग सान सू की के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधियों को म्यांमार की सीट पर बने रहने की अनुमति दी है।

प्रस्ताव में मानवाधिकारों के लिए सम्मान, और उनका उल्लंघन करने वालों के लिए जवाबदेही और जरूरतमंद लोगों तक मानवीय पहुंच को अबाधित करने की मांग की गई। ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि बारबरा वुडवर्ड ने कहा, आज हमने सेना को एक कड़ा संदेश दिया है, हम उम्मीद करते हैं कि यह संकल्प पूर्ण रूप से लागू होगा। उन्होंने कहा, यह म्यांमार के लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि संयुक्त राष्ट्र उनके अधिकारों, इच्छाओं और हितों का समर्थन करता है।

अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि सैन्य शासन की निरंतरता क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। उन्होंने कहा, सैन्य शासन की क्रूरता क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ते शरणार्थी संकट में योगदान दे रही है, जिसका क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर सीधा और हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। रूस के स्थायी प्रतिनिधि वासिली नेबेंजिया ने कहा कि म्यांमार की स्थिति अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा नहीं है, जो कि परिषद के दायरे में है, लेकिन यह प्रस्ताव मानवाधिकारों से संबंधित है, जिसे उपयुक्त महासभा समिति द्वारा उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है। चीन के स्थायी प्रतिनिधि, झांग जून ने कहा कि प्रस्ताव ने म्यांमार की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया और वार्ता को बढ़ावा देना और आसियान को देश से निपटने की अनुमति देना महत्वपूर्ण था।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   22 Dec 2022 12:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story