इमरान ने मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर पाक सरकार को घेरा

Imran surrounded the Pakistan government over the current economic crisis
इमरान ने मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर पाक सरकार को घेरा
पाकिस्तान इमरान ने मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर पाक सरकार को घेरा

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने देश में मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में विफल रहने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार की आलोचना की है। खान ने कहा कि शरीफ परिवार कभी भी पाकिस्तान की कठिन आर्थिक स्थिति को संभालने में सक्षम नहीं रहा है। खान ने कहा, शरीफ परिवार को अर्थव्यवस्था चलाने में कभी कोई विशेषज्ञता हासिल नहीं थी।

सत्ता में अपने समय की याद दिलाते हुए खान ने कहा, इस साल अप्रैल में, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 178 रुपये था। आज, यह 224 रुपये है और आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) समझौते के बावजूद फ्रीफॉल में है। आर्थिक मंदी से पता चलता है कि शरीफ परिवार की एकमात्र विशेषज्ञता लूटपाट, मनी लॉन्ड्रिंग और एनआरओ प्राप्त करना है। उन्होंने कहा, राष्ट्र उन सभी को जवाबदेह ठहराएगा जो शासन बदलने की साजिश और पाकिस्तान को इस दुखद स्थिति में लाने के लिए जिम्मेदार हैं।

खान का बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले तेज गिरावट पर है, जबकि बाजार में पिछले दो दिनों के कारोबार में 1,500 अंक से ज्यादा की गिरावट आई है। देश में मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता ने व्यापारिक समुदाय के बीच गंभीर संदेह पैदा कर दिया है। एक अस्थिर सरकार के साथ, जो इस बात को लेकर अनिश्चित लगती है कि वह सत्ता में रहेगी या नहीं। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की गिरावट ने भी फिच रेटिंग्स को देश की आर्थिक वृद्धि को स्थिर से नकारात्मक तक डाउनग्रेड करने के लिए प्रेरित किया है।

फिच ने कहा, हम आईएमएफ के साथ पाकिस्तान के नए स्टाफ-स्तरीय समझौते के आईएमएफ बोर्ड की मंजूरी के बारे में जानते हैं, लेकिन जून 2023 में एक कठिन आर्थिक और राजनीतिक माहौल में कार्यक्रम की समाप्ति के बाद इसके कार्यान्वयन और वित्तपोषण तक निरंतर पहुंच के लिए काफी जोखिम देखते हैं। पाकिस्तान की बिगड़ती बाहरी तरलता की स्थिति और वित्तपोषण की स्थिति, नए सिरे से राजनीतिक अस्थिरता से जोखिम के साथ, देश की वित्तीय स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है और दिवालियापन का एक स्पष्ट खतरा उभरने लगा है।

विश्लेषकों का मानना है कि आम चुनाव कराना सरकार के सामने एकमात्र विकल्प बचा है, क्योंकि इससे राजनीतिक निश्चितता आएगी और कम से कम पांच साल के लिए एक नई सरकार की नियुक्ति होगी, जो देश के सामने आने वाली अनिश्चित राजनीतिक बाधाओं को स्थिर कर सकती है। हालांकि, सत्तारूढ़ सरकार का मानना है कि उसकी प्राथमिकता चुनाव नहीं करना है, क्योंकि वह आने वाले दिनों में देश में आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से और अधिक कठिन और अलोकप्रिय निर्णय लेने की तैयारी कर रही है।

(आईएएनएस)

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Created On :   20 July 2022 7:01 PM IST

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