पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, गंभीर बीमारी से थे पीड़ित
- अमाइलॉइडोसिस नाम की खतरनाक बीमारी से थे पीड़ित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई में निधन हो गया। वह 79 साल के थे। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मुशर्रफ एमाइलॉयडोसिस नाम की खतरनाक बीमारी से पीड़ित थे, जिसका इलाज वह कई महीनों से दुबई स्थित अमेरिकी हॉस्पिटल में करा रहे थे।
— ANI (@ANI) February 5, 2023
कुछ वक्त पहले मुशर्रफ का अंतिम वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। इस वीडियो में वह काफी कमजोर नजर आ रहे थे, यहां तक की वह चलने फिरने में भी असमर्थ नजर आ रहे थे। उनको चलने के लिए व्हील चेयर का इस्तेमाल करना पड़ रहा था।
एमाइलॉयडोसिस बीमारी से थे पीड़ित
मुशर्रफ एमाइलॉयडोसिस नाम की गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। जिसके इलाज वो दुबई में लंबे समय से करा रहे थे। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी में शरीर के अधिकांश अंग काम करना बंद कर देते हैं। जिस वजह से इससे पीड़ित लोगों की मौत हो जाती है। इसका सबसे ज्यादा असर शरीर के हार्ट, किडनी और लीवर पर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार वैसे तो यह बीमारी बहुत कम लोगों को होती है लेकिन जो भी इसकी चपेट में आ जाता है उसके बचने की उम्मीद बेहद ही कम होती है। अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होने वाली इस जानलेवा बीमारी का फिलहाल दुनिया में कोई इलाज मौजूद नहीं है।
दिल्ली में हुआ था जन्म
परवेज मुशर्रफ का जन्म बंटवारे से पहले दिल्ली के दरियागंज में 11 अगस्त 1943 को हुआ था। 1947 में बंटवारे के बाद उनके परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। उनके पिता सईद पाकिस्तान विदेश मंत्रालय में कार्यरत थे। 1949 में मुशर्रफ के पिता का तबादला तुर्की हो गया। जहां वो 1957 तक रहे। अपनी शुरूआती स्कूली शिक्षा मुशर्रफ ने तुर्की में हासिल की। इसके बाद साल 1957 में उनका पूरा परिवार दोबारा पाकिस्तान लौट आया। इसके बाद मुशर्रफ की आगे की स्कूली शिक्षा कराची और कॉलेज लाहौर से पूरा हुआ। पढ़ाई खत्म करने के बाद परवेज मुशर्रफ ने 21 साल की उम्र में बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली थी। उन्होंने सेना में रहते हुए भारत के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्ध लड़े, जिनमें पाकिस्तान को करारी हार मिली। 1999 के कारगिल युद्ध की साजिश रचने में भी मुशर्रफ का हाथ था।
तख्तापलट के बाद बने राष्ट्रपति
साल 1998 में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने मुशर्रफ पर भरोसा जताते हुए उन्हें पाकिस्तान आर्मी का चीफ बनाया। जिसके एक साल बाद ही परवेज मुशर्रफ ने नवाज सरकार का तख्तापलट करके खुद पाकिस्तान की गद्दी पर बैठ गए। मुशर्रफ के सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा था। 1999 से लेकर 2007 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पद संभालने के अलावा वह साल 1998 से लेकर 2001 तक पाकिस्तान की स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और 1998 से 2007 तक 7वें शीर्ष जनरल के रूप में भी कार्यरत रहे थे।
उन पर नवंबर 2007 में देश में आपातकाल लगाने और दिसंबर 2007 तक संविधान को निलंबित करने के आरोप में 2013 में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। जिसके बाद करीब 6 साल तक कोर्ट में मामले का ट्रायल चला। नवाज शरीफ सरकार की तरफ से उनकी विदेशी यात्रा पर बैन लगा दिया गया। लेकिन 2016 में बीमारी का इलाज कराने के लिए उन्हें अदालत की तरफ से विदेश जाने की इजाजत मिल गई। मुशर्रफ दुबई में अपना इलाज कराने के लिए पहुंच गए, जिसके बाद उनकी पाकिस्तान में दोबारा कभी वापसी नहीं हुई। उधर दूसरी तरफ अदालत में मामला चलता रहा और अंत में 17 दिसंबर 2019 को कोर्ट ने मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी मानते हुए फांसी सजा सुनाई।
Created On :   5 Feb 2023 12:07 PM IST